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राम से बड़ा राम का नाम: राम नाम का इन दो अक्षर में ही पूरी रामायण है और पूरा शास्त्र है। पुराणों में लिखा है कि ज्ञान, कर्म, ध्यान, योग, तप आदि सभी कलयुग में व्यर्थ सिद्ध होंगे परंतु राम नाम का जप ही लोगों को भवसागर से पार ले जाने वाला सिद्ध होगा। वेद, पुराण और अन्य शास्त्रों से भी बढ़कर है दो अक्षरों वाला राम का नाम। राम नाम के दो सुंदर अक्षर सावन-भादो के महीने हैं। इस नाम की ही महिमा है कि जिसे सभी देवी और देवता जपते रहते हैं।

यही नहीं जिस नाम की महिमा का वर्णन शिवजी से सुनकर माता पार्वती भी उनका नाम जप करती हैं। जिनके सेवार्थ श्री शिवजी ने हनुमानजी का अवतार लेकर वे राम का नाम ही जपते रहते हैं। ऐसे प्रभु श्री राम का नाम लिखना, बोलना भवसागर से पार तो लगाता ही है साथ ही यह भक्तों को समस्त प्रकार के दैहिक, दैविक एवं भौतिक तापों से मुक्ति प्रदान करता है।

•रामचरित मानस में तुलसीदासजी ने राम नाम की महिमा का कई जगहों पर वर्णन किया है-

🚩”रामनाम कि औषधि खरी नियत से खाय,
अंगरोग व्यापे नहीं महारोग मिट जाये।”

•अर्थात:- राम नाम का जप एक ऐसी औषधि के समान है, जिसे अगर सच्चे हृदय से जपा जाए तो सभी आदि-व्याधि दूर हो जाती हैं, मन को परम शांति मिलती है।

🪔राम नाम की महिमा का प्रसंग:-
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यह तो सभी जानते हैं कि रामसेतु के निर्माण के समय हर पत्थर पर राम नाम लिखा जा रहा था और हर कोई राम नाम का जयघोष कर रहा था जिसके चलते राम का काम बहुत ही आसान हो गया। राम के नाम लिखे पत्‍थर जब तेरने लगे तो प्रभु श्रीराम भी आश्चर्य में पड़कर सोचने लगे।

उन्होंने सोचा की जब मेरे नाम लिखे पत्‍थर तैरने लगे है तो यदि मैं कोई पत्‍थर फेंकता हूं समुद्र में तो उसे तेरना चाहिए। मन में यही विचार करके उन्होंने भी एक पत्थर उठा लिया जिस पर राम का नाम नहीं लिथा था और उसे समुद्र में फेंक दिया, लेकिन वह पत्‍थर डूब गया। भगवान श्री राम आश्चर्य में पड़ गए कि आखिर ऐसा क्यों हुआ?

दूर खड़े हनुमान ने यह सब देख रहे थे और तब उन्होंने प्रभु श्रीराम के मान की बात जानकर उनके पास पहुंचे और कहने लगे कि हे प्रभु! आप किस दुविधा में हैं?

इस पर श्री राम जी कहने लगे कि हे हनुमान! मेरे नाम के पत्थर तैर रहे हैं लेकिन जब मैंने अपने हाथ से वह पत्थर फेंका तो वह डूब गया।

प्रभु की इस भोलेपन से कही गई बात पर बल बुद्धि के दाता हनुमानजी ने कहा कि हे प्रभु! आपके नाम को धारण कर तो सभी अपने जीवन को पार लगा सकते हैं, परंतु जिसे आपन स्वयं त्याग रहे हैं, उसे डूबने से कोई कैसे बचा सकता है?

राम के नाम में इतनी शक्ति है कि उनके नाम का जप करते हुए ऋषि बाल्मीकि और संत तुलसीदास अज्ञानी से महान ज्ञानी बने। उसके बाद उन्होंने रामायण और रामचरितमानस ग्रंथों की रचना की। शबरी ने भगवान का नाम लेकर उनको इतना मजबूर कर दिया कि वनवास के दौरान उसको स्वयं मिलने के लिए कुटिया पंहुचे। राम का ही नाम सत्य है।

🚩महामंत्र जोइ जपत महेसू। कासीं मुकुति हेतु उपदेसू॥
महिमा जासु जान गनराऊ। प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ॥2॥

🚩भावार्थ:- जो महामंत्र है, जिसे महेश्वर श्री शिवजी जपते हैं और उनके द्वारा जिसका उपदेश काशी में मुक्ति का कारण है तथा जिसकी महिमा को गणेशजी जानते हैं, जो इस ‘राम’ नाम के प्रभाव से ही सबसे पहले पूजे जाते हैं॥2॥- रामचरित मानस बालकाण्ड

🚩जान आदिकबि नाम प्रतापू। भयउ सुद्ध करि उलटा जापू॥
सहस नाम सम सुनि सिव बानी। जपि जेईं पिय संग भवानी॥3॥

•भावार्थ:- आदिकवि श्री वाल्मीकिजी रामनाम के प्रताप को जानते हैं, जो उल्टा नाम (‘मरा’, ‘मरा’) जपकर पवित्र हो गए। श्री शिवजी के इस वचन को सुनकर कि एक राम-नाम सहस्र नाम के समान है, पार्वतीजी सदा अपने पति (श्री शिवजी) के साथ राम-नाम का जप करती रहती हैं॥3॥- रामचरित मानस बालकाण्ड

🚩होइहै वही जो राम रचि राखा।
को करि तरक बढ़ावही साखा।।

‘राम’ सिर्फ एक नाम नहीं हैं और न ही सिर्फ एक मानव। राम परम शक्ति हैं। प्रभु श्रीराम के द्रोहियों को शायद ही यह मालूम है कि वे अपने आसपास नर्क का निर्माण कर रहे हैं। इसीलिए यह चिंता छोड़ दो कि कौन प्रभु श्रीराम का अपमान करता है और कौन सुनता है। कौन जपता है और कौन नहीं जपता है।

🚩1. राम से भी बड़ा राम का नाम:- कहते हैं कि प्रभु श्रीरा राम का नाम राम से भी बड़ा है। राम राम जपने से कई लोगों को मोक्ष प्राप्त हो गया। राम एक महामंत्र है, जिसे हनुमान ही नहीं भगवान शिव भी जपते हैं। राम से पहले भी राम का नाम था। प्राचीन काल में राम ईश्वर के लिए संबोधित होता था।

🚩2. राम या मार:- राम का उल्टा होता है म, अ, र अर्थात मार। मार बौद्ध धर्म का शब्द है। मार का अर्थ है- इंद्रियों के सुख में ही रत रहने वाला और दूसरा आंधी या तूफान। राम को छोड़कर जो व्यक्ति अन्य विषयों में मन को रमाता है, मार उसे वैसे ही गिरा देती है, जैसे सूखे वृक्षों को आंधियां।

🪔3. राम नाम कहने का अर्थ:-
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  1. एक बार राम कहा तो संबोधन हुआ। राजस्थान में कहते हैं राम सा। आपके सारे दुःख हरने वाला सिर्फ एकमात्र नाम है- ‘हे राम।’
  2. दो बार राम कहा तो अभिवादन हुआ। उत्तर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कहते हैं राम राम।
  3. तीन बार राम कहा तो संवेदना हुई। जैसे ‘ये क्या हुआ राम राम राम।’
  4. चार बार राम कहा तो भजन हुआ।

🚩4. तारणहार राम का नाम:- राम का नाम जपने वाले कई संत और कवि हुए हैं। जैसे कबीरदास, तुलसीदास, रामानंद, नाभादास, स्वामी अग्रदास, प्राणचंद चौहान, केशवदास, रैदास या रविदास, दादूदयाल, सुंदरदास, मलूकदास, समर्थ रामदास आदि। श्रीराम-श्रीराम जपते हुए असंख्य साधु-संत मुक्ति को प्राप्त हो गए हैं।

  1. जीवन रक्षक नाम:- प्रभु श्रीराम नाम के उच्चारण से जीवन में सकारात्क ऊर्जा का संचार होता है। जो लोग ध्वनि विज्ञान से परिचित हैं वे जानते हैं कि ‘राम’ शब्द की महिमा अपरम्पार है। जब हम •’राम’ कहते हैं तो हवा या रेत पर एक विशेष आकृति का निर्माण होता है। उसी तरह चित्त में भी विशेष लय आने लगती है। जब व्यक्ति लगातार •’राम’ जप करता रहता है तो रोम-रोम में प्रभु श्रीराम बस जाते हैं। उसके आसपास सुरक्षा का एक मंडल बनना तय समझो। प्रभु श्रीराम के नाम का असर जबरदस्त होता है।

।।चौपाई।।

हरि अनंत हरि कथा अनंता। कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए। कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥

•भावार्थ-

हरि अनंत हैं (उनका कोई पार नहीं पा सकता) और उनकी कथा भी अनंत है। सब संत लोग उसे बहुत प्रकार से कहते-सुनते हैं। रामचंद्र के सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते।

🔹सर्दियों में उपयोगी पुष्टि व शक्तिवर्धक प्रयोग🔹

🔸१] २५ ग्राम देशी काले चने धोकर रात को १२५ मि.ली. पानी में भिगो दें । सुबह इन चनों को खूब चबा – चबाकर खायें, साथ में किशमिश भी खा सकते हैं । ऊपर से चने के पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर पी जायें । शरीर बलवान व शक्तिशाली होता है तथा वीर्य पुष्ट होता है ।

🔸२] ५० ग्राम गोंद को घी में तल लें । ५० – ५० ग्राम अजवायन, काले तिल व मूँगफली के दानों को अलग – अलग भूनकर सभीको कूट लें । फिर इस मिश्रण को तथा किसे हुए ५० ग्राम सूखे नारियल (खोपरा) को ७५० ग्राम गुड़ में मिला के रख लें । सुबह खाली पेट ५० ग्राम मिश्रण खूब चबा – चबाकर खायें ।इसके १ – २ घंटे बाद हलका सुपाच्य भोजन करें । इससे शरीर पुष्ट होता है, बल-वीर्य की वृद्धि होती है । वायुरोग, बहुमुत्रता व बच्चों की बिस्तर में पेशाब करने की समस्या में भी लाभ होता है ।

🔹तुलसी की जीवन में महत्ता व उपयोगिता🔹

🔸‘स्कंद पुराण’ (का.खं. :२१.६६) में आता है : ‘जिस घर में तुलसी – पौधा विराजित हो, लगाया गया हो, पूजित हो, उस घर में यमदूत कभी भी नहीं आ सकते ।’

🔸जहाँ तुलसी – पौधा रोपा गया है, वहाँ बीमारियाँ नहीं हो सकतीं क्योंकि तुलसी – पौधा अपने आसपास के समस्त रोगाणुओं, विषाणुओं को नष्ट कर देता है एवं २४ घंटे शुद्ध हवा देता है । वहाँ निरोगता रहती है, साथ ही वहाँ सर्प, बिच्छू, कीड़े-मकोड़े आदि नहीं फटकते । इस प्रकार तीर्थ जैसा पावन वह स्थान सब प्रकार से सुरक्षित रहकर निवास-योग्य माना जाता है । वहाँ दीर्घायु प्राप्त होती है ।

🌹‘तुलसी निर्दोष है । सुबह तुलसी के दर्शन करो । उसके आगे बैठ कर लम्बे श्वास लो और छोड़ो, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, दमा दूर रहेगा अथवा दमे की बीमारी की सम्भावना कम हो जायेगी । तुलसी को स्पर्श करके आती हुई हवा रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाती है और तमाम रोग व हानिकारक जीवाणुओं को दूर रखती है ।’

🔸तुलसी रोपने तथा उसे दूध से सींचने पर स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । तुलसी की मिट्टी का तिलक लगाने से तेजस्विता बढ़ती है ।

🔸दूध के साथ तुलसी वर्जित है, बाकी पानी, दही, भोजन आदि हर चीज के साथ तुलसी ले सकतें हैं । रविवार को तुलसी ताप उत्पन्न करती है, इसलिए रविवार को तुलसी न तोड़ें, न खायें । ७ दिन तक तुलसी – पत्ते बासी नहीं माने जाते ।

🔸विज्ञान का आविष्कार इस बात को स्पष्ट करने में सफल हुआ है कि तुलसी में विद्युत् – तत्त्व उपजाने और शरीर में विद्युत् – तत्त्व को सजग रखने का अद्भुत सामर्थ्य है । थोडा तुलसी – रस लेकर तेल की तरह थोड़ी मालिश करें तो विद्युत् – प्रवाह अच्छा चलेगा ।

(((((((((( दान का भाव ))))))))))

एक शिव मंदिर के पुजारी जी को भोले नाथ ने सपने में दर्शन दिए औऱ कहा कि कल सुबह नगर के सभी भक्तों, विद्वानों, दान-पुण्य करने वालों और साधु-महात्माओं को मंदिर में जमा करो।

पुजारी ने शहर में मुनादी करा दी कि महादेव का ऐसा आदेश है. शहर के सारे गणमान्य लोग अगली सुबह मंदिर पहुंचे.

पूजा-अर्चना हुई और पुजारी जी ने विस्तार से स्वप्न बताया तभी मंदिर में एक अद्भुत तेज प्रकाश हुआ. लोगों की आंखें चौंधिया गईं.

जब प्रकाश कम हुआ तो लोगों ने देखा कि शिवलिंग के पास एक रत्नजड़ित सोने का पात्र है. उसके रत्नों में दिव्य प्रकाश की चमक थी. उस पर लिखा था कि सबसे बड़े दयालु और पुण्यात्मा के लिए यह उपहार है.

पुजारी जी ने वह पात्र सबको दिखाया. वह बोले-प्रत्येक सोमवार को यहां विद्वानों की सभा होगी. जो स्वयं को सबसे बड़ा धर्मात्मा सिद्ध कर देगा, यह स्वर्णपात्र उसका होगा.

देश भर में चारों ओर यह समाचार फैल गया. दूर-दूर से तपस्वी, त्यागी, व्रती, दान-पुण्य करने वाले लोग काशी आने लगे.

एक तपस्वी ने कई महीने लगातार चन्द्रायण व्रत किया था. वह उस स्वर्ण पात्र को लेने आए. जब स्वर्ण पात्र उन्हें दिया गया, उनके हाथ में जाते ही वह मिट्टी का हो गया. उसकी ज्योति नष्ट हो गई.

लज्जित होकर उन्होंने स्वर्ण पात्र लौटा दिया. पुजारी के हाथ में जाते ही वह फिर सोने का हो गया और रत्न चमकने लगे.

एक धर्मात्मा ने बहुत से विद्यालय बनवाये थे, कई सेवाश्रम चलाते थे। दान करते-करते उन्होंने काफी धन खर्च कर दिया था. बहुत सी संस्थाओं को दान देते थे.

अखबारों में नाम छपता था. वह भी स्वर्ण पात्र लेने आए किन्तु उनके हाथ में भी जाकर मिट्टी का हो गया.

पुजारी ने कहा- ऐसा लगता है कि आप पद, मान या यश के लोभ से दान करते जान पड़ते हैं. नाम की इच्छा से होने वाला दान सच्चा दान नहीं है.

इसी प्रकार बहुत से लोग आए, किन्तु कोई भी स्वर्ण पात्र पा नहीं सका. सबके हाथों में वह मिट्टी का हो जाता था.

कई महीने बीत गए. बहुत से लोग स्वर्ण पात्र पाने के लोभ से भगवान के मंदिर के आस पास ही ज्यादा दान-पुण्य करने लगे.

लालच की पट्टी पड़ गई थी और मूर्खता वश यह सोचने लगे कि शायद मंदिर के पास का दान प्रभु की नजरों में आए. स्वर्ण पात्र उन्हें भी नहीं मिला.

एक दिन एक बूढ़ा किसान भोले नाथ के दर्शन को आया. उसे इस पात्र की बात पता भी न थी. गरीब देहाती किसान था तो कपड़े भी मैले और फटे थे.उसके पास कपड़े में बंधा थोड़ा सत्तू और एक फटा कम्बल था.

लोग मन्दिर के पास गरीबों को कपड़े और पूरी मिठाई बांट रहे थे; किन्तु एक कोढ़ी मन्दिर से दूर पड़ा कराह रहा था. उससे उठा नहीं जाता था. सारे शरीर में घाव थे. कोढ़ी भूखा था लेकिन उसकी ओर कोई देखता तक नहीं था.

किसान को कोढ़ी पर दया आ गयी. उसने अपना सत्तू उसे खाने को दे दिया और कम्बल उसे ओढ़ा दिया. फिर वह मन्दिर में दर्शन करने आया.

मन्दिर के पुजारी ने अब नियम बना लिया था कि सोमवार को जितने यात्री दर्शन करने आते थे, सबके हाथ में एक बार वह स्वर्ण पात्र जरूर रखते थे.

किसान जब दर्शन करके निकला तो उसके हाथ में भी स्वर्ण पात्र रख दिया. उसके हाथ में जाते ही स्वर्णपात्र में जड़े रत्न पहले से भी ज्यादा प्रकाश के साथ चमकने लगे. यह तो कमाल हो गया था. सब लोग बूढ़े व्यक्ति की प्रशंसा करने लगे.

पुजारी ने कहा- जो निर्लोभ है, दीनों पर दया करता है, जो बिना किसी स्वार्थ के दान करता है और दुखियों की सेवा करता है, वही सबसे बड़ा पुण्यात्मा है.

किसान तुमने अपने सामर्थ्य से अधिक दान किया है. इसलिए महादेव के इस उपहार के तुम अधिकारी हो.

दान का रहस्य निस्वार्थ दान में है. कभी ये न सोचे की मुझे इस दान से क्या लाभ प्राप्त होगा. दान करते समय अपने आप को उस परमात्मा का सेवक समझे.

हम अक्सर सोचते हैं कि यदि हम भी बहुत ज्यादा संपत्ति वाले होते तो इतना दान करते, अमुक पुण्य कर्म करते.

दान शीलता के भाव का संपत्ति से कोई सरोकार नहीं. यदि आपके मन में दान का भाव है तो सूखी रोटी में से एक टुकड़ा जरूरत मंद को देंगे.

आपने अरब पतियों को गरीब दुखियारे का हक डकारते हुए भी देखा हो. यही संचित कर्म तय करते हैं कि अगले जन्म में आपकी क्या गति होगी. पुण्य संचित करिए।

श्री राधा जी का जिक्र भागवत में क्यों नहीं है !

भागवत में शुकदेवजी ने राधा जी का नाम नहीं लिया है पर क्या भागवत में सचमुच राधाजी नहीं हैं! एक संत राधाजी का नाम भागवत में नहीं होने के पीछे इतना सुंदर कारण देख रहे हैं कि पूरा भागवत राधामय हो जाएगा. राधाजी का नाम भागवत में न होने के भाव सुंदर चित्रण है, आनंद लीजिए.

विद्वान और पंडित लोग कहते हैं जिस समाधि भाषा में भागवत लिखी गई और जब राधाजी का प्रवेश हुआ तो व्यासजी इतने डूब गए कि राधाचरित लिख ही नहीं सके. सच तो यह है कि ये जो पहले श्लोक में वंदना की गई इसमें श्रीकृष्णाय में श्री का अर्थ है कि राधाजी को नमन किया गया. शुकदेव जी पूर्व जन्म में राधाजी के निकुंज के शुक थे. निकुंज में गोपियों के साथ परमात्मा क्रीड़ा करते थे. शुकदेव जी सारे दिन श्रीराधे-राधे कहते थे. यह सुनकर श्रीराधे ने हाथ उठाकर तोते को अपनी ओर बुलाया. तोता आया और राधाजी के चरणों की वंदना करने लगा. राधाजी ने उसे उठाकर अपने हाथ में ले लिया. प्रसन्न तोता फिर से श्रीराधे- श्रीराधे बोलने लगा.

राधाजी ने कहा- हे शुक अब तू राधे-राधे के स्थान पर कृष्ण-कृष्ण कहा करो. यह मुझे ज्यादा प्रिय है.

इस प्रकार राधाजी तोते को समझा रही थी. उसी समय श्रीकृष्ण वहाँ आ जाते हैं. राधाजी ने उनसे कहा कि ये तोता कितना मधुर बोलता है. ऐसा कहते हुए शुक को ठाकुरजी के हाथ में दे दिया. राधाजी के द्वार पर राधानाम रटने वाले शुक को सीधे भगवान की कृपाछांव प्राप्त हो गई. वह उनके हाथ में पहुंचकर धन्यभाग हुआ.

इस प्रकार श्रीराधाजी ने शुकदेवजी का ब्रह्म के साथ प्रत्यक्ष सम्बन्ध कराया. जो ब्रह्म के साथ संबंध कराए वही तो सदगुरू होता है. इसलिए शुकदेवजी की सद्गुरु श्रीराधा जी हैं और सद्गुरु होने के कारण भागवत में राधाजी का नाम नहीं लिया.

शुकदेव जी ने अपने मुख से राधा अर्थात अपने गुरु का नाम नहीं लिया.
राधाजी का नाम भागवत में न आने का दूसरा एक और कारण भी है. जब शुकदेवजी राधा शब्द का चिंतन कर लेते तो वे उसी पल राधाजी के भक्तिभाव में डूब जाते. सद्गुरू का चिंतन करो तो डूबना स्वाभाविक सी बात है.

शुकदेवजी श्रीराधाजी की भक्ति में डूबते थे तो कई दिनों तक उस भाव से बाहर ही नहीं आ पाते थे. यह सब पहले हुआ रहा होगा.

अब शुकदेवजी तो आए थे परीक्षित को भागवत सुनाने. राजा परीक्षित के पास बचे थे केवल सात दिन ही. सातवें दिन उन्हें तक्षक डंसने वाला था. फिर यदि राधानाम स्मरण में शुकदेवजी डूब जाते तो भागवत कथा पूरी कैसे होती! इसलिए भी राधाजी का नाम भागवत में नहीं आया.

जब राधाजी से श्रीकृष्ण ने पूछा कि इस साहित्य में तुम्हारी क्या भूमिका होगी. तो राधाजी ने कहा मुझे कोई भूमिका नहीं चाहिए मैं तो आपके पीछे हूं जी. इसलिए कहा गया कि कृष्ण देह हैं तो राधा आत्मा हैं. कृष्ण शब्द हैं तो राधा अर्थ हैं.

कृष्ण गीत हैं तो राधा संगीत हैं. कृष्ण वंशी हैं तो राधा स्वर हैं. कृष्ण समुद्र हैं तो राधा तरंग हैं. कृष्ण फूल हैं तो राधा उसकी सुगंध हैं. इसलिए राधाजी इस लीला कथा में शब्द रूप में अदृश्य रही हैं. शब्द रूप में अदृश्य रहीं अर्थात उनका नाम शब्दों में न दर्ज हुआ परंतु वही इसकी आत्मा हैं.
राधा कहीं दिखती नहीं हैं इसलिए राधाजी को इस रूप में नमन किया.

एक बार बड़े भाव से स्मरण करें राधे-राधे. ऐसा बार-बार बोलते रहिएगा. राधा-राधा आप बोलें और अगर आप उल्टा भी बोलें तो वह धारा हो जाता है. धारा को अंग्रेजी में कहते हैं करंट. भागवत का करंट ही राधा है. आपके भीतर संचार भाव जाग जाए वह राधा है. जिस दिन आंख बंद करके आप अपने चित्त को शांत कर लें उस शांत स्थिति का नाम राधा है.

यदि आप बहुत अशांत हो अपने जीवन में तो मन में राधे-राधे. बोलिए आप पंद्रह मिनट में शांत हो जाएंगे क्योंकि राधा नाम में वह शक्ति है. भगवान ने अपनी सारी संचारीशक्ति राधा नाम में डाल दी. इसलिए भागवत में राधा शब्द हो या न हो राधाजी अवश्य विराजी हुई हैं.
जय श्री राधे राधे जी🙏

जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं बधाई और शुभ आशीष

दिनांक 29 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 2 होगा। 2 और 9 आपस में मिलकर 11 होते हैं। 11 की संख्या आपस में मिलकर 2 होती है इस तरह आपका मूलांक 2 होगा। इस मूलांक को चंद्र ग्रह संचालित करता है। चंद्र ग्रह स्त्री ग्रह माना गया है। अत: आप अत्यंत कोमल स्वभाव के हैं। आपमें अभिमान तो जरा भी नहीं होता। चंद्र ग्रह मन का कारक होता है।

आप अत्यधिक भावुक होते हैं। आप स्वभाव से शंकालु भी होते हैं। दूसरों के दु:ख दर्द से आप परेशान हो जाना आपकी कमजोरी है। आप मानसिक रूप से तो स्वस्थ हैं लेकिन शारीरिक रूप से आप कमजोर हैं। चंद्र के समान आपके स्वभाव में भी उतार-चढ़ाव पाया जाता है। आप अगर जल्दबाजी को त्याग दें तो आप जीवन में बहुत सफल होते हैं।

शुभ दिनांक : 2, 11, 20, 29

शुभ अंक : 2, 11, 20, 29, 56, 65, 92

शुभ वर्ष : 2027, 2029, 2036

ईष्टदेव : भगवान शिव, बटुक भैरव

शुभ रंग : सफेद, हल्का नीला, सिल्वर ग्रे

जन्मतिथि के अनुसार भविष्यफल :
स्वास्थ्य की दृष्टि से संभल कर चलने का वक्त होगा। पारिवारिक विवाद आपसी मेलजोल से ही सुलझाएं। लेखन से संबंधित मामलों में सावधानी रखना होगी। बगैर देखे किसी कागजात पर हस्ताक्षर ना करें। दखलअंदाजी ठीक नहीं रहेगी। किसी नवीन कार्य योजनाओं की शुरुआत करने से पहले बड़ों की सलाह लें। व्यापार-व्यवसाय की स्थिति ठीक-ठीक रहेगी।

आज का राशिफल

मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आपके लिए बहुत ही सूझबूझ दिखा कर काम करने के लिए रहेगा। आपको प्रमोशन जैसी कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। आप अपने मनमौजी स्वभाव के कारण कुछ समस्याओं को महसूस करेंगे। आपकी संतान आपसे किसी नई चीज की फरमाइश कर सकते है। प्रेम जीवन जी रहे लोग अपने साथी से किसी बात को लेकर बहस बाजी ना करें, जिसका असर आपके रिश्ते पर पड़ेगा। आपकी कोई प्रिय वस्तु यदि खो गई थी, तो वह भी आपको मिल सकती है।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आपके लिए रुके हुए कामों की पूर्ति करने के लिए रहेगा। किसी भूमि वाहन आदि की खरीदारी करना आपके लिए अच्छा रहेगा। आपके घर किसी नये मेहमान का आगमन हो सकता है। नौकरी में आप यदि बदलाव करने की सोच रहे थे, तो आप कर सकते हैं। आपके खिलाफ विरोधी षड्यंत्र रचने की कोशिश करेंगे। आप अपनी चतुर बुद्धि का प्रयोग करके आपको अपने पारिवारिक मामलों पर पूरा ध्यान देना होगा।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन आपके लिए समस्याओं भरा रहने वाला है। आप किसी से अपनी पर्सनल बातें शेयर ना करें, नहीं तो बाद में वह आपका मजाक बना सकता है। बिजनेस को लेकर आप किसी के साथ पार्टनरशिप करने की सोचेंगे, जिससे अपने बिजनेस में अधिक धन लगा सकेंगे। आप अपने किसी बचपन के मित्र से मिलकर खुश होंगे। आपको अपने पिताजी की कोई बात बुरी लग सकती है। संतान पक्ष की ओर से आपको कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपके लिए मिलाजुला रहने वाला है। मौसम का विपरीत प्रभाव आपके स्वास्थ्य पर पड़ेगा। आपकी दीर्घकालीन योजनाओं को गति मिलेगी। आप जीवन साथी के साथ कहीं पिकनिक आदि पर जा सकते हैं। माता जी की सेहत में कुछ गिरावट आने से भागदौड़ अधिक रहेगी। बिजनेस में आपको मन मुताबिक लाभ न मिलने से थोड़ा परेशान रहेंगे। अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति आप आसानी से कर सकेंगे। कोई सरकारी काम यदि लटका हुआ था, तो वह पूरा हो सकता है॥

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपके लिए किसी वाद विवाद से दूर रहने के लिए रहेगा। आप मानसिक तौर पर थोड़ा परेशान रहेंगे। आपकी संतान मनमाने व्यवहार के कारण आपको समस्या होगी। आपको व्यर्थ चिंताएं रहेगी, क्योंकि जीवन साथी भी आपसे किसी चीज की फरमाइश करेंगे, जिसे आपको पूरा करने में विलंब होगा। विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई लिखाई में एकाग्र होकर जुटना होगा, तभी वह कोई अच्छा मुकाम हासिल कर सकेंगे।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन आपके लिए ठीक-ठाक रहने वाला है। आपको कोई बड़ी धन संबंधित मदद भी मिलती दिख रही है। आप किसी दूसरे के मामले में बेवजह ना बोले। कोई नया काम करना आपके लिए अच्छा रहेगा। आप किसी से मांग कर वाहन ना चलाएं, नहीं तो किसी दुर्घटना के होने की संभावना है। आपके बॉस आपसे किसी बात को लेकर नाराज रहेंगे। आपको अपनी फैमिली को लेकर योजना बनाकर चलना बेहतर रहेगा।

तुला⚖ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन आपके लिए नौकरी में बदलाव के लिए अच्छा रहेगा। आपको कोई अच्छा अवसर हाथ लगेगा आपके जीवन में भी खुशियां भरपूर रहेंगी। किसी से कोई खटपट चल रही थी, तो वह भी दूर होगी। आपकी तरक्की के राह पर आप आगे बढ़ेंगे। आप किसी धार्मिक यात्रा पर जाने की तैयारी कर सकते हैं। कोई काम पूरा होने में समस्या आएगी, जो आपको थोड़ी टेंशन देगा। आपके भाई व बहन आपसे किसी जरूरी काम को लेकर सलाह मश्वरा कर सकते हैं।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपके लिए स्वास्थ्य के लिहाज से कमजोर रहने वाला है। आप किसी काम को लेकर सोच विचार अवश्य करें। आप किसी दूसरे पर डिपेंड ना रहे। बिजनेस में आप कोई बदलाव करने की सोचेंगे। आपको राजनीति में कदम बढ़ाने की आपके मित्र सलाह दे सकते हैं। संतान को किसी पिकनिक आदि पर लेकर जाने की योजना बना सकते हैं। आप अपने मनमौजी स्वभाव के कारण थोड़ा परेशान रहेंगे। किसी पुरानी गलती से आपको सबक लेना होगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन आपके लिए आज दिन अशांतिपूर्ण रहने वाला है। पारिवारिक तौर पर आपको कुछ समस्याएं हो सकती है, जिन्हें आप नजर अंदाज न करें, नहीं तो वह बढ़ सकती हैं। आप अपनी वाणी पर संयम रखें, नहीं तो आप किसी को कोई गलत बात बोल सकते हैं। आपको किसी नए काम को करने के लिए कोई डिसीजन लेने से बचना होगा। आपकी जल्दबाजी की आदत के कारण आपको समस्याएं आएगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपके लिए पार्टनरशिप में किसी काम को करने के लिए रहेगा। जीवनसाथी से यदि किसी बात को लेकर अनबन चल रही थी, तो वह भी दूर होगी। आपको अपने माताजी की बातों पर ध्यान देना होगा। परिवार में कुछ आपसी मतभेद हो सकते हैं। आपने यदि किसी अजनबी पर भरोसा किया, तो वह आपका कोई भारी नुकसान करवा सकता है। आपको अपने किसी काम को लेकर यात्रा पर जाना पड़ सकता है। किसी पैतृक संपत्ति की प्राप्ति हो सकती हैं।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन आपके लिए करियर के लिहाज से अच्छा रहने वाला है। आपको भाग दौड़कर तो थोड़ी अधिक रहेगी। आपके ऊपर जिम्मेदारी अधिक रहेगी, लेकिन अपने काम आसानी से पूरा कर सकेंगे। आपका रुका हुआ धन मिलने की संभावना है और सामाजिक क्षेत्रो में कार्यरत लोगों को किसी विशेष पद की प्राप्ति हो सकती है। इससे आपके जन समर्थन में भी इजाफा होगा। आप किसी से धन उधार लेने से बचें।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपके लिए सेहत के मामले में कमजोर रहने वाला है। प्रशासनिक मामलों में भी आपको पूरा ध्यान देना होगा। आप किसी वाद विवाद में ना पड़े, नहीं तो वह कानूनी हो सकता है। आपका कोई बिजनेस में नुकसान होने की संभावना है, इसलिए आप ज्यादा जिम्मेदारी किसी दूसरे पर ना डालें। आप अपनी बुद्धि से काम लें। आपको किसी यात्रा पर जाते समय वाहन सावधानी से चलना होगा, नहीं तो कोई दुर्घटना हो सकती है।

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“Every sunset is an opportunity to reset. Every sunrise begins with new eyes.”

~ Richie Norton