🙏🏻 हर हर महादेव🙏🏻
🌞 ~ वैदिक पंचांग ~ 🌞
🌤️ दिनांक – 28 मार्च 2025
🌤️ दिन – शुक्रवार
🌤️ विक्रम संवत – 2081
🌤️ शक संवत -1946
🌤️ अयन – उत्तरायण
🌤️ ऋतु – वसंत ॠतु
🌤️ मास – चैत्र (गुजरात-महाराष्ट्र फाल्गुन)
🌤️ पक्ष – कृष्ण
🌤️ तिथि – चतुर्दशी शाम 07:55 तक तत्पश्चात अमावस्या
🌤️ नक्षत्र – पूर्वभाद्रपद रात्रि 10:09 तक तत्पश्चात उत्तरभाद्रपद
🌤️ योग – शुक्ल 29 मार्च रात्रि 02:07 तक तत्पश्चात ब्रह्म
🌤️ राहुकाल – सुबह 11:12 से दोपहर 12:44 तक
🌤️ सूर्योदय – 06:36
🌤️ सूर्यास्त – 06:51
👉 दिशाशूल – पश्चिम दिशा मे
🚩 व्रत पर्व विवरण- पंचक
💥 विशेष- चतुर्दशी व अमावस्या एवं व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
भगवान से जुड़ने या महसूस करने के लिए मन को साधना जरुरी है
कहा भी जाता है कि; भगवान तो भाव के भूखे होते हैं। इसलिए हिन्दू धर्म ग्रंथों में भगवान की पूजा को अधिक फलदायी बनाने मन शुद्धि के लिए अनेक विधान बनाए गए हैं।उन्हीं में से एक श्रेष्ठ विधी है-
“शिव मानस पूजा” अर्थात्; मन से भगवान की पूजा।मन से कल्पित सामग्री द्वारा की जाने वाली पूजा को ही मानस पूजा कहा जाता है। मानस पूजा की रचना आदि गुरु शंकराचार्य जी ने की है।हिन्दू धर्म के पंच देवों में एक; भगवान शिव की मानस पूजा का विशेष महत्व माना गया है।
शिव को ऐसे देव के रुप में जाना जाता है; जो स्वयं सरल हैं, भोले हैं और मात्र बेलपत्र चढ़ाने, जल के अर्पण, यहां तक कि; शिव व्रत की कथानुसार अनजाने में की गई आराधना से भी प्रसन्न हो जाते हैं।भगवान शिव को सिर्फ भक्ति मार्ग द्वारा प्राप्त किया जा सकता है; अपितु किसी आडम्बर से नही।
“शिव मानस पूजा” में हम प्रभू को भक्ति द्वारा मानसिक रूप से तैयार की हुई वस्तुएं समर्पित करते हैं; अर्थात; किसी भी बाहरी वस्तुओं या पदार्थो का उपयोग नहीं किया जाता। मात्र मन के भावों मानस से ही भगवान को सभी पदार्थ अर्पित किए जाते हैं।
पुराणों में लिखा है कि; ब्रह्मर्षि नारद ने देवताओं के राजा इन्द्र को बताया कि; असंख्य बाहरी फूलों को देवताओं को चढाने से जो फल मिलता है, वही फल मात्र एक मानस फूल के अर्पण से ही हो जाता है। इसलिए मानस फूल श्रेष्ठ है।शास्त्रों में भगवान “शिव मानस पूजा” को हजार गुना अधिक महत्वपूर्ण बताया गया है। आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित
“शिव मानस पूजा” मंत्र में मन और मानसिक भावों से शिव की पूजा की गई है। इस पूजा की विशेषता यह है कि; इसमें भक्त भगवान को बिना कुछ अर्पित किए बिना मन से अपना सब कुछ सौंप देता है।
आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचे गए इस स्त्रोत में भगवान की ऐसी पूजा है जिसमें भक्त किसी भौतिक वस्तु को अर्पित किये बिना भी, मन से अपनी पूजा पूर्ण कर सकता है। आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा रचित शिव मानस पूजा, भगवान शिव की एक अनुठी स्तुति है।
यह स्तुति शिव भक्ति मार्ग के अत्यंत सरल एवं एक अत्यंत गुढ रहस्य को समझाता है। यह स्तुति भगवान भोलेनाथ की महान उदारता को प्रस्तुत करती है।इस स्तुति को पढ़ते हुए भक्तों द्वारा भगवान शिव को श्रद्धापूर्वक मानसिक रूप से समस्त पंचामृत दिव्य सामग्री समर्पित की जाती है।
“शिव मानस पूजा” में मन: कल्पित यदि एक फूल भी चढ़ा दिया जाए, तो करोड़ों बाहरी फूल चढ़ाने के बराबर होता है। इसी प्रकार मानस- चंदन, धूप, दीप नैवेद्य भी भगवान को करोड़ गुना अधिक संतोष देते हैं।
अत: मानस-पूजा बहुत अपेक्षित है।वस्तुत: भगवान को किसी वस्तु की आवश्यकता नहीं, वे तो भाव के भूखे हैं। संसार में ऐसे दिव्य पदार्थ उपलब्ध नहीं हैं, जिनसे परमेश्वर की पूजा की जा सके, इसलिए पुराणों में मानस-पूजा का विशेष महत्त्व माना गया है।
मानस-पूजा में भक्त अपने इष्ट साम्बसदाशिव को सुधासिंधु से आप्लावित कैलास-शिखर पर कल्पवृक्षों से आवृत कदंब-वृक्षों से युक्त मुक्तामणिमण्डित भवन में चिन्तामणि निर्मित सिंहासन पर विराजमान कराता है। स्वर्गलोक की मंदाकिनी गंगा के जल से अपने आराध्य को स्नान कराता है, कामधेनु गौ के दुग्ध से पंचामृत का निर्माण करता है।
वस्त्राभूषण भी दिव्य अलौकिक होते हैं। पृथ्वीरूपी गंध का अनुलेपन करता है। अपने आराध्य के लिए कुबेर की पुष्पवाटिका से स्वर्णकमल पुष्पों का चयन करता है। भावना से वायुरूपी धूप, अग्निरूपी दीपक तथा अमृतरूपी नैवेद्य भगवान को अर्पण करने की विधि है।
इसके साथ ही त्रिलोक की संपूर्ण वस्तु, सभी उपचार सच्चिदानंदघन परमात्मप्रभु के चरणों में भावना से भक्त अर्पण करता है।यह है- मानस-पूजा का स्वरूप। इसकी एक संक्षिप्त विधि पुराणों में वर्णित है।मानस पूजा साधक के मन को एकाग्र व शांत करती है।
शिव मानस पूजा में जितना समय भगवान के स्मरण और ध्यान में बीतता है अर्थात् व्यक्ति अन्तर जगत में रहता है, उतने ही समय वह बाहरी जगत से प्राप्त तनाव व विकारों से दूर रहकर मानसिक स्थिरता प्राप्त करता है। मानस पूजा में साधक बाहरी पूजा में आने वाली अनेक भय, बाधा और कठिनाईयों से मुक्त होता है।
साधक के पास भगवान के सेवा हेतु मानसी पूजा सामग्री जुटाने के लिये असीम क्षेत्र होता है। इसके लिये वह भूलोक से शिवलोक तक पहुँचकर भगवान की उपासना के लिये श्रेष्ठ व उत्तम साधन प्रयोग कर सकता है।
जैसे वह पृथ्वी रुपी चन्दन, आकाश रुपी फूल, वायुरुपी धूप, अग्निदेव रुपी दीपक, अमृत के समान नैवेद्य आदि से भगवान की पूजा कर सकता है। इस प्रकार वह बंधनमुक्त होकर भावनापूर्वक मानस पूजा कर सकता है।मानस पूजा में समय बीतने के साथ भक्त ईश्वर के अधिक समीप होता जाता है।
एक स्थिति ऐसी भी आती है, जब भक्त, भगवान और भावना एक हो जाते हैं। साधक स्वयं को निर्विकारी, वासनारहित स्थिति में पाता है और सरस हो जाता है। इससे बाहरी जगत और बाहरी पूजा भी आनंद भर जाती है।
इस स्तुति में मात्र कल्पना से शिव को सामग्री अर्पित की गई है और पुराण कहते हैं कि; साक्षात भगवान शिव ने इस पूजा को स्वीकार किया था।

श्री शिव मानस पूजा स्तोत्र
रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरंनानारत्नविभूषितं मृगमदामोदाङ्कितं चन्दनम्।जातीचम्पकबिल्वपत्ररचितं पुष्पं च धूपं तथादीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितं गृह्यताम्॥१॥सौवर्णे नवरत्नखण्डरचिते पात्रे घृतं पायसं भक्ष्यंपञ्चविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम् ।शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलं ताम्बूलंमनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु॥२॥छत्रं चामरयोर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निर्मलम्वीणाभेरिमृदङ्गकाहलकला गीतं च नृत्यं तथा।साष्टाङ्गं प्रणतिः स्तुतिर्बहुविधा ह्येतत्समस्तं मयासङ्कल्पेन समर्पितं तवविभो पूजां गृहाण प्रभो॥३॥आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहंपूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः।सञ्चारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वागिरोयद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम्॥४॥करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वाश्रवणनयनजं वा मानसंवापराधम्।विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्वजय जय करुणाब्धे श्रीमहादेवशम्भो॥५॥॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचिता शिवमानसपूजा संपूर्ण॥
श्री शिव मानस पूजा स्तोत्र
रत्नों से सजा हुआ आसन, बर्फ के जल से स्नान, दिव्य वस्त्र और विभिन्न रत्नों से सजी हुई पोशाक। मृग के मद से सुगंधित चंदन, चंपा, बिल्व पत्रों से सजा हुआ पुष्प, धूप और दीपक। हे दयानिधे पशुपते, मेरे हृदय में कल्पित यह पूजा स्वीकार करो।
सोने के नवरत्न जड़ित पात्र में घी, पायस, पंचविध भोजन, दधि, जल, रम्भा फल, पानक और विभिन्न शाक। कर्पूर से सुगंधित जल और ताम्बूल। मेरे मन से विरचित यह पूजा भक्ति से स्वीकार करो, प्रभो।
छत्र, चमर, व्यजन, दर्पण, वीणा, भेरी, मृदंग, आहलक और गीत। नृत्य और साष्टांग प्रणाम। विभिन्न प्रकार की स्तुति। यह सब मेरे संकल्प से समर्पित है, तवविभो पूजा स्वीकार करो।
तुम मेरे आत्मा हो, गिरिजा मेरी मति है, प्राण मेरे शरीर हैं और पूजा तुम्हारे विषयोपभोग की रचना है। निद्रा और समाधि में तुम्हारी स्थिति है। मेरे पदों का संचार और प्रदक्षिण विधि। स्तोत्र और सर्वागिरि। जो कुछ मैं करता हूं, वह सब तुम्हारी आराधना है, शम्भो।
मेरे कर्म, वाक्य, काय, मनस और श्रवण से होने वाले अपराध। विहित या अविहित, सभी अपराध क्षमा करो, जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो।
॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचिता शिवमानसपूजा संपूर्ण ॥
🌷 नवरात्रि पूजन विधि 🌷
➡ 30 मार्च 2025 रविवार से नवरात्रि प्रारंभ ।
🙏🏻 नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ भगवती के एक स्वरुप श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह क्रम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रातःकाल शुरू होता है। प्रतिदिन जल्दी स्नान करके माँ भगवती का ध्यान तथा पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम कलश स्थापना की जाती है।
➡ कलश / घट स्थापना विधि
🌷 घट स्थापना शुभ मुहूर्त (सुरत – गुजरात) :
30 मार्च 2025 रविवार को सुबह 06:34 से सुबह 10:40 तक
अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:19 से दोपहर 01:08 तक
🙏🏻 देवी पुराण के अनुसार मां भगवती की पूजा-अर्चना करते समय सर्वप्रथम कलश / घट की स्थापना की जाती है। घट स्थापना करना अर्थात नवरात्रि की कालावधि में ब्रह्मांड में कार्यरत शक्ति तत्त्व का घट में आवाहन कर उसे कार्यरत करना । कार्यरत शक्ति तत्त्व के कारण वास्तु में विद्यमान कष्टदायक तरंगें समूल नष्ट हो जाती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं।
🌷 सामग्री:
👉🏻 जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र
👉🏻 जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी
👉🏻 पात्र में बोने के लिए जौ
👉🏻 घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश (“हैमो वा राजतस्ताम्रो मृण्मयो वापि ह्यव्रणः” अर्थात ‘कलश’ सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी का छेद रहित और सुदृढ़ उत्तम माना गया है । वह मङ्गलकार्योंमें मङ्गलकारी होता है )
👉🏻 कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल
👉🏻 मौली
👉🏻 इत्र
👉🏻 साबुत सुपारी
👉🏻 दूर्वा
👉🏻 कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के
👉🏻 पंचरत्न
👉🏻 अशोक या आम के 5 पत्ते
👉🏻 कलश ढकने के लिए ढक्कन
👉🏻 ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल
👉🏻 पानी वाला नारियल
👉🏻 नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा
👉🏻 फूल माला
🌷 विधि
🙏🏻 सबसे पहले जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र लें। इस पात्र में मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब एक परत जौ की बिछाएं। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब फिर एक परत जौ की बिछाएं। जौ के बीच चारों तरफ बिछाएं ताकि जौ कलश के नीचे न दबे। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब कलश के कंठ पर मौली बाँध दें। कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक लिखें। अब कलश में शुद्ध जल, गंगाजल कंठ तक भर दें। कलश में साबुत सुपारी, दूर्वा, फूल डालें। कलश में थोडा सा इत्र डाल दें। कलश में पंचरत्न डालें। कलश में कुछ सिक्के रख दें। कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते रख दें। अब कलश का मुख ढक्कन से बंद कर दें। ढक्कन में चावल भर दें। श्रीमद्देवीभागवत पुराण के अनुसार “पञ्चपल्लवसंयुक्तं वेदमन्त्रैः सुसंस्कृतम्। सुतीर्थजलसम्पूर्णं हेमरत्नैः समन्वितम्॥” अर्थात कलश पंचपल्लवयुक्त, वैदिक मन्त्रों से भली भाँति संस्कृत, उत्तम तीर्थ के जल से पूर्ण और सुवर्ण तथा पंचरत्न मई होना चाहिए।
🙏🏻 नारियल पर लाल कपडा लपेट कर मौली लपेट दें। अब नारियल को कलश पर रखें। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है: “अधोमुखं शत्रु विवर्धनाय,ऊर्ध्वस्य वस्त्रं बहुरोग वृध्यै। प्राचीमुखं वित विनाशनाय,तस्तमात् शुभं संमुख्यं नारीकेलं”। अर्थात् नारियल का मुख नीचे की तरफ रखने से शत्रु में वृद्धि होती है।नारियल का मुख ऊपर की तरफ रखने से रोग बढ़ते हैं, जबकि पूर्व की तरफ नारियल का मुख रखने से धन का विनाश होता है। इसलिए नारियल की स्थापना सदैव इस प्रकार करनी चाहिए कि उसका मुख साधक की तरफ रहे। ध्यान रहे कि नारियल का मुख उस सिरे पर होता है, जिस तरफ से वह पेड़ की टहनी से जुड़ा होता है।
🙏🏻 अब कलश को उठाकर जौ के पात्र में बीचो बीच रख दें। अब कलश में सभी देवी देवताओं का आवाहन करें। “हे सभी देवी देवता और माँ दुर्गा आप सभी नौ दिनों के लिए इसमें पधारें।” अब दीपक जलाकर कलश का पूजन करें। धूपबत्ती कलश को दिखाएं। कलश को माला अर्पित करें। कलश को फल मिठाई अर्पित करें। कलश को इत्र समर्पित करें।
🌷 कलश स्थापना के बाद माँ दुर्गा की चौकी स्थापित की जाती है।
🙏🏻 नवरात्रि के प्रथम दिन एक लकड़ी की चौकी की स्थापना करनी चाहिए। इसको गंगाजल से पवित्र करके इसके ऊपर सुन्दर लाल वस्त्र बिछाना चाहिए। इसको कलश के दायीं ओर रखना चाहिए। उसके बाद माँ भगवती की धातु की मूर्ति अथवा नवदुर्गा का फ्रेम किया हुआ फोटो स्थापित करना चाहिए। मूर्ति के अभाव में नवार्णमन्त्र युक्त यन्त्र को स्थापित करें। माँ दुर्गा को लाल चुनरी उड़ानी चाहिए। माँ दुर्गा से प्रार्थना करें “हे माँ दुर्गा आप नौ दिन के लिए इस चौकी में विराजिये।” उसके बाद सबसे पहले माँ को दीपक दिखाइए। उसके बाद धूप, फूलमाला, इत्र समर्पित करें। फल, मिठाई अर्पित करें।
🙏🏻 नवरात्रि में नौ दिन मां भगवती का व्रत रखने का तथा प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का विशेष महत्व है। हर एक मनोकामना पूरी हो जाती है। सभी कष्टों से छुटकारा दिलाता है।
🙏🏻 नवरात्रि के प्रथम दिन ही अखंड ज्योत जलाई जाती है जो नौ दिन तक जलती रहती है। दीपक के नीचे “चावल” रखने से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है तथा “सप्तधान्य” रखने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते है
🙏🏻 माता की पूजा “लाल रंग के कम्बल” के आसन पर बैठकर करना उत्तम माना गया है
🙏🏻 नवरात्रि के प्रतिदिन माता रानी को फूलों का हार चढ़ाना चाहिए। प्रतिदिन घी का दीपक (माता के पूजन हेतु सोने, चाँदी, कांसे के दीपक का उपयोग उत्तम होता है) जलाकर माँ भगवती को मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए। मान भगवती को इत्र/अत्तर विशेष प्रिय है।
🙏🏻 नवरात्रि के प्रतिदिन कंडे की धुनी जलाकर उसमें घी, हवन सामग्री, बताशा, लौंग का जोड़ा, पान, सुपारी, कर्पूर, गूगल, इलायची, किसमिस, कमलगट्टा जरूर अर्पित करना चाहिए।
🙏🏻 लक्ष्मी प्राप्ति के लिए नवरात्रि में पान और गुलाब की ७ पंखुरियां रखें तथा मां भगवती को अर्पित कर दें
🙏🏻 मां दुर्गा को प्रतिदिन विशेष भोग लगाया जाता है। किस दिन किस चीज़ का भोग लगाना है ये हम विस्तार में आगे बताएँगे।
🙏🏻 प्रतिदिन कन्याओं का विशेष पूजन किया जाता है। श्रीमद्देवीभागवत पुराण के अनुसार “एकैकां पूजयेत् कन्यामेकवृद्ध्या तथैव च। द्विगुणं त्रिगुणं वापि प्रत्येकं नवकन्तु वा॥” अर्थात नित्य ही एक कुमारी का पूजन करें अथवा प्रतिदिन एक-एक-कुमारी की संख्या के वृद्धिक्रम से पूजन करें अथवा प्रतिदिन दुगुने-तिगुने के वृद्धिक्रम से और या तो प्रत्येक दिन नौ कुमारी कन्याओं का पूजन करें।
🙏🏻 यदि कोई व्यक्ति नवरात्रि पर्यन्त प्रतिदिन पूजा करने में असमर्थ हैं तो उसे अष्टमी तिथि को विशेष रूप से अवश्य पूजा करनी चाहिए। प्राचीन काल में दक्ष के यज्ञ का विध्वंश करने वाली महाभयानक भगवती भद्रकाली करोङों योगिनियों सहित अष्टमी तिथि को ही प्रकट हुई थीं।
नवरात्रि विशेष
==========
〰️🌼〰️〰️〰️〰️🌼
इन नौ औषधियों में वास है नवदुर्गा का
मां दुर्गा नौ रूपों में अपने भक्तों का कल्याण कर उनके सारे संकट हर लेती हैं।
इस बात का जीता जागता प्रमाण है, संसार में उपलब्ध वे औषधियां,जिन्हें मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों के रूप में जाना जाता है। नवदुर्गा के नौ औषधि स्वरूपों को सर्वप्रथम मार्कण्डेय चिकित्सा पद्धति के रूप में दर्शाया गया। चिकित्सा प्रणाली का यह रहस्य वास्तव में ब्रह्माजी ने दिया था जिसे बारे में दुर्गाकवच में संदर्भ मिल जाता है। ये औषधियां समस्त प्राणियों के रोगों को हरने वाली हैं।
शरीर की रक्षा के लिए कवच समान कार्य करती हैं। इनके प्रयोग से मनुष्य अकाल मृत्यु से बचकर सौ वर्ष जी सकता है। आइए जानते हैं दिव्य गुणों वाली नौ औषधियों को जिन्हें नवदुर्गा कहा गया है।
१ प्रथम शैलपुत्री यानि हरड़👉 नवदुर्गा का प्रथम रूप शैलपुत्री माना गया है। कई प्रकारकी समस्याओं में काम आने वाली औषधि हरड़, हिमावती है जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप हैं। यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है, जो सात प्रकार की होती है। इसमें हरीतिका (हरी) भय को हरने वाली है।
पथया – जो हित करने वाली है।
कायस्थ – जो शरीर को बनाए रखने वाली है।
अमृता – अमृत के समान
हेमवती – हिमालय पर होने वाली।
चेतकी -चित्त को प्रसन्न करने वाली है।
श्रेयसी (यशदाता)- शिवा यानी कल्याण करने वाली।
२ द्वितीय ब्रह्मचारिणी यानि ब्राह्मी👉 ब्राह्मी, नवदुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है। यह आयु और स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली, रूधिर विकारों का नाश करने वालीऔर स्वर को मधुर करने वाली है।
इसलिए ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है। यह मन एवं मस्तिष्क में शक्ति प्रदान करती है और गैस व मूत्र संबंधी रोगों की प्रमुख दवा है। यह मूत्र द्वारा रक्त विकारों को बाहर निकालने में समर्थ औषधि है। अत: इन रोगों से पीड़ित व्यक्ति को ब्रह्मचारिणी कीआराधना करना चाहिए।
३ तृतीय चंद्रघंटा यानि चन्दुसूर👉 नवदुर्गा का तीसरा रूप है चंद्रघंटा, इसे चन्दुसूर या चमसूर कहा गया है। यह एक ऐसा पौधा है जो धनिये के समान है। इस पौधे की पत्तियों की सब्जी बनाई जाती है, जो लाभदायक होती है।
यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है, इसलिए इसे चर्महन्ती भी कहते हैं। शक्ति को बढ़ाने वाली, हृदय रोग को ठीक करने वाली चंद्रिका औषधि है। अत: इस बीमारी से संबंधित रोगी को चंद्रघंटा की पूजा करना चाहिए।
४ चतुर्थ कुष्माण्डा यानि पेठा👉 नवदुर्गा का चौथा रूप कुष्माण्डा है। इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है, इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं।
इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक व रक्त के विकार को ठीक कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिकरूप से कमजोर व्यक्ति के लिए यह अमृत समान है। यह शरीर के समस्त दोषों को दूर कर हृदय रोग को ठीक करता है। कुम्हड़ा रक्त पित्त एवं गैस को दूर करता है। इन बीमारी से पीड़ितव्यक्ति को पेठा का उपयोग के साथ कुष्माण्डादेवी की आराधना करना चाहिए।
५ पंचम स्कंदमाता यानि अलसी👉 नवदुर्गा का पांचवा रूप स्कंदमाता है जिन्हें पार्वती एवं उमा भी कहते हैं। यह औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं। यह वात, पित्त, कफ, रोगों की नाशक औषधि है।
“अलसी नीलपुष्पी पावर्तती स्यादुमा क्षुमा।
अलसी मधुरा तिक्ता स्त्रिग्धापाके कदुर्गरु:।।
उष्णा दृष शुकवातन्धी कफ पित्त विनाशिनी।”
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति ने स्कंदमाता की आराधना करना चाहिए।
६ षष्ठम कात्यायनी यानि मोइया👉 नवदुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है। इसे आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका। इसके अलावा इसे मोइया अर्थात माचिका भी कहते हैं। यह कफ, पित्त, अधिक विकार एवं कंठ के रोग का नाश करती है।
इससे पीड़ित रोगी को इसका सेवन व कात्यायनी की आराधना करनी चाहिए।
७ सप्तम कालरात्रि यानि नागदौन👉 दुर्गा का सप्तम रूप कालरात्रि है जिसे महायोगिनी, महायोगीश्वरी कहा गया है।
यह नागदौन औषधि केरूप में जानी जाती है। सभी प्रकार के रोगों की नाशक सर्वत्र विजय दिलाने वाली मन एवं मस्तिष्क के समस्त विकारों को दूर करने वाली औषधि है। इस पौधे को व्यक्ति अपने घर में लगाने पर घर के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यह सुख देने वाली एवं सभी विषों का नाश करने वाली औषधि है। इस कालरात्रि की आराधना प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को करना चाहिए।
८ अष्टम महागौरी यानि तुलसी👉 नवदुर्गा का अष्टम रूप महागौरी है, जिसे प्रत्येक व्यक्ति औषधि के रूप में जानता है क्योंकि इसका औषधि नाम तुलसी है जो प्रत्येक घर में लगाई जाती है। तुलसी सात प्रकार की होती है- सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरुता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र।
ये सभी प्रकार की तुलसी रक्त को साफ करती है एवं हृदय रोग का नाश करती है।
“तुलसी सुरसा ग्राम्या सुलभा बहुमंजरी।
अपेतराक्षसी महागौरी शूलघ्नी देवदुन्दुभि:
तुलसी कटुका तिक्ता हुध उष्णाहाहपित्तकृत् ।
मरुदनिप्रदो हध तीक्षणाष्ण: पित्तलो लघु:।”
इस देवी की आराधना हर सामान्य एवं रोगी व्यक्ति को करना चाहिए।
९ नवम सिद्धिदात्री यानि शतावरी👉🏻 नवदुर्गा का नवम रूप सिद्धिदात्री है, जिसे नारायणी याशतावरी कहते हैं। शतावरी बुद्धि बल एवं वीर्य के लिए उत्तम औषधि है। यह रक्त विकार एवं वात पित्त शोध नाशक और हृदय को बल देने वाली महाऔषधि है।
सिद्धिदात्री का जो मनुष्य नियमपूर्वक सेवन करता है। उसके सभी कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति को सिद्धिदात्री देवी की आराधना करना चाहिए। इस प्रकार प्रत्येक देवी आयुर्वेद की भाषा में मार्कण्डेय पुराण के अनुसार नौ औषधि के रूप में मनुष्य की प्रत्येक बीमारी को ठीक कर रक्त का संचालन उचित एवं साफ कर मनुष्य को स्वस्थ करती है। अत: मनुष्य को इनकी आराधना एवं सेवन करना चाहिए।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
सर्व मंगलम मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्रयम्ब्के गौरी नारायणी नमो स्तुते।।
〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼
” सत्संग ”
〰️〰️〰️
हम जैसा चाहते हैं, वैसे ही भगवान् हमें मिलते हैं। दो भक्त थे। एक भगवान् श्रीराम का भक्त था, दूसरा भगवान् श्रीकृष्ण का। दोनों अपने-अपने भगवान् (इष्टदेव)-को श्रेष्ठ बतलाते थे। एक बार वे जंगल में गये। वहाँ दोनों भक्त अपने-अपने भगवान्को पुकारने लगे। उनका भाव यह था कि दोनों में से जो भगवान् शीघ्र आ जायँ वही श्रेष्ठ हैं। भगवान् श्रीकृष्ण शीघ्र प्रकट हो गए। इससे उनके भक्त ने उन्हें श्रेष्ठ बतला दिया। थोड़ी देर में भगवान् श्रीराम भी प्रकट हो गये। इसपर उनके भक्त ने कहा कि आपने मुझे हरा दिया; भगवान् श्रीकृष्ण तो पहले आ गये, पर आप देर से आये, जिससे मेरा अपमान हो गया ! भगवान् श्रीराम ने अपने भक्त से पूछा ‘तूने मुझे किस रूप में याद किया था?’ भक्त बोला ‘राजाधिराज के रूप में, तब भगवान् श्रीराम बोले‘बिना सवारी के राजाधिराज कैसे आ जायँगें। पहले सवारी तैयार होगी, तभी तो वे आयँगें!’ कृष्ण-भक्त से पूछा गया तो उसने कहा ‘मैंने तो अपने भगवान् को गाय चराने वाले के रूप में याद किया था कि वे यहीं जंगल में गाय चराते होंगें।’ इसीलिये वे पुकारते ही तुरन्त प्रकट हो गए।
दुःशासन के द्वारा भरी सभा में चीर खींचे जाने के कारण द्रौपदी ने ‘द्वारका-वासिन् कृष्ण’ कहकर भगवान् को पुकारा, तो भगवान् के आने में थोड़ी देर लगी। इस पर भगवान् ने द्रौपदी से कहा कि तूने मुझे ‘द्वारका-वासिन, (द्वारका में रहने वाले) कहकर पुकारा, इसलिये मुझे द्वारका जाकर फिर वहाँ से आना पड़ा। यदि तू कहती कि यहीं से आ जाओ तो मैं यहीं से प्रकट हो जाता।
भगवान् सब जगह हैं। जहाँ हम हैं, वहीं भगवान् भी हैं। भक्त जहाँ से भगवान् को बुलाता है, वहीं से भगवान् आते हैं। भक्त की भावना के अनुसार ही भगवान् प्रकट होते हैं
हरे कृष्णा हरि बोल
🙏Radhe Radhe🙏
पंचक
26 मार्च, 2025 (बुधवार) को दोपहर 3:14 बजे शुरू होकर 30 मार्च, 2025 (रविवार) को शाम 4:35 बजे समाप्त होगा.
🙏🍀🌷🌻🌺🌸🌹🍁🙏
जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं बधाई और शुभ आशीष
दिनांक 28 को जन्मे व्यक्ति राजसी प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। 2 और 8 आपस में मिलकर 10 होते हैं। इस तरह आपका मूलांक 1 होगा। आपको अपने ऊपर किसी का शासन पसंद नहीं है। आप साहसी और जिज्ञासु हैं। आपका मूलांक सूर्य ग्रह के द्वारा संचालित होता है। आप अत्यंत महत्वाकांक्षी हैं।
आप आशावादी होने के कारण हर स्थिति का सामना करने में सक्षम होते हैं। आप सौन्दर्यप्रेमी हैं। आपमें सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला आपका आत्मविश्वास है। इसकी वजह से आप सहज ही महफिलों में छा जाते हैं। आपकी मानसिक शक्ति प्रबल है। आपको समझ पाना बेहद मुश्किल है।
शुभ दिनांक : 1, 10, 20, 28
शुभ अंक : 1, 10, 20, 28, 37, 46, 55, 64, 73, 82
शुभ वर्ष : 2026, 2044, 2053, 2062
ईष्टदेव : सूर्य उपासना तथा मां गायत्री
शुभ रंग : लाल, केसरिया, क्रीम,
जन्मतिथि के अनुसार भविष्यफल :
नौकरीपेशा के लिए समय उत्तम हैं। पदोन्नति के योग हैं। यह वर्ष आपके लिए अत्यंत सुखद रहेगा। अधूरे कार्यों में सफलता मिलेगी। पारिवारिक मामलों में महत्वपूर्ण कार्य होंगे। अविवाहितों के लिए सुखद स्थिति बन रही है। विवाह के योग बनेंगे। बेरोजगारों के लिए भी खुशखबर है इस वर्ष आपकी मनोकामना पूरी होगी। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह वर्ष उत्तम रहेगा।
🙏🏻आज का राशिफल 🙏🏻
मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
सामाजिक दृष्टिकोण से आज का दिन मान-सम्मान दिलाने वाला रहेगा लेकिन अहम् की भावना भी अधिक रहेगी। आसपड़ोसी आज आपके किसी महत्त्वपूर्ण कार्य में सहयोगी भूमिका निभायेंगे। व्यवसायियो को व्यवसाय में प्रारंभिक निराशा के बाद आकस्मिक उछाल आने से धन की आमद निश्चित होगी। नौकरीपेशा जातक थकान के कारण आलस्य में रहेंगे। अधिकारियो से सावधान रहें। परिवार में किसी रिश्तेदार की वजह से भ्रामक स्थिति बन सकती है गलतफहमियों को मिल बैठ कर दूर करें। संध्या का समय पूरे दिन की अपेक्षा शांत एवं लाभ दायक रहेगा। पुराने निवेश से भी लाभ की संभावना है।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आपके अंदर परोपकार की भावना रहेगी। लेकिन सामजिक व्यवहारों के प्रति नीरसता दिखायेगे आस पास की घटनाओं को जानते हुए भी अनदेखा करेंगे यह मनोवृति मानसिक रूप से शांत रखेगी लेकिन व्यवहारिकता में कमी का कारण भी बन सकती है। व्यवसाय में आज आकस्मिक लाभ के योग भी बन रहे है परन्तु यहाँ भी लापरवाही के चलते आशानुकूल काम नहीं होगा नए कार्य मिलते मिलते निरस्त अथवा किसी अन्य व्यक्ति के हाथ में जा सकते है। गृहस्थ में आज अधिक आसक्ति रहेगी विपरीत लिंगीय के प्रति शीघ्र आकर्षित हो जाएंगे। महिलाओं से विवेकी व्यवहार करें।
आध्यत्म में निष्ठां होने पर भी रूचि कम ही रहेगी।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आप धार्मिक गतिविधियों में अधिक सक्रियता दिखाएंगे तंत्र मंत्र एवं गुड़ विषयो के नए अनुभव मिलेंगे परिस्थितयां प्रतिकूल रहने के कारण इससे मानसिक शांति अवश्य मिलेगी। कार्य क्षेत्र पर जल्दबाजी में कोई निर्णय ना लें अन्यथा हानि हो सकती है। आज आपको आवश्यकता पड़ने पर सहयोग नहीं मिल सकेगा जिससे कार्य अधूरे रह सकते है। घरेलु उलझने आज भी बनी रहेंगी महिलाये आर्थिक रूप से अन्य की तुलना में स्वयं को न्यून समझेंगी। पारिवारिक मतभेद में भी धन विशेष कारण रहेगा। आकस्मिक क्रोध आस-पास का वातावरण अशान्त बनायेगा। संताने मन मर्जी करेंगी।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन आपके सभी कार्य आशा के विपरीत रहने वाले है। स्वास्थ्य भी अचानक बिगड़ने से कार्य करने में असहजता होगी सेहत की अनदेखी करके कार्यो में लगे रहेंगे फिर भी आज लाभ पाने में विघ्न अधिक रहेंगे। व्यवसाय एवं घर में लोगो की बेवजह रोका-टोकी के कारण मन क्षुब्ध रहेगा। क्रोध भी स्वभावानुसार अधिक रहेगा परन्तु स्थिति को भांप कर नियंत्रण में रखेंगे। दोपहर के बाद के समय थोड़ा लाभ अवश्य होगा लेकिन खर्च अनियंत्रित होने पर बचत नहीं कर पाएंगे। किसी महिला के कारण सामाजिक क्षेत्र पर किरकिरी हो सकती है। पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति करने में असहजता अनुभव करेंगे।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आप अधिक व्यस्त रहेंगे व्यवसाय एवं घर के कार्य एक साथ आने से थोड़ी परेशानी रहेगी फिर भी तालमेल बैठा लेंगे। व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा के कारण बौद्धिक परिश्रम अधिक करना पड़ेगा लेकिन परिणाम आपकी आशा के अनुरूप ही रहेगा। मध्यान के समय आकस्मिक धन प्राप्ति होगी। आज दिनचर्या में कुछ परिवर्तन भी करना पड़ेगा असुविधा होने पर भी सामाजिक संबंधों में निकटता आएगी। आज बुजुर्ग एवं समाज के सम्मानित व्यक्तियों की कृपा दृष्टि रहने से धन एवं सम्मान दोनों मिलेंगे। महिलाये धर्म-कर्म में अधिक रूचि लेंगी परन्तु खान-पान असंयमित रहने से पेट सम्बंधित शिकायत होगी।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आपकी सोची योजनाएं असफल होने की संभावना है कार्यो में पहले सफलता मिलती नजर आएगी लेकिन अंत समय में कोई व्यवधान आएगा। धन सम्बंधित व्यवहारों में आज स्पष्टता रखें आज आर्थिक विषयो को लेकर किसी से विवाद ना हो ध्यान रहे। असंयमित दिनचर्या का सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। भोजन एवं आराम में लापरवाही न करें। सरकार विरोधी गतिविधियों के कारण मान हानि हो सकती है सावधानी बरतें। महिला वर्ग किसी कारण से क्रोधित रहेंगी परिवार में धन एवं सेहत सम्बंधित परेशानी बन सकती है। गूढ़ रहस्यों में ज्यादा ना पढ़ें मानसिक रूप से विचलित होने की सम्भवना है।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आप यात्रा की योजना बनाएंगे परन्तु अंत समय में निर्णय की स्थिति के कारण स्थगित करनी पड़ सकती है। नौकरी व्यवसाय में परिश्रम के बाद स्थित पूर्णतः आपके नियंत्रण में रहेगी। नए कार्य का आरम्भ भविष्य के लिए लाभदायक सिद्ध होगा। विदेश सम्बंधित व्यवसाय में आकस्मिक वृद्वि के योग है इसमें निवेश अत्यन्त शुभ रहेगा। महिलाये भी पुरुषों को टक्कर देंगी कार्य क्षेत्र पर एक कदम आगे रहेंगी लेकिन गृहस्थ में तालमेल की कमी रह सकती है कार्य बोझ के कारण चिड़चिड़ा स्वभाव रहेगा। धर्म कर्म के प्रति अरुचि आएगी। महिलाओं के लिए आज मौन साधन उपयुक्त रहेगा।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आपके लिये आज का दिन कष्ट वाला रहेगा। घरेलु कलह के कारण दिनचर्या अस्त-व्यस्त रहेगी। असंयमित खान पान के कारण सेहत खराब हो सकती है। वाणी में तीखापन कार्य क्षेत्र पर नुक्सान कराएगा पारिवारिक वातावरण भी व्यवहार शून्यता के कारण बिगडेगा। महिला वर्ग को आज प्रसन्न रखने का प्रयास करें अन्यथा घर में उथल-पुथल निश्चित है। नौकरी वाली महिलाएं अपने कार्य क्षेत्र से असंतुष्ट रहेंगी सहकर्मियो के अनैतिक कार्य के कारण विवाद रहेगा परन्तु विजय आपकी ही होगी। व्यवसायी लोग अधिक व्यस्तता के कारण लापरवाही से कार्य करेंगे लेकिन धन की आमद होने से आर्थिक रूप से निराश नहीं होंगे।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आप आत्मनिर्भर होकर कोई भी कार्य नहीं कर पाएंगे अधिकांश कार्यो में किसी की सहायता की आवश्यकता पड़ेगी परन्तु कार्यो में मार्गदर्शन के बाद भी सफलता आज संदिग्ध ही रहेगी। स्वार्थी मनोवृति रहेगी जिस वजह से आलोचना भी हो सकती है। आज आप जैसा अपने लिए पसन्द करते है वैसा व्यवहार अन्य के साथ नहीं करेंगे। धन लाभ आज मुश्किल से ही होगा। पारिवारिक वातावरण से असंतोष रहेगा। परिजनों का व्यवहार अनापेक्षित रहने से मानसिक रूप से अशान्त रहेंगे। महिला वर्ग छोटी-छोटी बातों पर नाराजगी दिखाएंगी। सेहत में अकस्मात गिरावट आएगी।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन परिस्थितियों में थोड़ा सुधार रहेगा। नौकरी व्यवसाय सम्बंधित कार्यो के प्रति अधिक गंभीर रहेंगे। अधूरे कार्यो को आज पहले पूर्ण करेंगे बाद में ही अन्य कार्य आरम्भ करेंगे। भावुकता आज अधिक रहेगी जिससे मामूली बातों को प्रतिष्ठा से जोड़ेने पर मन दुःख के प्रसंग बनेंगे। महिलाओं का मिजाज पल-पल में बदलेगा जिससे अन्य लोगो को समझने में परेशानी होगी। सामाजिक क्षेत्र पर भी आज महिलाओं की छवि गर्म मिजाज वाली बनेगी। धार्मिक यात्रा के प्रसंग बनेंगे परन्तु यथा संभव निरस्त करें। कही-सुनी बातों पर यकीन ना करें सम्मानित व्यक्तियों से सम्बन्ध ख़राब हो सकते है।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आपका आज का दिन मिला जुला रहेगा। मन के विचार पल में बदलने से निर्णय लेने में परेशानी होगी अथवा निर्णय जल्दबाजी में लेने से गलत सिद्ध होंगे। सम्बन्धो को लेकर आज अत्यन्त भावुक रहेंगे पारिवारिक सदस्यों के प्रति आदर का भाव रखेंगे परन्तु आपके प्रति परिजनों की शंकालु वृति रहने से मन दुखी होगा। धार्मिक कार्यो में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेंगे खर्च भी सीमा से अधिक करेंगे जिससे आर्थिक कठिनाइया उपस्थित होंगी। आज आपको घर की अपेक्षा सामाजिक कार्य अधिक प्रभावित करेंगे। कार्य व्यवसाय में दिन भर की मेहनत का फल विलम्ब से मिलेगा धन लाभ अवश्य होगा।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन आपकी राशि से द्वादश चंद्र सम्बन्धो अथवा आर्थिक मामलो में अवश्य हानि कराएगा। प्रत्येक कार्यो को।करने से पहके भली भांति जांच परख लें। छोटी सी गलती भी बड़ी हानि करा सकती है। व्यवसायी वर्ग को नए कार्यानुबंध मिल सकते है इनसे भविष्य में लाभ भी निश्चित होगा। सरकारी कार्य अंतिम चरण में पहुच कर अटक जाएगे फिर भी प्रयास जारी रखें सफलता विलम्ब से ही सही अवश्य मिलेगी। कार्य क्षेत्र पर किसी की दखलंदाजी के कारण वैर विरोध बढेगा। आज आप अपने काम से काम रखे बिना मांगे सलाह ना दें। सन्तानो के विषय में जानकारी रखें गृहस्थ में धैर्य से काम् लें। संध्या से शुभ फल मिलने लगेंगे।
Leave a Reply