Vaidik Panchang 27/03/2025 चरणामृत लेने के बाद सिर पर हाथ रखना सही है या नहीं

🙏🏻 हर हर महादेव🙏🏻
🌞 ~वैदिक पंचांग ~ 🌞

🌤️ दिनांक – 27 मार्च 2025
🌤️ दिन – गुरूवार
🌤️ विक्रम संवत – 2081
🌤️ शक संवत -1946
🌤️ अयन – उत्तरायण
🌤️ ऋतु – वसंत ॠतु
🌤️ मास – चैत्र (गुजरात-महाराष्ट्र फाल्गुन)
🌤️ पक्ष – कृष्ण
🌤️ तिथि – त्रयोदशी रात्रि 11:03 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
🌤️ नक्षत्र – शतभिषा रात्रि 12:34 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद
🌤️ योग – साध्य सुबह 09:25 तक तत्पश्चात शुभ
🌤️ राहुकाल – दोपहर 02:16 से शाम 03:48 तक
🌤️ सूर्योदय – 06:37
🌤️ सूर्यास्त – 06:50
👉 दिशाशूल – दक्षिण दिशा मे
🚩 व्रत पर्व विवरण- प्रदोष व्रत,मासिक शिवरात्रि,वारूणी योग (सूर्योदय से सूर्यास्त तक),पंचक
💥 विशेष- त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।
🌷 वारुणी योग 🌷
🙏🏻 वारुणी योग चैत्र माह में बनने वाला एक पुण्यप्रद महायोग है जिसका वर्णन विभिन्न पुराणों में मिलता है। यह महायोग तीन प्रकार का होता है।
🙏🏻 चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को शतभिषा और शनिवार हो तो महावारुणी
🙏🏻 चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को वारुण नक्षत्र (शतभिषा) हो तो वारुणी योग (27 मार्च 2025 गुरुवार को (सूर्योदय से सूर्यास्त तक)
🙏🏻 चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को शतभिषा नक्षत्र, शनिवार और शुभ योग (कुल 27 योगों में से 23वां योग) हो तो महामहावारुणी पर्व होता है।
🙏🏻 इस महायोग में गंगा आदि तीर्थ स्थानों में स्नान, दान और उपवास करने से करोड़ों सूर्य ग्रहणों के समान फल प्राप्त होता है।
🌷 आइये देखते हैं विभिन्न शास्त्र क्या कहते हैं
🙏🏻 भविष्यपुराण के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यदि शनिवार या शतभिषा से युक्त हो तो वह महावारुणी पर्व कहलाता है | इसमें किया गया स्नान, दान एवं श्राद्ध अक्षय होता है।
🌷 चैत्रे मासि सिताष्टम्यां शनौ शतभिषा यदि । गंगाया यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा ।।
सेयं महावारुणीति ख्याता कृष्णत्रयोदशी । अस्यां स्नानं च दानं च श्राद्धं वाक्षयमुच्यते ।।
🌷 नारदपुराण
वारुणेन समायुक्ता मधौ कृष्णा त्रयोदशी ।।
गंगायां यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा ।। ४०-२० ।।
🌷 स्कन्दपुराण
“वारुणेन समायुक्ता मधौ कृष्णा त्रयोदशी। गङ्गायां यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा॥
शनिवारसमायुक्ता सा महावारुणी स्मृता। गङ्गायां यदि लभ्येत कोटिसूर्यग्रहैः समा॥”
🌷 देवीभागवत पुराण
“वारुणं कालिकाख्यञ्च शाम्बं नन्दिकृतं शुभम्।
सौरं पाराशरप्रोक्तमादित्यं चातिविस्तरम्॥”
🌷 त्रिस्थलीसेतु
चैत्रासिते वारुणऋक्षयुक्ता त्रयोदशी सूर्यसुतस्य वारे।
योगे शुभे सा महती महत्या गंगाजलेर्कग्रहकोटितुल्या।।
💥 27 मार्च 2025 गुरुवार को सूर्योदय से सूर्यास्त 10:49 तक वारुणी योग है ।

🌷 नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए 🌷
➡️ 29 मार्च 2025 शनिवार को चैत्री अमावस्या एवं दर्श अमावस्या है।
🏡 घर में हर अमावस अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनेर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।
🙏🏻

🌷 अमावस्या 🌷
🙏🏻 अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है (विष्णु पुराण)

🌷 धन-धान्य व सुख-संम्पदा के लिए 🌷
🔥 हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें।
🍛 सामग्री : १. काले तिल, २. जौं, ३. चावल, ४. गाय का घी, ५. चंदन पाउडर, ६. गूगल, ७. गुड़, ८. देशी कर्पूर, गौ चंदन या कण्डा।
🔥 विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवनकुंड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये देवताओं की १-१ आहुति दें।
🔥 आहुति मंत्र 🔥
🌷 १. ॐ कुल देवताभ्यो नमः
🌷 २. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः
🌷 ३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः
🌷 ४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः
🌷 ५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः

अग्निदेव कौन हैं,और क्या है इनकी पौराणिक कथा

अग्निदेवता यज्ञ के प्रधान अंग हैं। ये सर्वत्र प्रकाश करने वाले एवं सभी पुरुषार्थों को प्रदान करने वाले हैं। सभी रत्न अग्नि से उत्पन्न होते हैं और सभी रत्नों को यही धारण करते हैं।

वेदों में सर्वप्रथम ऋग्वेद का नाम आता है और उसमें प्रथम शब्द अग्नि ही प्राप्त होता है। अत: यह कहा जा सकता है कि विश्व-साहित्य का प्रथम शब्द अग्नि ही है। ऐतरेय ब्राह्मण आदि ब्राह्मण ग्रन्थों में यह बार-बार कहा गया है कि देवताओं में प्रथम स्थान अग्नि का है।

आचार्य यास्क और सायणाचार्य ऋग्वेद के प्रारम्भ में अग्नि की स्तुति का कारण यह बतलाते हैं कि अग्नि ही देवताओं में अग्रणी हैं और सबसे आगे-आगे चलते हैं। युद्ध में सेनापति का काम करते हैं इन्हीं को आगे कर युद्ध करके देवताओं ने असुरों को परास्त किया था।

पुराणों के अनुसार इनकी पत्नी स्वाहा हैं। ये सब देवताओं के मुख हैं और इनमें जो आहुति दी जाती है, वह इन्हीं के द्वारा देवताओं तक पहुँचती है। केवल ऋग्वेद में अग्नि के दो सौ सूक्त प्राप्त होते हैं।

इसी प्रकार यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद में भी इनकी स्तुतियाँ प्राप्त होती हैं। ऋग्वेद के प्रथम सूक्त में अग्नि की प्रार्थना करते हुए विश्वामित्र के पुत्र मधुच्छन्दा कहते हैं कि मैं सर्वप्रथम अग्निदेवता की स्तुति करता हूँ, जो सभी यज्ञों के पुरोहित कहे गये हैं। पुरोहित राजा का सर्वप्रथम आचार्य होता है और वह उसके समस्त अभीष्ट को सिद्ध करता है। उसी प्रकार अग्निदेव भी यजमान की समस्त कामनाओं को पूर्ण करते हैं।

अग्निदेव की सात जिह्वाएँ बतायी गयी हैं। उन जिह्वाओं के नाम : – काली,कराली, मनोजवा,
सुलोहिता,धूम्रवर्णी, स्फुलिंगी तथा विश्वरुचि हैं।

पुराणों के अनुसार अग्निदेव की पत्नी स्वाहा के पावक, पवमान और शुचि नामक तीन पुत्र हुए। इनके पुत्र-पौत्रों की संख्या उनंचास है। भगवान कार्तिकेय को अग्निदेवता का भी पुत्र माना गया है। स्वारोचिष नामक द्वितीय स्थान पर परिगणित हैं। ये आग्नेय कोण के अधिपति हैं। अग्नि नामक प्रसिद्ध पुराण के ये ही वक्ता हैं। प्रभास क्षेत्र में सरस्वती नदी के तट पर इनका मुख्य तीर्थ है। इन्हीं के समीप भगवान कार्तिकेय, श्राद्धदेव तथा गौओं के भी तीर्थ हैं।

अग्निदेव की कृपा के पुराणों में अनेक दृष्टान्त प्राप्त होते हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं। महर्षि वेद के शिष्य उत्तंक ने अपनी शिक्षा पूर्ण होने पर आचार्य दम्पति से गुरु दक्षिणा माँगने का निवेदन किया। गुरु पत्नी ने उनसे महाराज पौष्य की पत्नी का कुण्डल माँगा। उत्तंक ने महाराज के पास पहुँचकर उनकी आज्ञा से महारानी से कुण्डल प्राप्त किया।

रानी ने कुण्डल देकर उन्हें सतर्क किया कि आप इन कुण्डलों को सावधानी से ले जाइयेगा, नहीं तो तक्षक नाग कुण्डल आप से छीन लेगा। मार्ग में जब उत्तंक एक जलाशय के किनारे कुण्डलों को रखकर सन्ध्या करने लगे तो तक्षक कुण्डलों को लेकर पाताल में चला गया।

अग्निदेव की कृपा से ही उत्तंक दुबारा कुण्डल प्राप्त करके गुरु पत्नी को प्रदान कर पाये थे। अग्निदेव ने ही अपनी ब्रह्मचारी भक्त उपकोशल को ब्रह्मविद्या का उपदेश दिया था।

अग्नि की प्रार्थना उपासना से यजमान धन, धान्य, पशु आदि समृद्धि प्राप्त करता है। उसकी शक्ति, प्रतिष्ठा एवं परिवार आदि की वृद्धि होती है।

अग्निदेव का बीजमन्त्र रं तथा मुख्य मन्त्र रं वह्निचैतन्याय नम: है।

ऋग्वेद के अनुसार,अग्निदेव अपने यजमान पर वैसे ही कृपा करते हैं, जैसे राजा सर्वगुणसम्पन्न वीर पुरुष का सम्मान करता है। एक बार अग्नि अपने हाथों में अन्न धारण करके गुफा में बैठ गए। अत: सब देवता बहुत भयभीत हुए। अमर देवताओं ने अग्नि का महत्व ठीक से नहीं पहचाना था।

वे थके पैरों से चलते हुए ध्यान में लगे हुए अग्नि के पास पहुँचे। मरुतों ने तीन वर्षों तक अग्नि की स्तुति की। अंगिरा ने मंत्रों द्वारा अग्नि की स्तुति तथा पणि नामक असुर को नाद से ही नष्ट कर डाला। देवताओं ने जांघ के बल बैठकर अग्निदेव की पूजा की। अंगिरा ने यज्ञाग्नि धारण करके अग्नि को ही साधना का लक्ष्य बनाया।

तदनन्तर आकाश में ज्योतिस्वरूप सूर्य और ध्वजस्वरूप किरणों की प्राप्ति हुई। देवताओं ने अग्नि में अवस्थित इक्कीस गूढ़ पद प्राप्त कर अपनी रक्षा की।[3] अग्नि और सोम ने युद्ध में बृसय की सन्तान नष्ट कर डाली तथा पणि की गौएं हर लीं।[4] अग्नि के अश्वों का नाम रोहित तथा रथ का नाम धूमकेतु है।[5]

महाभारत के अनुसार : – देवताओं को जब पार्वती से शाप मिला था कि वे सब सन्तानहीन रहेंगे, तब अग्निदेव वहाँ पर नहीं थे। कालान्तर में विद्रोहियों को मारने के लिए किसी देवपुत्र की आवश्यकता हुई। अत: देवताओं ने अग्नि की खोज आरम्भ की। अग्निदेव जल में छिपे हुए थे। मेढ़क ने उनका निवास स्थान देवताओं को बताया। अत: अग्निदेव ने रुष्ट होकर उसे जिह्वा न होने का शाप दिया। देवताओं ने कहा कि वह फिर भी बोल पायेगा। अग्निदेव किसी दूसरी जगह पर जाकर छिप गए।

हाथी ने देवताओं से कहा-अश्वत्थ (सूर्य का एक नाम) अग्नि रूप है। अग्नि ने उसे भी उल्टी जिह्वा वाला कर दिया। इसी प्रकार तोते ने शमी में छिपे अग्नि का पता बताया तो वह भी शापवश उल्टी जिह्वा वाला हो गया। शमी में देवताओं ने अग्नि के दर्शन करके तारक के वध के निमित्त पुत्र उत्पन्न करने को कहा। अग्नि देव शिव के वीर्य का गंगा में आधान करके कार्तिकेय के जन्म के निमित्त बने।

भृगु पत्नी पुलोमा का पहले राक्षस पुलोमन से विवाह हुआ था। जब भृगु अनुपस्थित थे, वह पुलोमा को लेने आया तो उसने यज्ञाग्नि से कहा कि वह उसकी है या भृगु की भार्या। उसने उत्तर दिया कि यह सत्य है कि उसका प्रथम वरण उसने (राक्षस) ही किया था, लेकिन अब वह भृगु की पत्नी है।

जब पुलोमन उसे बलपूर्वक ले जा रहा था, उसके गर्भ से ‘च्यवन’ गिर गए और पुलोमन भस्म हो गया। उसके अश्रुओं से ब्रह्मा ने ‘वसुधारा नदी’ का निर्माण किया। भृगु ने अग्नि को शाप दिया कि तू हर पदार्थ का भक्षण करेगी। शाप से पीड़ित अग्नि ने यज्ञ आहुतियों से अपने को विलग कर लिया, जिससे प्राणियों में हताशा व्याप्त हो गई।

ब्रह्मा ने उसे आश्वासन दिया कि वह पूर्ववत् पवित्र मानी जाएगी। सिर्फ़ मांसाहारी जीवों की उदरस्थ पाचक अग्नि को छोड़कर उसकी लपटें सर्व भक्षण में समर्थ होंगी। अंगिरस ने अग्नि से अनुनय किया था कि वह उसे अपना प्रथम पुत्र घोषित करें, क्योंकि ब्रह्मा द्वारा नई अग्नि स्रजित करने का भ्रम फैल गया था। अंगिरस से लेकर बृहस्पति के माध्यम से अन्य ऋषिगण अग्नि से संबद्ध रहे हैं।

हरिवंश पुराण के अनुसार ,असुरों के द्वारा देवताओं की पराजय को देखकर अग्नि ने असुरों को मार डालने का निश्चय किया। वे स्वर्गलोक तक फैली हुई ज्वाला से दानवों की दग्ध करने लगे। मय तथा शंबरासुर ने माया द्वारा वर्षा करके अग्नि को मंद करने का प्रयास किया, किन्तु बृहस्पति ने उनकी आराधना करके उन्हें तेजस्वी रहने की प्रेरणा दी। फलत: असुरों की माया नष्ट हो गई।

जातवेदस् नामक अग्नि का एक भाई था। वह हव्यवाहक (यज्ञ-सामग्री लाने वाला) था। दिति-पुत्र (मधु) ने देवताओं के देखते-देखते ही उसे मार डाला। अग्नि गंगाजल में आ छिपा। देवता जड़वत् हो गए। अग्नि के बिना जीना कठिन लगा तो वे सब उसे खोजते हुए गंगाजल में पहुँचे। अग्नि ने कहा, भाई की रक्षा नहीं हुई, मेरी होगी, यह कैसे सम्भव है? देवताओं ने उसे यज्ञ में भाग देना आरम्भ किया। अग्नि ने पूर्ववत् स्वर्गलोक तथा भूलोक में निवास आरम्भ कर दिया। देवताओं ने जहाँ अग्नि प्रतिष्ठा की, वह स्थान अग्नितीर्थ कहलाया।

दक्ष की कन्या (स्वाहा) का विवाह अग्नि (हव्यवाहक) से हुआ। बहुत समय तक वह नि:सन्तान रही। उन्हीं दिनों तारक से त्रस्त देवताओं ने अग्नि को सन्देशवाहक बनाकर शिव के पास भेजा। शिव से देवता ऐसा वीर पुत्र चाहते थे, जो कि तारक का वध कर सके।

पत्नी के पास जाने में संकोच करने वाले अग्नि ने तोते का रूप धारण किया और एकान्तविलासी शिव-पार्वती की खिड़की पर जा बैठा। शिव ने उसे देखते ही पहचान लिया तथा उसके बिना बताये ही देवताओं की इच्छा जानकर शिव ने उसके मुँह में सारा वीर्य उड़ेल दिया। शुक (अग्नि) इतने वीर्य को नहीं सम्भाल पाए।

उसने वह गंगा के किनारे कृत्तिकाओं में डाल दिया, जिनसे कार्तिकेय का जन्म हुआ। थोड़ा-सा बचा हुआ वीर्य वह पत्नी के पास ले गया। उसे दो भागों में बाँटकर स्वाहा को प्रदान किया, अत: उसने (स्वाहा ने) दो शिशुओं को जन्म दिया। पुत्र का नाम सुवर्ण तथा कन्या का नाम सुवर्णा रखा गया। मिश्र वीर्य सन्तान होने के कारण वे दोनों व्यभिचार दोष से दूषित हो गए।

सुवर्णा असुरों की प्रियाओं का रूप बनाकर असुरों के साथ घूमती थी तथा सुवर्ण देवताओं का रूप धारण करके उनकी पत्नियों को ठगता था। सुर तथा असुरों को ज्ञात हुआ तो उन्होंने दोनों को सर्वगामी होने का शाप दिया। ब्रह्मा के आदेश पर अग्नि ने गोमती नदी के तट पर, शिवाराधना से शिव को प्रसन्न कर दोनों को शापमुक्त करवाया। वह स्थान तपोवन कहलाया।

चरणामृत

अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्।
विष्णो: पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ।।

“अर्थात भगवान विष्णु के चरण का अमृतरूपी जल समस्त पाप-व्याधियों का शमन करने वाला  तथा औषधि के समान है, जो चरणामृत पीता है उसका पुनः जन्म नहीं होता।

जल तब तक जल ही रहता है जब तक भगवान के चरणों से नहीं लगता,जैसे ही भगवान के चरणों से लगा तो अमृत रूप हो गया और चरणामृत बन जाता है।

जब भगवान का वामन अवतार हुआ,और वे राजा बलि की यज्ञ शाला में दान लेने गए तब उन्होंने तीन पग में तीन लोक नाप लिए जब उन्होंने पहले पग में नीचे के लोक नाप लिए और दूसरे में ऊपर के लोक नापने लगे तो जैसे ही ब्रह्मलोक में उनका चरण गया तो ब्रह्मा जी ने अपने कमण्डल से जल लेकर भगवान के चरण धोए और फिर चरणामृत को वापस अपने कमण्डल में रख लिया,वह चरणामृत गंगा जी बन गई,जो आज भी सारी दुनिया के पापों को धोती है,ये शक्ति उनके पास कहाँ से आई ये शक्ति है भगवान के चरणों की जिस पर ब्रह्मा जी ने साधारण जल चढाया था पर चरणों का स्पर्श होते ही बन गई गंगा जी जब हम बाँके बिहारी जी की आरती गाते हैं तो कहते हैं —-

“चरणों से निकली गंगा प्यारी जिसने सारी दुनिया तारी”

धर्म में इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है तथा मस्तक से लगाने के बाद इसका सेवन किया जाता है।
चरणामृत का सेवन अमृत के समान माना गया है।

भगवान श्री राम के चरण धोकर उसे चरणामृत के रूप में स्वीकार कर केवट न केवल स्वयं भव-बाधा से पार हो गया बल्कि उसने अपने पूर्वजों को भी तार दिया। चरणामृत का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं चिकित्सकीय भी है,चरणामृत का जल हमेशा तांबे के पात्र में रखा जाता है।
आयुर्वेदिक मतानुसार तांबे के पात्र में अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति होती है जो उसमें रखे जल में आ जाती है। उस जल का सेवन करने से शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा हो जाती है तथा रोग नहीं होते, इसमें तुलसी के पत्ते डालने की परंपरा भी है जिससे इस जल की रोगनाशक क्षमता और भी बढ़ जाती है।

तुलसी के पत्ते पर जल इतने परिमाण में होना चाहिए कि सरसों का दाना उसमें डूब जाए।
ऐसा माना जाता है कि तुलसी चरणामृत लेने से मेधा, बुद्धि, स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।

इसीलिए यह मान्यता है कि भगवान का चरणामृत औषधि के समान है।
यदि उसमें तुलसी पत्र भी मिला दिया जाए तो उसके औषधीय गुणों में और भी वृद्धि हो जाती है, सीधे हाथ में तुलसी चरणामृत ग्रहण करने से हर शुभ काम या अच्छे काम का जल्द परिणाम मिलता है।
इसीलिए चरणामृत हमेशा सीधे हाथ से लेना चाहिये, लेकिन चरणामृत लेने के बाद अधिकतर लोगों की आदत होती है कि वे अपना हाथ सिर पर फेरते हैं।

चरणामृत लेने के बाद सिर पर हाथ रखना सही है या नहीं यह बहुत कम लोग जानते हैं?


शास्त्रों के अनुसार चरणामृत लेकर सिर पर हाथ रखना अच्छा नहीं माना जाता है। कहते हैं इससे विचारों में सकारात्मकता नहीं बल्कि नकारात्मकता बढ़ती है। इसीलिए चरणामृत लेकर कभी भी सिर पर हाथ नहीं फेरना चाहिए।

पंचक

26 मार्च, 2025 (बुधवार) को दोपहर 3:14 बजे शुरू होकर 30 मार्च, 2025 (रविवार) को शाम 4:35 बजे समाप्त होगा.

🙏🏻🌷💐🌸🌼🌹🍀🌺💐🙏🏻

जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं बधाई और शुभ आशीष


अंक ज्योतिष का सबसे आखरी मूलांक है नौ। आप बेहद साहसी हैं। आपके स्वभाव में एक विशेष प्रकार की तीव्रता पाई जाती है। आप सही मायनों में उत्साह और साहस के प्रतीक हैं। मंगल ग्रहों में सेनापति माना जाता है। अत: आप में स्वाभाविक रूप से नेतृत्त्व की क्षमता पाई जाती है। लेकिन आपको बुद्धिमान नहीं माना जा सकता। आपके जन्मदिन की संख्या आपस में जुड़ कर नौ होती है। यह मूलांक भूमि पुत्र मंगल के अधिकार में रहता है। मंगल के मूलांक वाले चालाक और चंचल भी होते हैं। आपको लड़ाई-झगड़ों में भी विशेष आनन्द आता है। आपको विचित्र साहसिक व्यक्ति कहा जा सकता है।

शुभ दिनांक : 9, 18, 27

शुभ अंक : 1, 2, 5, 9, 27, 72

शुभ वर्ष : 2025, 2036, 2045

ईष्टदेव : हनुमान जी, मां दुर्गा।

शुभ रंग : लाल, केसरिया, पीला

जन्मतिथि के अनुसार भविष्यफल :
अधिकार क्षेत्र में वृद्धि संभव है। नौकरी में आ रही बाधा दूर होगी। स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। राजनैतिक व्यक्ति सफलता का स्वाद चख सकते हैं। मित्रों स्वजनों का सहयोग मिलने से प्रसन्नता रहेगी। आप अपनी शक्ति का सदुपयोग कर प्रगति की और अग्रसर होंगे। पारिवारिक विवाद सुलझेंगे। महत्वपूर्ण कार्य योजनाओं में सफलता मिलेगी

मेष दैनिक राशिफल (Aries Daily Horoscope)
आज आपको अपने कामों पर थोड़ा ध्यान देना होगा, नहीं तो कोई नुकसान हो सकता है। किसी काम को आप भाग्य के भरोसे ना छोड़े। प्रॉपर्टी में यदि आप कोई इन्वेस्टमेंट करने की सोच रहे हैं, तो आपकी वह डील अटक सकती है। आपका बिजनेस में भी पार्टनरशिप से आपको धोखा मिलने की संभावना है। आप अपनी आंख और कान खुले रखकर कामों में आगे बढ़ें। आपको कामों को समय से पूरा न होने के कारण टेंशन बनी रहेगी।

वृषभ दैनिक राशिफल (Taurus Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए खुशनुमा रहने वाला है। भाई-बहनों का आपको पूरा सहयोग मिलेगा। आप यदि किसी काम को लेकर ससुराल पक्ष के किसी व्यक्ति से धन उधार लेंगे, तो वह आपको आसानी से मिल जाएगा। आप किसी बिजनेस के काम को लेकर अकस्मात यात्रा पर जा सकते हैं। आपका किसी पुराने मित्र से लंबे समय बाद मिलकर खुशी होगी, जिसमें आप पुराने गिले शिकवे न उखाड़े। विद्यार्थियों की किसी नये कोर्स के प्रति रुचि जागृत होगी।

मिथुन दैनिक राशिफल (Gemini Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए अनुकूल रहने वाला है। कारोबार में आपको अच्छी उन्नति मिलेगी। सामाजिक क्षेत्रों में कार्यरत लोगों के कामों से आज उनकी एक नई पहचान बनेगी। आपको अपने बॉस से किसी बात को लेकर बेवजह लड़ाई-झगड़े में नहीं पड़ना है, नहीं तो उनके प्रमोशन पर रोक लग सकती है। आपकी संतान को किसी सरकारी काम में नंबर आ सकता है, जिससे माहौल खुशनुमा रहेगा। आपको किसी से धन का लेनदेन भी सोच विचारकर करना होगा।

कर्क दैनिक राशिफल (Cancer Daily Horoscope)
आज का दिन मेहनत से कार्य करने के लिए रहेगा। जो लोग विदेशो से व्यापार करते हैं, उन्हें कोई खुशखबरी सुनने को मिलेगी। आपको ईर्ष्यालु व झगड़ालु लोगों से सावधान रहने की आवश्यकता है। कारोबार में आपको अच्छी सफलता मिलने से आपका मन खुश रहेगा। आपके सुख साधनों पर आप अच्छा खासा धन खर्च करेंगे। आपको किसी नई नौकरी की प्राप्ति हो सकती है। आपका मन इधर-उधर के कामों में लगेगा। विद्यार्थियों को पढ़ाई-लिखाई में एकाग्र होकर जुटना होगा।

सिंह दैनिक राशिफल (Leo Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए किसी नई संपत्ति की प्राप्ति के लिए रहेगा। पारिवारिक जीवन में खुशियां भरपूर रहेगी। आप अपनी वाणी की सौम्यता बनाए रखें। सेहत के मामले में आपको कुछ उलझनें रहने से आपका मन परेशान रहेगा। माता-पिता के आशीर्वाद से आपका कोई रुका हुआ काम पूरा होगा। आपको किसी पैतृक संपत्ति के मिलने की संभावना है। घूमने फिरने के दौरान आपको कोई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी।

कन्या दैनिक राशिफल (Virgo Daily Horoscope)
आज का दिन आपके किसी लंबे समय से रुके हुए काम को पूरा करने के लिए रहेगा। बैंकिंग क्षेत्रों में कार्यरत लोग किसी अच्छी स्कीम में धन लगा सकते हैं। आपको किसी की कोई बात बुरी लगने से आपका मन परेशान रहेगा। भाईचारे की भावना आपके मन में बनी रहेगी। आप अपनी बुद्धि और विवेक से कार्यक्षेत्र में काफी समस्याओं से आसानी से बाहर निकलेंगे। आपका मन किसी बात को लेकर विचलित रहेगा। जीवनसाथी की बातों पर आपको पूरा ध्यान देना होगा।

तुला दैनिक राशिफल (Libra Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए ऊर्जावान रहने वाला है। पारिवारिक जीवन में खुशियां रहेंगी। आपको बाहर के खान-पान से परहेज रखने की आवश्यकता है। आप अपनी संतान के करियर को लेकर कोई अच्छा इंश्योरेंस प्लान दे सकते हैं। आपको अपनी किसी जरूरी जानकारी को किसी दूसरे के सामने उजागर नहीं करना है। आपके किसी नए काम के प्रति रुचि जागृत हो सकती है। आपको किसी नए घर के खरीदारी करना भी बेहतर रहेगा। माताजी की सेहत को लेकर आप लापरवाही बिल्कुल ना करें।

वृश्चिक दैनिक राशिफल (Scorpio Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए उलझनों से भरा रहने वाला है। कोई पैतृक समस्या भी लंबे समय से आपको परेशान कर रही थी, तो वह भी दूर होगी। अविवाहित जातकों के लिए कोई बेहतर रिश्ता आने से उनके मन में खुशियां रहेगी। आपके दांपत्य जीवन में खुशियां मिलेंगी। आपको किसी यात्रा पर जाते समय वाहनों का प्रयोग सावधान रहकर करना होगा। आपका कोई काम यदि धन को लेकर रुका हुआ था, तो उसके भी पूरे होने की संभावना है।

धनु दैनिक राशिफल (Sagittarius Daily Horoscope)
आज का दिन दानपुण्य के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए रहेगा। परोपकार की भावना आपके मन में बनी रहेगी। बिजनेस में कोई बड़ी डील फाइनल हो सकती है। आपको जीवनसाथी की ओर से कोई खुशखबरी सुनने को मिलेगी। विद्यार्थीयो को पढ़ाई-लिखाई में एकाग्र होकर जुटना होगा। आपको अपने पिताजी की कोई बात बुरी लग सकती है। आप यदि किसी यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे हैं, तो उसमें बड़ों से आशीर्वाद लेकर जाना बेहतर रहेगा।

मकर दैनिक राशिफल (Capricorn Daily Horoscope)
मकर राशि के जातकों के लिए आज का दिन आर्थिक दृष्टिकोण से अच्छा रहने वाला है। आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी। एक साथ कई काम हाथ लगने से आपकी व्याग्रता बढ़ेंगी। आपका बिजनेस में चल रही समस्याओं को दूर करने के लिए आपको किसी अनुभवी व्यक्ति से सलाह की आवश्यकता होगी। आपको अपने खानपान पर पूरा ध्यान देना होगा, क्योंकि आपको कोई आंखों से संबंधित समस्या होने की संभावना है।

कुंभ दैनिक राशिफल (Aquarius Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए भौतिक सुख सुविधाओं में वृद्धि लेकर आने वाला है। आप अपनी जिम्मेदारी से कामों को आसानी से पूरा करेंगे। आप बिना वजह किसी काम को लेकर यात्रा पर ना जाएं, नहीं तो वाहन की अकस्मात खराबी के कारण आपका धन खर्च बढ़ सकता है। आप सामाजिक कार्यक्रमों में भी सम्मिलित होंगे। आपको कामों को लेकर कार्यक्षेत्र में कोई पुरस्कार मिल सकता है। आपके बॉस को आपकी दी गई सलाह खूब काम आएगी।

मीन दैनिक राशिफल (Pisces Daily Horoscope)
आज आपके लिए सुखमय रहने वाला है। आपके चारों ओर का वातावरण आपके लिए अनुकूल रहेगा। संतान पक्ष की ओर से भी कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याएं आज दूर होंगी और आपको किसी दूसरी नौकरी का भी ऑफर आने की संभावना है। आपकी इनकम के सोर्स बढ़ेंगे। कार्यक्षेत्र में आप पर अधिकारियों की कृपा बनी रहेगी। आपको अपने बिजनेस में कोई सरकारी टेंडर मिलने से काफी खुश रहेंगे

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“Every sunset is an opportunity to reset. Every sunrise begins with new eyes.”

~ Richie Norton