🚩 प्रकाश उत्सव – 15 नवंबर 🚩

🚩🌹नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत भला

🚩🌹🕉🍁🌷💐🌞🍂🙏🌻🌺

🚩🌹भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिक गुरु को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। यहां तक कि हमारी वैदिक संस्कृति के कई मंत्रों में ‘गुरुर्परमब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम:’ अर्थात गुरु को साक्षात परमात्मा परम ब्रह्म का दर्जा दिया गया है। आध्यात्मिक गुरु न केवल हमारे जीवन की जटिलताओं को दूर करके जीवन की राह सुगम बनाते हैं, बल्कि हमारी बुराइयों को नष्ट करके हमें सही अर्थों में इंसान भी बनाते हैं।

🚩🌹सामाजिक भेदभाव को मिटाकर समाज में समरसता का पाठ पढ़ाने के साथ समाज को एकता के सूत्र में बांधने वाले गुरु के कृतित्व से हर किसी का उद्धार होता आया है। एक ऐसे ही धर्मगुरु हुए गुरु नानकदेव जिन्होंने मूर्ति पूजा को त्यागकर निर्गुण भक्ति का पक्ष लेकर आडंबर व प्रपंच का घोर विरोध किया। इनका जीवन पारलौकिक सुख-समृद्धि के लिए श्रम, शक्ति एवं मनोयोग के सम्यक् नियोजन की प्रेरणा देता है।

🚩🌹गुरु नानकदेव जी के व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्म सुधारक, समाज सुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु के समस्त गुण मिलते हैं। गुरु नानकदेव जी का जन्म 15वीं सदी में 15 अप्रैल 1469 को उत्तरी पंजाब के तलवंडी गांव (वर्तमान पाकिस्तान में ननकाना) के एक हिन्दू परिवार में हुआ था। उनका नानक नाम उनकी बड़ी बहन नानकी के नाम पर रखा गया था। वे अपनी माता तृप्ता व पिता मेहता कालू के साथ रहते थे। इनके पिता तलवंडी गांव में पटवारी थे। नानकदेव स्थानीय भाषा के साथ पारसी और अरबी भाषा में भी पारंगत थे।

🌹🚩वे बचपन से ही अध्यात्म एवं भक्ति की तरफ आकर्षित थे। बचपन में नानक को चरवाहे का काम दिया गया था और पशुओं को चराते समय वे कई घंटों ध्यान में रहते थे। एक दिन उनके मवेशियों ने पड़ोसियों की फसल को बर्बाद कर दिया तो उनको उनके पिता ने उनको खूब डांटा। जब गांव का मुखिया राय बुल्लर वो फसल देखने गया तो फसल एकदम सही-सलामत थी। यही से उनके चमत्कार शुरू हो गए और इसके बाद वे संत बन गए।

🚩🌹जब नानक की आध्यात्मिकता परवान चढ़ने लगी तो पिता मेहता कालू ने उन्हें व्यापार के धंधे में लगा दिया। व्यापारी बनने के बाद भी उनका सेवा और परोपकार का भाव नहीं छूटा। वे अपनी कमाई के पैसों से भूखों को भोजन कराने लगे। यहीं से लंगर का इतिहास शुरू हुआ। पिता ने पहली बार 20 रुपए देकर व्यापार से फायदा कमाने के लिए भेजा तो नानक ने 20 रुपए से रास्ते में मिले साधुओं व गरीबों को भोजन करवाया व कपड़े दिलवाए। जब वे खाली हाथ घर लौटे तो पिता की डांट खानी पड़ी।

🌹🚩पहली बार नानक ने नि:स्वार्थ सेवा को असली लाभ बताया। गुरु नानकदेव के मना करने के बावजूद उनका विवाह 24 सितंबर 1487 को माता सुलखनी जी के साथ करा दिया गया। 1499 में गुरू नानकदेव जी की सुल्तानपुर में एक मुस्लिम कवि मरदाना के साथ मित्रता हो गई। नानक और मरदाना एकेश्वर की खोज के लिए निकल पड़े। एक बार नानकदेव एक नदी से गुजरे तो उस नदी में ध्यान करते हुए अदृश्य हो गए और 3 दिन बाद उस नदी से निकले और घोषणा की कि यहां कोई हिन्दू और कोई मुसलमान नहीं है।

🚩🌹गुरु नानक देव जी ने 7,500 पंक्तियों की एक कविता लिखी थी जिसे बाद में गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल कर लिया गया। उन्होंने अपना जीवन नए सिद्धांतों के साथ यात्राएं करने में बिताया। नानक ने मरदाना के साथ मिलकर कई प्रेरणादायक रचनाएं गाईं और संगीत को अपना संदेश देने का माध्यम बनाया। नानक मुल्तान में आकर रुक गए, जहां मरदाना ने अंतिम सांस ली। मरदाना का पुत्र शहजादा उनके पिता के पदचिन्हों पर चला और अपना बाकी जीवन नानक के साथ कवि के रूप में सेवा करते हुए बिताया।

🚩🌹 गुरु नानकदेव जी ने अद्वैतवादी विश्वास विकसित किया जिसकी 3 प्रमुख बातें थीं। पहली बात दैनिक पूजा करके ईश्वर का नाम जपना था। दूसरी बात किरत करो यानी गृहस्थ ईमानदार की तरह रोजगार में लगे रहना था। तीसरी बात वंड छको यानी परोपकारी सेवा और अपनी आय का कुछ हिस्सा गरीब लोगों में बांटना था।

🌹🚩इसके अलावा गुरु नानकदेव जी ने अहंकार, क्रोध, लालच, लगाव व वासना को जीवन बर्बाद करने वाला कारक बताया तथा इनसे हर इंसान को दूर रहने की नसीहत दी। साथ ही उन्होंने जाति के पदानुक्रम को समाप्त किया। अपने सारे नियम औरतों के लिए समान बताए और सती प्रथा का विरोध किया। गुरु नानकदेव जी महान पवित्र आत्मा, ईश्वर के सच्चे प्रतिनिधि, महापुरुष व महान धर्म प्रवर्तक थे।

🚩🌹जब समाज में पाखंड, अंधविश्वास व कई असामाजिक कुरीतियां मुंहबाएं खड़ी थीं, असमानता, छुआछूत व अराजकता का वातावरण पनप चुका था, ऐसे नाजुक समय में गुरु नानकदेव जी ने आध्यात्मिक चेतना जाग्रत करके समाज को मुख्य धारा में लाने के लिए भरसक प्रयत्न किया।

🌹🚩आजीवन समाजहित में तत्पर रहे नानक का समूचा जीवन प्रेरणादायी व अनुकरणीय है। गुरु नानकदेव जी का सबसे निकटवर्ती शिष्य मरदाना को माना जाता है। गौर करने वाली बात यह है कि मरदाना मुस्लिम होने के बाद भी उनका सबसे घनिष्ठ शिष्य कहलाया। यह गुरु नानकदेव के तप का ही प्रभाव कहा जा सकता है।

🚩🌹गुरु नानकदेव जी अपने जीवन के अंतिम दिनों में करतारपुर बस गए, जहां पर उन्होंने अनुयायियों को साहचर्य बनाया। उनके ज्येष्ठ पुत्र श्रीचंद को उनकी बहन ने बचपन में ही गोद ले लिया था। वो सौंदर्य योगी बना और उदासी संप्रदाय की स्थापना की। उनके दूसरे पुत्र लक्ष्मी चंद ने शादी कर ली और गृहस्थ जीवन बिताना शुरू कर दिया। हिन्दू देवी दुर्गा के भक्त लहना ने गुरु नानकदेव के भजन सुने और वो उनका अनुयायी बन गया।

🌹🚩उसने अपना संपूर्ण जीवन अपने गुरु और उनके अनुयायियों की सेवा में लगा दिया। गुरु नानकदेव ने लहना की परीक्षा ली और उसे अपना उत्तराधिकारी बनाने के लिए उचित समझा। गुरु नानक जी की 22 सितंबर 1539 को करतारपुर में मृत्यु हो गई।

🚩🌹उनकी मृत्यु के बाद लहना ने अंगददेव के नाम से सिख धर्म को आगे फैलाया। गुरु नानकदेव की मृत्यु के बाद से प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन उनकी स्मृति में प्रकाशोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। गुरुद्वारों में शबद-कीर्तन होते हैं। धार्मिक स्थलों पर लंगरों का आयोजन किया जाता है। गुरुवाणी का पाठ होता है। इन सबके पीछे उद्देश्य एक ही है-

🌹🚩गुरु नानकदेव जी के उपदेश शांति, एकता, समरसता, बंधुता, दीन-हीन के प्रति सेवाभाव इत्यादि को जन-जन तक पहुंचाना।

कार्तिक महात्म्य

भगवान कृष्ण जी बोले – प्राचीन काल में उज्जैन में एक महा पापी और दुरात्मा धनेश्वर नामक ब्राह्मण रहता था। वह रस, चमड़ा और कंबल आदि का व्यापार करता था। वह वैश्यगामी और मद्यपान आदि बुरे कर्म करता था। क्योंकि वह रात दिन पाप में रहता रहता था इसलिए वह व्यापार में नगर नगर घूमता था। एक दिन माहिष्मती पूरी जो राजा महिष ने बसाई थी (इसलिए वह राजा के नाम से विख्यात थी) गया। नगरी के पास ही पापनाशिनी पुण्यकारिणी नदी भगवती नर्मदा बहती थी। उस नदी के किनारे देश देशांतर से आए यात्री कार्तिक व्रत करने को कुछ दिन के लिए ठहरा करते थे। उन कार्तिक व्रत करने वाले प्राणियों को वहां ठहरा देखकर वह दुष्ट धनेश्वर भी इधर-उधर घूमता हुआ एक मास के लिए वहां ठहर गया। अपने माल को बेचता हुआ वह नर्मदा नदी के तट पर घूमता हुआ ब्राह्मणों को देव पूजा रत देखता था। वह देखता है कि कोई तो ग्रंथ पढ़ रहा है और कोई सुन रहा है , कोई भगवत कीर्तन कर रहा है कोई भजन सुन रहा है, कोई ध्यान में लीन है और कोई तुलसी की माला धारण किए हैं। बस इसी तरह वह भगवत भक्तों के बीच में रहा और वैष्णव के दर्शन करता रहा, उनको स्पर्श करता रहा , उनसे वार्तालाप करता रहा और भगवान विष्णु के नाम स्मरण के पुण्य को अर्जित करता रहा। वह कार्तिक के व्रत की उद्यापन विधि तथा जागरण को भी देखता रहा। उसने पूर्णिमा के व्रत को भी देखा की व्रती , ब्राह्मणों तथा गुरु को भोजन करा रहे हैं , उनको दक्षिणा आदि भी दे रहे हैं। उनके नित्य प्रति भगवान शंकर की प्रसन्नता के लिए होती दीपमाला भी देखी, त्रिपुर नामक राक्षस के तीनों पूर को शंकर जी ने इसी तिथि को जलाया था इसलिए शिव जी के भक्त इस तिथि को दीप उत्सव मनाते हैं। जो मनुष्य मुझ में और शंकर जी में अंतर मानता है उसकी सारी क्रियाएं निष्फल हो जाती है। धनेश्वर वहां की पूजा विधि देखता हुआ इधर-उधर घूम रहा था कि उसे काले सर्प ने काट लिया और वह भूमि पर गिर पड़ा। उसकी यह दशा देखकर वहां के दयालु भक्तों ने उसे चारों ओर से घेर लिया और उसके मुंह पर तुलसीदल मिश्रित जल के छींटे देने लगे और जब उसके प्राण निकले तो यम के दूत उसे बांधकर कोड़ों से मारते हुए यमपुरी को ले गए। उसे देख चित्रगुप्त ने यमसे कहा – इसने बाल्यकाल से लेकर आज तक बुरे काम ही किए हैं इसके जीवन में पुण्य तो लेशमात्र भी नहीं है। यदि मैं पूरा 1 वर्ष आपको सुनाता रहूं तो इसके पापों की सूची समाप्त नहीं होगी। यह महा पापी है अतः इसको एक कल्प तक घोर नरक में डालना चाहिए। चित्रगुप्त की बात सुनकर यमराज ने बड़े क्रोध में आकर अपना कालनेमि के समान भयंकर रूप दिखाते हुए अपने अनुचर को आज्ञा देकर कहा – है प्रेत सेनापतियों ! इस दुष्ट को मुगदरों से मारते हुए कुम्भी पाक नर्क में डाल दो। सेनापति ने मुगदरों से उसका सिर फोड़ते हुए कुम्भी पाक नरक में ले जाकर खोलते हुए तेल के कड़ाव में डाल दिया। प्रेत सेनापतियों ने ज्यों ही तेल की कड़ाव में फेंका तो लप-लप आती हुई आग अपने आप ठंडी हो गई जैसे कि प्रह्लाद को अग्नि मे डालने से वह ठंडी हो गई थी। यह विचित्र घटना देख के प्रेत सेनापतियों ने यमराज के पास जाकर सब हाल कहा। यमराज भी आश्चर्यचकित हो धनेश्वर को अपने पास बुला कर स्थिति पर विचार करने लगे। उसी समय नारायण – नारायण का चिंतन करते हुए देवर्षि नारद जी भी वहां आ पहुंचे और यमराज से कहने लगे – हे यमराज यह ब्राह्मण नरक में डाले जाने के योग्य नहीं है क्योंकि इसने अंत समय में कुछ शुभ कर्म किए हैं जो कि नरक यातना को नष्ट करने वाले हैं। जो लोग भगवत भक्त का दर्शन करते हैं, उनसे वार्तालाप करते हैं और उनका स्पर्श करते हैं , चाहे उन्होंने कोई पुण्य कर्म ना किया हो सहज में ही स्वर्ग के अधिकारी हो जाते हैं। अतः धनेश्वर भी पुण्यत्माओं के संग व स्पर्श से स्वर्ग का अधिकारी हो गया है। अतः यह पुण्यात्मा है, इसे यक्ष योनि दो और केवल इसे पाप भोग करने वाले नरक दिखा दो।

भगवान कृष्ण ने कहा – जब नारद जी ऐसा कह कर चले गए तो धनेश्वर को पुण्यात्मा समझते हुए यमराज ने दूतों को उसे नर्क दिखाने की आज्ञा दी।

💥 मौली मंत्र, तिलक मंत्र, पान का पत्ता, स्वस्तिक मंत्र, करवा, सुपारी, अक्षत, दूर्वा का महत्व..

  1. मौली मंत्र का महत्व :-

येन बध्दो बली राजा दानवेन्दो महाबलः ।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।

‘मौली’ का शाब्दिक अर्थ है ‘सबसे ऊपर’। इसका वैदिक नाम उप मणिबंध है और इसे शास्त्रों के मुताबिक रक्षा सूत्र और कलावा भी कहा जाता है। मौली बांधने से तिनों देवी-देवताओं की कृपा होती है।

शास्त्रों के मुताबिक मौली का रंग और उसका एक एक धागा मनुष्य को शक्ति प्रदान करता है। न केवल इसे बांधने से बल्कि मौली से बनाई गई सजावट की वस्तुओं को भी घर में रखने से लाभ होता है और सकारात्मकता आती है।

  1. तिलक मंत्र महत्व :-

केशवानन्नत गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम ।
पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु ।।

कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् ।
ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ।।

पूजा के समय तिलक लगाने का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि मनुष्य के मस्तक के मध्य में विष्णु भगवान का निवास होता है, और तिलक ठीक इसी स्थान पर लगाया जाता है।

तिलक लगवाते समय सिर पर हाथ इसलिए रखते हैं ताकि सकारात्मक उर्जा हमारे शीर्ष चक्र पर एकत्र हो तथा हमारे विचार सकारात्मक हों। तिलक सदैव बैठकर ही लगाना चाहिए।

  1. पान का पत्ता :-

पान का पत्ता ताजगी और समृद्धि का प्रतीक है। स्कंद पुराण के अनुसार, अमृत के लिए समुद्र मंथन के दौरान देवताओं द्वारा पान का पत्ता प्राप्त किया गया था। यह मुख्य कारण है कि पूजा में पान के पत्ते का उपयोग किया जाता है।

पान का पत्ता जब भी किसी को अर्पित किया जाता है तो यह सम्मान का प्रतिक माना जाता है।

  1. स्वस्तिक मंत्र महत्व :-

ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः ।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ।
स्वस्ति नस्ताक्ष्यों अरिष्टनेमिः ।
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ।।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।

स्वस्तिक मंत्र शुभ और शांति के लिए प्रयुक्त होता है। स्वस्ति = सु + अस्ति = कल्याण हो। ऐसा माना जाता है कि इससे हृदय और मन मिल जाते हैं। मंत्रोच्चार करते हुए दर्भ से जल के छींटे डाले जाते है। तथा यह माना जाता है कि यह जल पारस्परिक क्रोध और वैमनस्य को शांत कर रहा है। स्वस्ति मंत्र का पाठ करने की क्रिया ‘स्वस्तिवाचन’ कहलाती है।

यह मंत्र किसी भी शुभ कार्य जैसे गृहनिर्माण, गृहप्रवेश, षोडश संस्कार, यात्रा आदि के आरंभ में बोला जाता है, जिससे सभी कार्य निर्विघ्न सम्पन्न होते है।

  1. करवा का महत्व :-

मिट्टी का करवा पंच तत्व (भूमि, आकाश, वायु, जल, अग्नि) का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति में पानी को ही परब्रह्म माना गया है, क्योंकि जल ही सब जीवों की उत्पत्ति का केंद्र है।

इस तरह मिट्टी के करवे से पानी पिलाकर पति-पत्नी अपने रिश्ते में पंच तत्व और परमात्मा दोनों को साक्षी बनाकर अपने दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाने की कामना करते है।

  1. सुपारी का महत्व :-

धार्मिक अनुष्ठानों में सुपारी का बहुत महत्व है। इसके बिना पूजा प्रारंभ ही नहीं होती। शास्त्रों के अनुसार सुपारी को जीवंत देव का स्थान प्राप्त है एवं इसे गणेशजी का प्रतीक स्वरूप भी माना जाता है, यदि हमारे पास उनकी प्रतिमा ना हो, तो उनके स्थान पर सुपारी रखी जाती है।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि, खाने वाली सुपारी बड़ी और गोल होती है, वहीं पूजा की सुपारी छोटी और शीर्ष पर शिखर जैसे आकार की होती है।

  1. अक्षत का महत्व :-

चावल को अक्षत भी कहा जाता है, और अक्षत का अर्थ होता है जो टूटा न हो। अक्षत को पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए पूजा में इसे चढ़ाने का अर्थ है कि हमारी पूजा इस अक्षत की तरह पूर्ण हो।

इसका रंग सफेद होता है, जो शांति का प्रतीक माना जाता है, जिसे चढ़ाकर इस बात की प्रार्थना की जाती है कि व्यक्ति के नंहर कार्य पूर्ण रुप से और शांति के साथ सम्पन्न हो जाएं।

  1. दूर्वा का महत्व :-

दूर्वा एक प्रकार की पवित्र घास है जिसे ‘दूब’ भी कहा जाता है, संस्कृत में इसे दूर्वा, अमृता, अनंता, गौरी, महोषधि, शतपर्वा, भार्गवी आदि नामों से जाना जाता है। ‘दूर्वा’ कई महत्वपूर्ण औषधीय गुणों से युक्त है।

मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय जब अमृत कलश निकला तो देवताओं से इसे पाने के लिए दैत्यों ने खूब छीना-झपटी की जिससे अमृत की कुछ बूंदे पृथ्वी पर भी गिर गईं थी जिससे ही इस विशेष घास दूर्वा की उत्पत्ति हुई।।

जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं बधाई और शुभ आशीष

14 का अंक आपस में मिलकर 5 होता है। 5 का अंक बुध ग्रह का प्रतिनिधि करता है। अनजान व्यक्ति की मदद के लिए भी आप सदैव तैयार रहते हैं। आपमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन करना मुश्किल है। अर्थात अगर आप अच्छे स्वभाव के व्यक्ति हैं तो आपको कोई भी बुरी संगत बिगाड़ नहीं सकती। अगर आप खराब आचरण के हैं तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको सुधार नहीं सकती। लेकिन सामान्यत: 14 तारीख को पैदा हुए व्यक्ति सौम्य स्वभाव के ही होते हैं।

शुभ दिनांक : 1, 5, 7, 14, 23

शुभ अंक : 1, 2, 3, 5, 9, 32, 41, 50

शुभ वर्ष : 2030, 2032, 2034, 2050, 2059, 2052

ईष्टदेव : देवी महालक्ष्मी, गणेशजी, मां अम्बे।

शुभ रंग : हरा, गुलाबी जामुनी, क्रीम

जन्मतिथि के अनुसार भविष्यफल :
दाम्पत्य जीवन में मधुर वातावरण रहेगा। अविवाहित भी विवाह में बंधने को तैयार रहें। यह वर्ष आपके लिए सफलताओं भरा रहेगा। अभी तक आ रही परेशानियां भी इस वर्ष दूर होती नजर आएं

आज का राशिफल

मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज आपका स्वभाव मनमौजी रहेगा अपने मे मस्त रहेंगे आवश्यक कार्यो को भी मजबूरी में करेंगे अथवा टालने के ही प्रयास करेंगे जिससे घर के सदस्यों के साथ मन मुटाव होगा। कार्य क्षेत्र पर जिद्दी व्यवहार ना करे आज सबको साथ लेकर कार्य करने में ही भलाई है अन्यथा सांध्य बाद पछताना पड़ेगा। धन लाभ की सम्भवना आज दिन भर बनी रहेगी लेकिन होगा अकस्मात ही। आज आप अपनी वाणी के प्रभाव से लोगो का ध्यान आकर्षित करने में सफ़ल होंगे लेकिन इसका कोई आर्थिक लाभ नही मिल पाने का मलाल भी रहेगा। माता से भावनात्मक संबंधों में कमी आएगी। अचल संपत्ति संबंधित कार्य फिलहाल स्थगित ही रखे खर्च करने के बाद भी परिणाम शून्य ही मिलेंगे। सन्तानो से संबंध खराब होंगे लेकिन किसी बात का गर्व भी होगा। पेट अथवा मूत्राशय मे जलन की शिकायत हो सकती है। पैतृक कारणों से की यात्रा लाभ देगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आपको किसी न किसी रूप में धन का हास कराएगा। कार्य क्षेत्र हो या किसी से व्यक्तिगत संबंध आज किसी के ऊपर भी आँख बंद कर विश्वास ना करें अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। मध्यान बाद तक प्रत्येक कार्य मे अड़चने आएंगी लोगो का पहले वादा कर बाद में मुकर जाना खासी मुश्किल में डालेगा इसलिये आज जितना सामर्थ्य है उतना ही कार्य करे। संध्या से स्थिति में कुछ सुधार आएगा लेकिन युक्ति लगाने के बाद भी धन की आमद ना के बराबर ही रहेगी। नए या पुराने कार्य मे निवेश आज ना करे धन लंबे समय के लिये फंस सकता है। घर मे पति-पत्नी का स्वास्थ्य भी नरम रहने से अतिरिक्त भाग दौड़ के साथ धन व्यय होगा। जमीन संबंधित कार्यो में निवेश संध्या बाद करे आगे लाभ देगा। पारिवारिक माहौल आज उथल पुथल ही रहेगा।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन शारीरिक दृष्टिकोण से बीते कुछ दिनों की तुलना में बेहतर रहेगा चुस्ती की कमी दिन के आरम्भ में रहेगी लेकिन मध्यान बाद से सामान्यता आने लगेगी। कार्य क्षेत्र के साथ सार्वजिनक पर आपके विचार लोगो को पसंद आयेंगे सभी आपकी बातों पर विश्वास करेंगे लेकिन जहां लाभ कमाने का अवसर आएगा वहां निराशा ही हाथ लगेगी फिर भी काम चलाने लायक धन कही ना कही से मिल ही जायेगा। आज आप अधिक बोलने और दूसरों को बिना मांगे सलाह देने से बचे किसी से कलह हो सकती है। सरकारी कार्य आरंभ में उलझते हुए प्रतीत होंगे लेकिन थोड़ा प्रयास करने पर ले देकर काम बन सकता है। जमीन जायदाद संबंधित कार्य से हानि होगी आज टालना ही बेहतर रहेगा। घर के सदस्यों से भी आवश्यता अनुसार ही बात करें खास कर पती-पत्नी आपसी धैर्य का परिचय दें अहम और जिद की भावना घर मे अशांति फैलाएंगी। नाक-कान-गले मे अथवा अचानक गिरने से पीड़ा हो सकती है।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन आपके अंदर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होगा भक्ति भावो में डूबे रहेंगे। स्वभाव आज थोड़ा रूखा रहेगा अपने कार्य मे किसी का दखल देना या किसी का ज्ञान देना तुरंत अखरेगा शब्दो पर नियंत्रण रखें अन्यथा बैठे बिठाये झगड़ा हो सकता है। कार्य व्यवसाय से आज ज्यादा उम्मीद ना रखें थोड़ा बहुत व्यवसाय ही रहने से धन की आमद भी सीमित रहेगी। संतान अथवा ननिहाल पक्ष से कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है जिसका प्रभाव आने वाले कुछ दिनों तक देखने को मिलेगा। मध्यान बाद किसी अतिमहत्त्वपूर्ण कार्य के स्वतः ही बनने से आश्चर्य में पड़ेंगे। कंजूसी कर धन कोष में वृद्धि के प्रयास सफल होंगे। सामाजिक कार्यो में आज कम रुचि रहने पर भी मान सम्मान यथावत बना रहेगा। शरीर मे थोड़ी तकलीफ होने पर तुरंत जांच कराए नाहाई तो लंबी खिंचने की संभावना है।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आपकी धार्मिक भावनाए प्रबल रहेंगी। दिन के आरंभ में पूजा पाठ के लिये समय देंगे लेकिन आज मन कही और ही भटकने के कारण मानसिक शांति और एकाग्रता कम रहेगी। कार्य क्षेत्र पर मध्यान तक उदासी रहेगी जिसके कारण मेहनत भी अन्य दिनों की तुलना में अधिक नही रहेगी लेकिन मध्यान बाद अकस्मात कार्य आने पर व्यस्तता बढ़ेगी फिर भी परिश्रम का उचित लाभ आज मिलना संभव नही। आज की मेहनत कल अवश्य ही फलित होगी इस बात को दिमाग मे बैठाकर कार्य करें। पति अथवा पत्नी के संतान को लेकर मतभेद हो सकते है कार्य क्षेत्र पर संतान का सहयोग अथवा मार्गदर्शन लेने से बचे अन्यथा लंबे समय तक स्वयं को हो दोष देंगे। नौकरी पेशाओ को आज योग्यता का अवश्य लाभ मिलेगा अतिआत्मविश्वास हानि करा सकता है इसका भी ध्यान रखें। पेट मे गैस जलन की शिकायत हो सकती है।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आप असमंजस की स्थिति में रहेंगे। दिन के आरम्भ में थोड़ी सुस्ती रहेगी लेकिन मध्यान तक कार्यो के प्रति गंभीर हो जाएंगे। घरेलू अथवा व्यावसायिक जिस भी कार्य मे लाभ देखेंगे उसमे आवश्यकता पड़ने पर सहयोग आसानी से मिल जाएगा लेकिन किसी का गलत मार्गदर्शन भ्रम में डालेगा। थोड़ा धैर्य रख दिमाग से काम ले तो सफलता अवश्य मिलेगी। कार्य क्षेत्र पर लाभ के अवसर मिलते रहेंगे धन लाभ भी अवश्य होगा लेकिन आज धन आते ही कही न कही लग भी जाएगा बचत नही कर पाएंगे। सरकारी कार्यो में आज ढील ना दें अन्यथा बाद में सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ेंगे। नौकरी पेशाओ का अधिकारी अथवा कार्य क्षेत्र पर किसी न किसी से झगड़ा हो सकता है। परिवार में भी कुछ ऐसी ही स्थिति रहेगी जरासी बात पर परिजन एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने के लिये तैयार रहेंगे। जोड़ो में दर्द एवं मुख गले संबंधित समस्या हो सकती है।

तुला⚖ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन सामान्य से उत्तम रहेगा। दिन के आरम्भ से ही आध्यात्म में रुचि रहेगी घरेलू पूजा पाठ के साथ धार्मिक क्षेत्र की यात्रा के अवसर भी मिलेंगे। कार्य व्यावसाय से आशा ना होने पर भी अकस्मात लाभ के समाचार उत्साहवर्धन करेंगे। अधूरे सरकारी कार्यो को लापरवाही छोड़ पूर्ण करे परिस्थिति सहायक रहने से कम परिश्रम में काम बन सकता है इसके बाद कोई न कोई कमी रहने के कारण लंबे समय के लिये लटकेगा। नौकरी पेशा जातक अथवा भागीदारी के कार्यो में जिद बहस को छोड़ कार्य करे तो शीघ्र ही सफलता मिल सकती है। विदेश संबंधित कार्यो से भी कुछ न कुछ लाभ ही मिलेगा इनमे निवेश करना आज उचित रहेगा। पारिवारिक वातावरण छोटी मोटी नोकझोंक के बाद भी सुख प्रदान करेगा। शारीरिक त्रिदोषों का संतुलन बिगड़ने पर रोग शीघ्र पकड़ लेंगे खान पान संयमित रखें।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन आपको लाभ के अवसर मिलेंगे लेकिन आपका स्वभाव अकस्मात गर्म होने पर इससे वंचित भी रह सकते है इसका ध्यान रखें। कार्य क्षेत्र पर आपकी अथवा किसी सहयोगी की गलती से भविष्य में बड़ी हानि होने की संभावना है बड़े कार्यो का अधिक देख भाल कर ही करें। सार्वजिनक क्षेत्र पर लोग आपको बुद्धिमान मानेंगे लेकिन आपस मे व्यवहार बनने के बाद सोच में बदलाव आएगा धन को लेकर आप किसी भी प्रकार का स्वार्थ साधने से नही चूकेंगे। धन की आमद और खर्च बराबर रहेंगे फिजूल खर्च से बचे नही तो आर्थिक संतुलन गड़बड़ायेगा भविष्य के कार्यो में कटौती भी करनी पड़ेगी। संतान का व्यवहार जिद्दी रहेगा फिर भी किसी न किसी रूप में सुख सहयोग भी मिलेगा। अकस्मात आने वाले क्रोध पर नियंत्रण रखें वरना स्वयं को ही मुश्किल होगी। ठंडी वस्तु के सेवन से बचे खांसी कफ हो सकता है।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आप प्रत्येक कार्य मे बुद्धि विवेक का परिचय देंगे लेकिन आज व्यक्तिगत स्वार्थ को एक समय नजरअंदाज भी कर लेंगे परन्तु व्यावसायिक स्वार्थ की बात आने पर अपना आपा खो सकते है। स्वभाव धार्मिक होने पर भी क्रोध में कुछ ऐसा बोल सकते है जिसका विपरीत प्रभाव सामने वाले पर कई दिनों तक रहेगा। धन की आमद के लिये किसी की खुशामद करनी पड़ेगी फिर भी आशानुकूल ना होने पर स्वभाव में चिड़चिड़ापन आएगा। घर अथवा बाहर के लोगो की भली बाते भी अहम के साथ जोड़ने पर बुरी ही लगेगी। परिजन के साथ भावनात्मक संबंधों में।भी आज कमी ही देखने को मिलेगी। माता की सेवा करने से अवश्य कुछ न कुछ सकारत्मक परिणाम मिल सकते है। सरकारी कार्य दिन रहते पूर्ण कर के इसके बाद उलझन बढ़ेगी। अचल संपत्ति के कार्य से यात्रा के प्रसंग बनेंगे। मन मे किसी बात का भय लगा रहेगा किसी पुरानी शारीरिक पीड़ा फिर से बढ़ने की संभावना है।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन आपका स्वभाव स्वयं के दृष्टिकोण से ठीक लेकिन अन्य लोगो की नजर में अटपटा सा लगेगा। किसी से भी जल्दबाजी में वादा करेंगे लेकिन पूरा करने के समय बगलें झांकते नजर आएंगे। मध्यान तक मानसिकता एक जगह केंद्रित नही रहेगी आवश्यक कार्य भी सर पर आने के बाद ही करेंगे मन काल्पनिक चीजो में खोया रहेगा। मध्यान के आस पास कार्य क्षेत्र से अकस्मात धन लाभ या कोई शुभ समाचार मिल सकता है। नौकरी वालो को अधिकारी वर्ग से आवश्यक दिशा निर्देश मिलेंगे लेकिन गंभीर ना होने पर डांट सुन्नी पड़ेगी। भाई बंधुओ से आज स्वार्थ के व्यवहार रहेंगे। माता पिता से लाभ होने की संभावना है लेकिन अंत समय मे किसी के टांग अड़ाने पर निरस्त भी हो सकता है। व्यावसायिक यात्रा से धन की जगह प्रतिष्ठा अधिक मिलेगी। मधुमेह अथवा अन्य रक्त संबंधित समस्या वाले लोग आज लापरवाही ना करे।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
बीते दिन की तुलना में आज का दिन शांतिदायक रहेगा फिर भी पुरानी बातों को भूलने का प्रयास कर नई योजना बनाने में समय का उपयोग करे आगे समय धन लाभ वाला बन रहा है। आज भी मध्यान तक पुरानी कटु यादे मन मे चुभेगी। मध्यान के बाद ही दिनचार्य सामान्य बन पाएगी आज मेहनत करने से भी दूर भागेंगे जिससे कार्य क्षेत्र पर सहकर्मी एवं अधिकारी वर्ग को असंतोष होगा अपने कार्य अथवा गलतियों का बोझ अन्य के सर डालने का प्रयास झगड़ा कराएगा इसका ध्यान रखें। संध्या का समय मानसिक राहत वाला रहेगा थकान अधिक रहेगी लेकिन धन लाभ होने से इस तरफ ध्यान नही जाएगा। दाम्पत्य जीवन मे आज तालमेल नही बैठा पाएंगे। पुरानी बीमारी अथवा किसी अन्य कारण से स्वयं को बोझ जैसा अनुभव करेंगे।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन मिला जुला फल देने वाला रहेगा। दिन के आरम्भ में जो भी योजना बनाएंगे परिस्थितिवश उसमे बदलाव करना पड़ेगा। कार्य व्यवसाय में किसी न किसी की दखलंदाजी के कारण मन मे अंतर्द्वंद लगा रहेगा जिसका समाधान कलह के बाद ही हो पायेगा भागीदारों पर नजर रखे अपना हित साधने के लिये आपको नजरअंदाज कर सकते है। आज भाई बंधुओ से आर्थिक लेनदेन करना पड़ेगा जिसके कारण भविष्य में कलह होने की संभावना है यथासंभव इसे टालने के प्रयास करें। कार्य व्यवसाय से धन की आमद अवश्य होगी लेकिन कर्ज भी होने की संभावना बराबर ही है। पति-पत्नी से आकस्मिक धन लाभ हो सकता है लेकिन इसके लिये स्वभाव में नरमी रखनी पड़ेगी। नसों में कमजोरी के कारण शारीरिक शिथिलता अनुभव करेंगे। धन के किसी झंझट वाली जगह फंसने की संभावना है। यात्रा से बचें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent posts

Quote of the week

“Every sunset is an opportunity to reset. Every sunrise begins with new eyes.”

~ Richie Norton