हनुमान जी युवाओं के लिए प्रेरणा और शक्ति का स्रोत

हनुमान जी भारत में युवाओं के लिए प्रेरणा और शक्ति का एक अद्वितीय स्रोत हैं। उनके असाधारण गुण, जैसे शक्ति, बुद्धि, ज्ञान, विनम्रता और समर्पण, युवाओं के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करते हैं।

हनुमान चालीसा का नियमित पाठ और उनकी पूजा करने से व्यक्तियों को इन गुणों को प्राप्त करने और अपने जीवन में उन्हें प्रकट करने में मदद मिलती है।

प्राण शक्ति में वृद्धि, जो हनुमान जी की पूजा का एक महत्वपूर्ण लाभ है, व्यक्तियों को अपने जीवन में सफल होने और अपने सपनों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक आत्मविश्वास और साहस प्रदान करती है।

भारतीय पौराणिक कथाओं में, हनुमान जी को सर्वव्यापी रूप से पूजे जाने वाले देवताओं में से एक माना जाता है, जिनके मंदिर देश के लगभग हर गांव और शहर में पाए जाते हैं।

उनकी युवाओं के बीच अत्यधिक लोकप्रियता उनकी असाधारण शक्ति, बुद्धि और ज्ञान के भंडार के कारण है। माना जाता है कि हनुमान इन सभी गुणों के दाता हैं, जो युवाओं के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

हनुमान जी के गुण: युवाओं के लिए एक आदर्श

हनुमान जी अपने अद्वितीय गुणों के लिए जाने जाते हैं, जो युवाओं के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करते हैं। वह असाधारण रूप से शक्तिशाली हैं, लेकिन विनम्र और समर्पित भी हैं। उनकी बुद्धि और चतुराई ने उन्हें कई चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में विजयी बनाया। इसके अतिरिक्त, हनुमान ज्ञान के एक विशाल भंडार हैं, जो उन्हें बुद्धिमान और विद्वान बनाता है।

ये गुण युवाओं के लिए अत्यंत मूल्यवान हैं, क्योंकि वे उन्हें जीवन में सफल होने के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान करते हैं। शक्ति और शारीरिक शक्ति उन्हें बाधाओं को दूर करने और चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाती है। विनम्रता और समर्पण उन्हें दूसरों के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाए रखने और सफलता का श्रेय साझा करने की अनुमति देता है। बुद्धि और चतुराई उन्हें जटिल समस्याओं को हल करने और नवाचार करने में सक्षम बनाती है। ज्ञान उन्हें अच्छी तरह से सूचित निर्णय लेने और जीवन में बुद्धिमान विकल्प बनाने में सक्षम बनाता है।

हनुमान चालीसा: गुणों को प्राप्त करने का एक शक्तिशाली मार्ग

हनुमान चालीसा, जो तुलसीदास द्वारा रचित एक प्रसिद्ध भक्ति रचना है, हनुमान के सभी गुणों को प्राप्त करने का एक शक्तिशाली साधन माना जाता है। इसकी प्रत्येक चौपाई एक मंत्र के रूप में कार्य करती है, जो विभिन्न स्थितियों में व्यक्तियों को लाभ प्रदान करती है।

उदाहरण के लिए, पहली चौपाई ‘श्री गुरु चरण सरोज रज’ व्यक्तियों को अंधकार और अज्ञानता को दूर करने और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने में मदद करती है। दूसरी चौपाई ‘निश्चय करूं दासत्व में’ व्यक्तियों को हनुमान के प्रति समर्पण और भक्ति विकसित करने में मदद करती है। तीसरी चौपाई ‘अंजनी लाल केजरी बन्दन’ व्यक्तियों को हनुमान की शक्ति और साहस प्राप्त करने में मदद करती है।

हनुमान चालीसा का नियमित पाठ व्यक्तियों को हनुमान के गुणों को आत्मसात करने और अपने जीवन में उन्हें प्रकट करने में सक्षम बनाता है। यह उन्हें आत्मविश्वास, साहस, बुद्धि और ज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है।

प्राण शक्ति: हनुमान जी की पूजा का एक महत्वपूर्ण लाभ

हनुमान जी को प्राण देवता माना जाता है, जिसका अर्थ है कि उनकी पूजा करने से प्राण शक्ति बढ़ती है। प्राण शक्ति वह जीवन शक्ति है जो सभी जीवित प्राणियों को जीवित रखती है। बढ़ी हुई प्राण शक्ति व्यक्तियों को भय, अविश्वास और संदेह को दूर करने में सक्षम बनाती है, जिससे उनमें असाधारण कार्य करने का आत्मविश्वास पैदा होता है।

हनुमान जी की पूजा में शामिल अनुष्ठान, जैसे हनुमान चालीसा का पाठ करना और मंदिरों में उनकी मूर्तियों की पूजा करना, प्राण शक्ति को बढ़ाने में मदद करते हैं। नियमित अभ्यास से व्यक्ति अपने जीवन में अधिक शक्तिशाली, सकारात्मक और आत्मविश्वासी बन सकते हैं।

हनुमान जी की पूजा करने से आत्मा की ऊर्जा महसूस होती है और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है

हनुमान जी की पूजा का एक महत्वपूर्ण लाभ है कि यह व्यक्ति को धैर्य, साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि करता है। हनुमान जी की पूजा करने से व्यक्ति को आत्मा की ऊर्जा महसूस होती है और उसकी मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है। यह पूजा शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करती है और नकारात्मकता से दूर ले जाती है। इसके अलावा, हनुमान जी की पूजा से संकट और दुःखों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति की जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। इस तरह, हनुमान जी की पूजा एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक प्रथा है जो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से स्थिरता देती है।
इस आध्यात्मिक प्रक्रिया को नियमित रूप से करने से व्यक्ति को विचारशक्ति, स्वस्थ रिश्तों में सुधार और उच्च स्तरीय ईमानदारी की भावना प्राप्त होती है। इस पूजा का लाभ ध्यान में स्थिरता और आनंद की अनुभूति भी होती है, जो व्यक्ति की जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती है।

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ।।

गुरुदेव के श्री चरण कमलों की पराग रुपी रज के द्वारा अपने मन रुपी दर्पण को स्वच्छ कर (विकार रहित कर) रघुकुल शिरोमणि श्री राम जी के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ जो हमें चारों पुरुषार्थ का फल देने वाला है।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ।।

स्वयं को बुद्धि और बल में कमजोर जानकर मैं पवनसुत हनुमान जी का स्मरण करता हूँ जो मुझे बल, बुद्धि और सभी विद्याएं देकर हमारे सभी क्लेश और विकार दूर करते हैं।

चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।।
रामदूत अतुलित बलधामा । अंजनि-पुत्र पवनसुतनामा ।।

श्री हनुमान जी आपकी जय हो आप ज्ञान के भंडार और सभी गुणों के सागर हैं, वानरों में श्रेष्ट! आपकी ख्याति तीनो लोकों में व्याप्त है। आप राम जी के दूत हैं, अप्रमेय बलवान हैं, माता अंजनी के पुत्र हैं और पवन पुत्र नाम से भी प्रसिद्द हैं।

महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुंडल कुंचित केसा ।।

हे बजरंग बली! आप महावीर हैं और आपका पराक्रम अद्भुत है आप हमारी दुष्ट बुद्धि को दूरकर देते हैं और अच्छी बुद्धि (सुमति) वालों के साथ सदा रहते हैं। आपकी त्वचा सुनहरी है और आपने सुन्दर वस्त्र धारण किये हैं, आपके कानों में कुण्डल हैं और आपके बाल घुंघराले हैं।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै । कांधे मूंज जनेऊ साजै ।।
संकर सुवन केसरीनंदन । तेज प्रताप महा जग बन्दन ।।

आपके हाथों में बज्र(गदा) और (धर्म की) ध्वजा है और दाहिने कंधे पर मूँज का जनेऊ शोभित है। आप शंकर जी के अवतार और वानर-राज केसरी के पुत्र हैं और आपके प्रताप की कोई सीमा नहीं है आपकी वंदना सम्पूर्ण जगत करता है।

विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ।।

आप सभी विद्याओं के आधार हो, गुणवान हो और सभी कार्य बड़ी चतुराई से करने वाले हो, भगवान् राम के काम को करने के लिए आप सदैव तत्पर रहते हो। आप भगवान की लीला कथाओं का प्रेम से सुनते हैं और आपके ह्रदय में राम, लक्ष्मण और सीता जी सदैव रहते हैं।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा । बिकट रूप धरि लंक जरावा ।।
भीम रूप धरि असुर संहारे । रामचंद्र के काज संवारे ।।

आप सीता जी के सम्मुख छोटे रूप में प्रकट हुए और आपने भयानक रूप लेकर लंका को जला दिया। भयंकर बलशाली रूप लेकर आपने असुरों का संहार किया और इस प्रकार भगवान राम के कार्य संपन्न किये।

लाय सजीवन लखन जियाये । श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।।

आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी की जान बचाई जिस पर भगवान श्री राम ने प्रसन्न होकर आपको ह्रदय से लगा लिया। भगवान श्री राम ने आपको भरत के समान प्रिय भाई बताकर आपकी बहुत प्रशंसा की।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं । अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ।।

हजारों मुख वाले शेषनाग तुम्हारे यश का गान करेंगे ऐसा कहकर भगवान श्री राम ने आपको ह्रदय से लगाया। सनक, सनन्दन, सनातन, और सनत्कुमार आदि ऋषि, मुनि, ब्रह्मा जी, नारद जी, माँ शारदा और शेषनाग आपका गुणगान करते हैं।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते । कबि कोबिद कहि सके कहां ते ।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा । राम मिलाय राज पद दीन्हा ।।

यम, कुबेर, सभी दिग्पाल, कवि, पंडित, विद्वान ये कोई भी आपके यश का गान पूरी तरह नहीं कर सकते हैं। आपने सुग्रीव पर उपकार किया उनको श्री राम से मिलाया और उन्हें राज्य दिलाया।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना । लंकेस्वर भए सब जग जाना ।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।।

इसी प्रकार आपके दिए हुए मन्त्र/ उपदेश का पालन कर बिभीषन भी लंका के राजा हो गए। सूर्य के युग के हजार योजन पर स्थित होने पर भी आप बालपन में ही उसे एक मीठा लाल फल समझ कर निगल गये।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ।।
दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।।

आप प्रभु श्री राम के द्वारा दी हुई अंगूठी को मुँह में रखकर समुद्र को पार कर गए इसमें कोई आश्चर्य नहीं है। सम्पूर्ण जगत के लिए जो दुस्कर कार्य हैं वे आपकी कृपा से सहजता से हो जाने वाले हैं।

राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहू को डर ना ।।

श्री राम जी के द्वार के आप रखवाले हैं आपकी आज्ञा के बिना कोई आगे नहीं जा सकता अर्थात प्रभु श्री राम के दर्शन आपकी आज्ञा/ आशीष से ही सुलभ हैं। आपकी शरण में आते ही सभी सुख प्राप्त होजाते हैं जब आप जैसा रक्षक साथ हो तो हमें किसी से भी डरने की कोई आवश्यकता नहीं है।

आपन तेज सम्हारो आपै । तीनों लोक हांक तें कांपै ।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै । महाबीर जब नाम सुनावै ।।

आपकी शक्ति का पारावार आपके ही पास है आपकी एक हुंकार से तीनों लोक काँप उठाते हैं। हे महावीर! आपके नाम स्मरण मात्र से भूत पिसाच पास नहीं आते हैं।

नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ।।

हे हनुमान जी आपके निरंतर जप की शक्ति से सभी प्रकार के रोग नष्ट हो जाते हैं और सभी प्रकार की पीड़ा दूर हो जाती है। जो भी आपका मन वचन और कर्म से ध्यान करता है उसे आप सभी प्रकार के संकट से मुक्त कराते हैं।

सब पर राम तपस्वी राजा । तिन के काज सकल तुम साजा ।।
और मनोरथ जो कोई लावै । सोइ अमित जीवन फल पावै ।।

सभी राजाओं में सबसे बड़े तपस्वी श्री राम हैं और आपने ही उन प्रभु श्री राम के सभी कार्य संपन्न किये। जब आपके पास कोई इच्छा लेकर भक्त आता है वो जीवन भर न मिटने वाला फल प्राप्त करता है।

चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ।।
साधु-संत के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे ।।

आपके प्रताप का यश चारों युगो में व्याप्त है और सम्पूर्ण जगत में आपकी ख्याति का प्रकाश व्याप्त है। आप सभी साधु और संतों के रक्षक हो असुरों का संहार करने वाले और श्री राम के प्रिय हो।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता ।।
राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ।।

आपको माता जानकी ने ये वरदान दिया है कि आप अष्ट सिद्धि और नव निधि का वरदान दे सकते हैं। आप के पास राम जी के प्रेम का भंडार है इसलिए आप सदा श्री राम जी के दास बने रहते हैं।

तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम-जनम के दुख बिसरावै ।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई । जहां जन्म हरि-भक्त कहाई ।।

आपके भजन से राम जी कि प्राप्ति होती है और जन्म जन्मांतर के दुखों कि विस्मृति हो जाती है। इस जन्म के बाद रघुनाथ जी के धाम में जायेंगे और अगने जन्म में भक्ति का प्रसाद पाकर राम जी के भक्त कहलायेंगे।

और देवता चित्त न धरई । हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ।।
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।।

किसी और देवता की सेवा की कोई आवश्यकता नहीं हनुमान जी की सेवा सभी सुख देने वाली है। महाबली हनुमान जी का स्मरण करने वाले के सभी संकट समाप्त हो जाते हैं, और उसकी सभी पीड़ा दूर हो जाती है।

जै जै जै हनुमान गोसाईं । कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ।।
जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई ।।

हे हनुमान जी आपकी जय हो, आप मुझ पर गुरुदेव के समानकृपा बनाये रखे। जो सौ बार इस चालीसा का पाठ करलेता है वो सभी बंधनो से मुक्त हो जाता है और महान सुख को प्राप्त करता है।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा ।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय मंह डेरा ।।

जो इस हनुमान चालीसा का पाठ करता है उसके हर काम सिद्ध होते हैं इस बात के साक्षी स्वयं शंकर भगवान् हैं। हे हनुमान जी, (मैं) तुलसीदास सदा प्रभु श्री राम का दास रहूँ और आप मेरे ह्रदय में निवास करें।

दोहा

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ।।

हे पवन पुत्र हनुमान जी आप सभी संकटो को दूर करने वाले हैं, आप मंगल की मूर्ति है। आप प्रभु श्री राम, माता जानकी और लक्ष्मण जी के साथ मेरे ह्रदय में निवास कीजिये।

और देवता चित्त न धरई।

हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।

तुलसीदास की पंक्तियाँ ‘और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।। | संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।’ भगवान हनुमान की सर्वोच्चता, उनके सर्व सुख प्रदान करने की क्षमता और संकटों से मुक्ति दिलाने की उनकी शक्ति की प्रशंसा करती हैं। हनुमान जी की पूजा और उनके नाम का स्मरण करने से भक्तों को जीवन में सफलता, खुशी और सुरक्षा प्राप्त करने में मदद मिलती है।

हिंदू धर्म में, भगवान हनुमान जी को एक शक्तिशाली देवता माना जाता है, जो अपने असाधारण बल, भक्ति और निस्वार्थता के लिए जाने जाते हैं। तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस में उद्धृत उपर्युक्त पंक्तियाँ भगवान हनुमान की सर्वोच्चता और संकटों से मुक्ति दिलाने की उनकी क्षमता की प्रशंसा करती हैं।

भगवान हनुमान की सर्वोच्चता

पंक्ति ‘और देवता चित्त न धरई।’ बताती है कि भगवान हनुमान अन्य सभी देवताओं से श्रेष्ठ हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि अन्य देवता कम महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह हनुमान जी की अद्वितीय स्थिति और भगवान राम के प्रति उनकी अटूट भक्ति को रेखांकित करता है। हनुमान जी राम जी के सबसे भक्त भक्तों में से एक हैं, और उनकी भक्ति इतनी तीव्र है कि वे अन्य देवताओं को भी भूल जाते हैं।

सर्व सुख का दाता

पंक्ति ‘हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।’ भगवान हनुमान को सर्व सुख के दाता के रूप में वर्णित करती है। उनका नाम ही ‘हनु’ (तोड़ना) और ‘मान’ (अभिमान) से बना है, जो उनके अहंकार और बाधाओं को दूर करने की शक्ति का प्रतीक है। भक्त जो हनुमान की पूजा करते हैं, उन्हें जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है।

संकटों से मुक्ति

पंक्ति ‘संकट कटै मिटै सब पीरा।’ भगवान हनुमान की संकटों को दूर करने और पीड़ा को दूर करने की क्षमता को दर्शाती है। हनुमान जी को संकटमोचन के रूप में जाना जाता है, और उनका सिर्फ नाम लेने से ही बुरी आत्माओं, नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं से सुरक्षा मिलती है।

हनुमत बलबीरा का स्मरण

पंक्ति ‘जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।’ भक्तों को हनुमान जी के नाम का स्मरण करने के महत्व पर जोर देती है। हनुमान जी का नाम लेने से ही भक्तों को साहस, शक्ति और संरक्षण मिलता है। बलबीरा का अर्थ है शक्तिशाली और वीर, जो हनुमान की अजेय प्रकृति और सभी बाधाओं पर विजय प्राप्त करने की उनकी क्षमता को उजागर करता है।





Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent posts

Quote of the week

“Every sunset is an opportunity to reset. Every sunrise begins with new eyes.”

~ Richie Norton