🔹आँवला नवमी विशेष🔹

🌱 हमारे पूजनीय वृक्ष – आँवला 🌱

🔸 आँवला खाने से आयु बढ़ती है । इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगाकर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।

🔸 जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं ।

🔸 मृत व्यक्ति की हड्डियाँ आँवले के रस से धोकर किसी भी नदी में प्रवाहित करने से उसकी सद्गति होती है ।
(स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, का.मा. 12.75)

🔸प्रत्येक रविवार, विशेषतः सप्तमी को आँवले का फल त्याग देना चाहिए । शुक्रवार, प्रतिपदा, षष्ठी, नवमी, अमावस्या और सक्रान्ति को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।

🔸आँवला सेवन के बाद 2 घंटे तक दूध नहीं पीना चाहिए ।

आँवला नवमी/ अक्षय नवमी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि को “आंवला नवमी” तथा “अक्षय नवमी” कहते हैं। इस नवमी से आगे पूर्णिमा तक भगवान विष्णु ने आवंले के पेड़ पर निवास करने की विश्वास किया जाता हैं। इसीलिए सन्तान- सुख कामना कर भारतीय महिलाओं ने इस पवित्र नवमी को अक्षय तिथि मानते हैं और इस दिन को पूर्वाह्न व्यापिनी मानकर स्नान, तर्पण के बाद नवमी कथा पठन या श्रवण के साथ, आंवला वृक्ष को परिक्रमा करते हैं और उस में आरूढ़ विष्णु भगवान जी को भी पारम्परिक विधि- विधान के मुताबिक पूजन करते हैं। इसीके बाद साध्यमत् अन्नादि दान- पुण्य करते हैं।।
आंवले नवमी पूजा विधि
आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा में बैठकर पूजन करने से पहले उस पेड़ की जड़ में दूध छिड़कना चाहिए। इसके बाद अक्षत, पुष्प, चंदन से पूजा- अर्चना कर और पेड़ के चारों ओर कच्चा धागा बांधकर कपूर, बाती या शुद्ध घी की बाती से आरती करते हुए सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। फिर ‘नवमी- कथा’ सुनकर, भगवान विष्णु का ध्यान एवं पूजन करना चाहिए। पूजा- अर्चना के बाद वंहा खीर, पूड़ी, सब्जी और मिष्ठान आदि का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि आंवला पेड़ की पूजा कर 108 बार परिक्रमा करने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होतीं हैं। कई धर्मप्रेमी तो आंवला पूजन के बाद पेड़ की छांव पर ब्राह्मण भोज भी कराते है।।
आंवला नवमी की कथा

आंवल्या नाम से परिचित एक राजा था। उसका प्रण के अनुसार वह रोज सवा मन आंवले दान करके ही खाना खाता था। एक दिन उसके बेटे- बहू ने सोचा कि राजा इतने सारे आंवले रोजाना दान करते हैं; इस प्रकार तो एक दिन सारा खजाना खाली हो जायेगा। इसीलिए बेटे ने राजा से कहा की उसे इस तरह दान करना बंद कर देना चाहिए। बेटे का बात सुनकर राजा को बहुत दुख हुआ और राजा- रानी महल को छोड़कर बियाबान जंगल में जाकर बैठ गए। राजा- रानी आंवला दान नहीं कर पाए और प्रण के कारण अनाहार में रहे। जब भूखे- प्यासे रहकर सात दिन वीते, तब भगवान ने सोचा कि यदि इस राजाका प्रण और सत नहीं रखा जाए, तो ईश्वर से उनका विश्वास उठ जाएगा। इसीलिए भगवान ने, जंगल में ही महल, राज्य और बाग- बगीचे सब बना दिए और ढेरों आंवले के पेड़ लगा दिए।।
सुबह राजा- रानी उठे तो देखा की जंगल में उनके राज्य से भी दुगुना राज्य बसा हुआ है। राजा, रानी से कहने लगे– “सत के साथ टिके रहने की नतीजा देखो, विष्णु भगवान ने दो गुना राज्य दे दिया। आओ, अब नहा धोकर आंवले दान करें और दान के बाद भोजन भी करें।” राजा- रानी ने आंवले दान करके खाना खाया और खुशी- खुशी जंगल में रहने लगे।।
उधर आंवला- देवता का अपमान करने और माता- पिता से बुरा व्यवहार करने के कारण बहू- बेटे के बुरे दिन सुरु हुआ था। नतीजा स्वरूप राज्य को दुश्मनों ने छीन लिया। वे दाने- दानेको मोहताज बन गए और काम- काज ढूंढते- ढूंढते अपने पिताजी के राज्य में आ पहुंचे। उनके हालात इतने बिगड़े हुए थे कि पिता ने उन्हें बिना पहचाने भी दया दिखाकर काम पर रख लिया। बेटे- बहू सोच भी नहीं सकते थे कि उनके माता- पिता इतने बड़े राज्य के मालिक भी हो सकते है। इस कारण से उन्होंने भी अपने माता- पिता को नहीं पहचाना।।

एक दिन बहू ने रानी के बाल गूंथते समय उनकी पीठ पर मस्सा देखा। उसे यह सोचकर रोना आने लगा की ऐसा मस्सा उसकी सास के पीठ में भी था।राज्य को छोड़कर आज वे लोग न जाने कहां किस हालत में होगे ! यह सोचकर बहू को रोना आने लगा और आंसू टपक- टपक कर रानी की पीठ पर गिरने लगे। रानी ने तुरंत पलट कर देखा और पूछा– “तू क्यों रो रही है?” बहु ने बताया– “आपकी पीठ जैसा मस्सा मेरी सास की पीठ पर भी था। हमने उन्हें आंवले दान करने से मना कर दिया था; इसीलिए वे घर छोड़कर कहीं चले गए।” तब रानी ने उन्हें पहचान लिया। फिर सारा हाल पूछा और अपनि परिचय भी बताया। इसीके बाद अपने बेटे- बहू को पास में बैठाकर समझाया कि दान करने से धन कम नहीं होता, बल्कि बढ़ता है। बेटे- बहू को उनके किये हुए कर्म का बहुत पछतावा हुआ और राजा- रानी उनको क्षमा करके मर्यादा के साथ पास में रखा।।

🔹आँवला के औषधीय प्रयोग 🔹

🔸१] जिन्हें भोजन में अरुचि हो या भूख कम लगती हो उन्हें भोजन से पहले २ चम्मच आँवला रस में १ चम्मच शहद मिलाकर लेना लाभकारी है ।

🔸२] नाक, मूत्रमार्ग, गुदामार्ग से रक्तस्राव, योनिमार्ग में जलन व अतिरिक्त रक्तस्राव, पेशाब में जलन, रक्तप्रदर, त्वचा-विकार आदि समस्याओं में आँवला रस अथवा आँवला चूर्ण दिन में दो बार लेना लाभदायी है ।

🔸३] आँवला रस में ४ चुटकी हल्दी मिलाकर दिन में दो बार लें । यह सभी प्रकार के प्रमेहों में श्रेष्ठ औषधि है ।

🔸४] अम्लपित्त, सिरदर्द, सिर चकराना, आँखों के सामने अँधेरा छाना, उलटी होना आदि में आँवला रस या चूर्ण मिश्री मिलाकर लेना फायदेमंद है ।

🔸५] रक्ताप्लता या पीलिया जैसे विकारों में आँवला चूर्ण का दिन में २ बार उपयोग करने से रस-रक्त का पोषण होकर इन विकारों में लाभ होता है ।

🔸६] आँवला एवं मिश्री का मिश्रण घी के साथ प्रतिदिन सुबह लेने से असमय बालों का सफेद होना व झड़ना बंद हो जाता है तथा सभी ज्ञानेन्द्रियों की कार्यक्षमता बढ़ती है ।

🔸सेवन- मात्रा : आँवला चूर्ण – २ से ५ ग्राम, आँवला रस – १५ से २० मि.ली.

🔹ध्यान दें : रविवार व शुक्रवार को आँवले का सेवन वर्जित है ।

🌷 एकादशी के दिन करने योग्य 🌷
➡ 11 नवम्बर 2024 सोमवार को शाम 06:46 से 12 नवम्बर 2024 मंगलवार को शाम 04:04 तक एकादशी है।
💥 विशेष – 12 नवम्बर, मंगलवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे।
🙏🏻 एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें …….विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l

🌷 अकाल मृत्यु से रक्षा हेतु विशेष आरती 🌷
➡ 12 नवम्बर 2024 मंगलवार को देवउठी एकादशी कपूर आरती ।
🙏🏻 देवउठी एकादशी देव-जगी एकादशी के दिन को संध्या के समय कपूर आरती करने से आजीवन अकाल-मृत्यु से रक्षा होती है; एक्सीडेंट, आदि उत्पातों से रक्षा होती है l

🌷 भीष्म पंचक व्रत 🌷
➡ 11 नवम्बर 2024 सोमवार से 15 नवम्बर 2024 शुक्रवार तक भीष्म पंचक व्रत है ।
🙏🏻 कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूनम तक का व्रत ‘भीष्म-पंचक व्रत’ कहलाता है l जो इस व्रत का पालन करता है, उसके द्वारा सब प्रकार के शुभ कृत्यों का पालन हो जाता है l यह महापुण्य-मय व्रत महापातकों का नाश करने वाला है l
🙏🏻 कार्तिक एकादशी के दिन बाणों की शय्या पर पड़े हुए भीष्मजी ने जल कि याचना कि थी l तब अर्जुन ने संकल्प कर भूमि पर बाण मारा तो गंगाजी कि धार निकली और भीष्मजी के मुंह में आयी l उनकी प्यास मिटी और तन-मन-प्राण संतुष्ट हुए l इसलिए इस दिन को भगवान् श्री कृष्ण ने पर्व के रूप में घोषित करते हुए कहा कि ‘आज से लेकर पूर्णिमा तक जो अर्घ्यदान से भीष्मजी को तृप्त करेगा और इस भीष्मपंचक व्रत का पालन करेगा, उस पर मेरी सहज प्रसन्नता होगी l’
🌷 कौन यह व्रत करें 🌷
👉🏻 निःसंतान व्यक्ति पत्नीसहित इस प्रकार का व्रत करें तो उसे संतान कि प्राप्ति होती है l
👉🏻 जो अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते हैं, वैकुण्ठ चाहते हैं या इस लोक में सुख चाहते हैं उन्हें यह व्रत करने कि सलाह दी गयी है l
👉🏻 जो नीचे लिखे मंत्र से भीष्मजी के लिए अर्घ्यदान करता है, वह मोक्ष का भागी होता है l
🌷 वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृतप्रवराय च l
अपुत्राय ददाम्येतदुद्कं भीष्म्वर्मणे ll
वसूनामवताराय शन्तनोरात्मजाय च l
अर्घ्यं ददामि भीष्माय आजन्मब्रह्मचारिणे ll
🙏🏻 ‘जिनका व्याघ्रपद गोत्र और सांकृत प्रवर है, उन पुत्ररहित भीश्म्वार्मा को मैं यह जल देता हूँ l वसुओं के अवतार, शांतनु के पुत्र आजन्म ब्रह्मचारी भीष्म को मैं अर्घ्य देता हूँ l ( स्कन्द पुराण, वैष्णव खंड, कार्तिक महात्मय )
🌷 व्रत करने कि विधि 🌷
इस व्रत का प्रथम दिन देवउठी एकादशी है l इस दिन भगवान् नारायण जागते हैं l इस कारण इस दिन निम्न मंत्र का उच्चारण करके भगवान् को जगाना चाहिए :
🌷 उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज l
उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यमन्गलं कुरु ll
🙏🏻 ‘हे गोविन्द ! उठिए, उठए, हे गरुडध्वज ! उठिए, हे कमलाकांत ! निद्रा का त्याग कर तीनों लोकों का मंगल कीजिये l’
➡ इन पांच दिनों में अन्न का त्याग करें l कंदमूल, फल, दूध अथवा हविष्य (विहित सात्विक आहार जो यज्ञ के दिनों में किया जाता है ) लें l
➡ इन दिनों में पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोझरण व् गोबर-रस का मिश्रण )का सेवन लाभदायी है l पानी में थोडा-सा गोझरण डालकर स्नान करें तो वह रोग-दोषनाशक तथा पापनाशक माना जाता है l
➡ इन दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए l
➡ भीष्मजी को अर्घ्य-तर्पण –
इन पांच दिनों निम्नः मंत्र से भीष्म जी के लिए तर्पण करना चाहिए :
🌷 सत्यव्रताय शुचये गांगेयाय महात्मने l
भीष्मायैतद ददाम्यर्घ्यमाजन्मब्रह्मचारिणे ll
🙏🏻 ‘आजन्म ब्रह्मचर्य का पालन करनेवाले परम पवित्र, सत्य-व्रतपरायण गंगानंदन महात्मा भीष्म को मैं यह अर्घ्य देता हूँ l’

कार्तिक माहात्म्य

पार्षदों ने कहा:–

‘एक दिन की बात है, विष्णुदास ने नित्यकर्म करने के पश्चात भोजन तैयार किया किन्तु कोई छिपकर उसे चुरा ले गया। विष्णुदास ने देखा भोजन नहीं है परन्तु उन्होंने दुबारा भोजन नहीं बनाया क्योंकि ऐसा करने पर सायंकाल की पूजा के लिए उन्हें अवकाश नहीं मिलता। अत: प्रतिदिन के नियम का भंग हो जाने का भय था। दूसरे दिन पुन: उसी समय पर भोजन बनाकर वे ज्यों ही भगवान विष्णु को भोग अर्पण करने के लिए गये त्यों ही किसी ने आकर फिर सारा भोजन हड़प लिया।
इस प्रकार सात दिनों तक लगातार कोई उनका भोजन चुराकर ले जाता रहा। इससे विष्णुदास को बड़ा विस्मय हुआ वे मन ही मन इस प्रकार विचार करने लगे–‘अहो! कौन प्रतिदिन आकर मेरी रसोई चुरा ले जाता है। यदि दुबारा रसोई बनाकर भोजन करता हूँ तो सायंकाल की पूजा छूट जाती है। यदि रसोई बनाकर तुरन्त ही भोजन कर लेना उचित हो तो मुझसे यह न होगा क्योंकि भगवान विष्णु को सब कुछ अर्पण किये बिना कोई भी वैष्णव भोजन नहीं करता। आज उपवास करते मुझे सात दिन हो गये। इस प्रकार मैं व्रत में कब तक स्थिर रह सकता हूँ। अच्छा! आज मैं रसोई की भली-भाँति रक्षा करूँगा।’
ऐसा निश्चय कर के भोजन बनाने के पश्चात वे वहीं कहीं छिपकर खड़े हो गये। इतने में ही उन्हें एक चाण्डाल दिखाई दिया जो रसोई का अन्न हरकर जाने के लिए तैयार खड़ा था। भूख के मारे उसका सारा शरीर दुर्बल हो गया था मुख पर दीनता छा रही थी। शरीर में हाड़ और चाम के सिवा कुछ शेष नहीं बचा था। उसे देखकर श्रेष्ठ ब्राह्मण विष्णुदास का हृदय करुणा से भर आया। उन्होंने भोजन चुराने वाले चाण्डाल की ओर देखकर कहा–‘भैया! जरा ठहरो, ठहरो! क्यों रूखा-सूखा खाते हो ? यह घी तो ले लो।’
इस प्रकार कहते हुए विप्रवर विष्णुदास को आते देख वज चाण्डाल भय के मारे बड़े वेग से भागा और कुछ ही दूरी पर मूर्छित होकर गिर पड़ा। चाण्डाल को भयभीत और मूर्छित देखकर द्विजश्रेष्ठ विष्णुदास बड़े वेग से उसके समीप आये और दयावश अपने वस्त्र के छोर से उसको हवा करने लगे। तदन्तर जब वह उठकर खड़ा हुआ तब विष्णुदास ने देखा वहाँ चाण्डाल नहीं हैं बल्कि साक्षात नारायण ही शंख, चक्र और गदा धारण किये सामने उपस्थित हैं। अपने प्रभु को प्रत्यक्ष देखकर विष्णुदास सात्विक भावों के वशीभूत हो गये। वे स्तुति और नमस्कार करने में भी समर्थ न हो सके तब भगवान ने सात्विक व्रत का पालन करने वाले अपने भक्त विष्णुदास को छाती से लगा लिया और उन्हें अपने जैसा रूप देकर वैकुण्ठधाम को ले चले।
उस समय यज्ञ में दीक्षित हुए राजा चोल ने देखा–विष्णुदास एक श्रेष्ठ विमान पर बैठकर भगवान विष्णु के समीप जा रहे हैं। विष्णुदास को वैकुण्ठधाम में जाते देख राजा ने शीघ्र ही अपने गुरु महर्षि मुद्गल को बुलाया और इस प्रकार कहना आरम्भ किया–‘जिसके साथ स्पर्धा करके मैंने इस यज्ञ, दान आदि कर्म का अनुष्ठान किया है वह ब्राह्मण आज भगवान विष्णु का रुप धारण करके मुझसे पहले ही वैकुण्ठधाम को जा रहा है। मैंने इस वैष्णवधाम में भली-भाँति दीक्षित होकर अग्नि में हवन किया और दान आदि के द्वारा ब्राह्मणों का मनोरथ पूर्ण किया तथापि अभी तक भगवान विष्णु मुझ पर प्रसन्न नहीं हुए और इस विष्णुदास को केवल भक्ति के ही कारण श्रीहरि ने प्रत्यक्ष दर्शन दिया है। अत: जान पड़ता है कि भगवान विष्णु केवल दान और यज्ञों से प्रसन्न नहीं होते। उन प्रभु का दर्शन कराने में भक्ति ही प्रधान कारण है।’
दोनों पार्षदों ने कहा–‘इस प्रकार कहकर राजा ने अपने भानजे को राज सिंहासन पर अभिषिक्त कर दिया। वे बचपन से ही यज्ञ की दीक्षा लेकर उसी में संलग्न रहते थे इसलिए उन्हें कोई पुत्र नहीं हुआ था। यही कारण है कि उस देश में अब तक भानजे ही राज्य के उत्तराधिकारी होते हैं। भानजे को राज्य देकर राजा यज्ञशाला में गये और यज्ञकुण्ड के सामने खड़े होकर भगवान विष्णु को सम्बोधित करते हुए तीन बार उच्च स्वर से निम्नांकित वचन बोले–‘भगवान विष्णु! आप मुझे मन, वाणी, शरीर और क्रिया द्वारा होने वाली अविचल भक्ति प्रदान कीजिए।’
इस प्रकार कहकर वे सबके देखते-देखते अग्निकुण्ड में कूद पड़े। बस, उसी क्षण भक्तवत्सल भगवान विष्णु अग्निकुण्ड में प्रकट हो गये। उन्होंने राजा को छाती से लगाकर एक श्रेष्ठ विमान में बैठाया और उन्हें अपने साथ लेकर वैकुण्ठधाम को प्रस्थान किया।’
नारद जी बोले–‘हे राजन्! जो विष्णुदास थे वे तो पुण्यशील नाम से प्रसिद्ध भगवान के पार्षद हुए और जो राजा चोल थे उनका नाम सुशील हुआ। इन दोनों को अपने ही समान रूप देकर भगवान लक्ष्मीपति ने अपना द्वारपाल बना लिया।

जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं बधाई और शुभ आशीष

दिनांक 10 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 1 होगा। आप राजसी प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। आपको अपने ऊपर किसी का शासन पसंद नहीं है। आप साहसी और जिज्ञासु हैं। आपका मूलांक सूर्य ग्रह के द्वारा संचालित होता है।

आप सौन्दर्यप्रेमी हैं। आपमें सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला आपका आत्मविश्वास है। इसकी वजह से आप सहज ही महफिलों में छा जाते हैं। आप अत्यंत महत्वाकांक्षी हैं। आपकी मानसिक शक्ति प्रबल है। आपको समझ पाना बेहद मुश्किल है। आप आशावादी होने के कारण हर स्थिति का सामना करने में सक्षम होते हैं।

शुभ दिनांक : 1, 10, 20, 28

शुभ अंक : 1, 10, 20, 28, 37, 46, 55, 64, 73, 82

शुभ वर्ष : 2026, 2044, 2053, 2062

ईष्टदेव : सूर्य उपासना तथा मां गायत्री

शुभ रंग : लाल, केसरिया, क्रीम,

जन्मतिथि के अनुसार भविष्यफल :
स्वास्थ्य की दृष्टि से यह वर्ष उत्तम रहेगा। पारिवारिक मामलों में महत्वपूर्ण कार्य होंगे। अविवाहितों के लिए सुखद स्थिति बन रही है। विवाह के योग बनेंगे। नौकरीपेशा के लिए समय उत्तम हैं। पदोन्नति के योग हैं। बेरोजगारों के लिए भी खुशखबर है इस वर्ष आपकी मनोकामना पूरी होगी। यह वर्ष आपके लिए अत्यंत सुखद रहेगा। अधूरे कार्यों में सफलता मिलेगी |

आज का राशिफल

मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा। पूर्व में किये शुभकर्मों का फल आज किसी ना किसी रूप में अवश्य मिलेगा। सार्वजनिक क्षेत्र से मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। विरोधी चाहकर भी आपको क्षति नही पहुचा सकेंगे। समाज के उच्चप्रतिष्ठित लोगो के साथ मेलजोल बढेगा आपकी क्षवि भी उच्चवर्गीय जैसी बनेगी। लेकिन कार्य क्षेत्र पर सहकर्मी ईर्ष्या का भाव रखेंगे जानबूझ कर बना बनाया कार्य बिगाड़ सकते है सतर्क रहें। धन की कामना समय से थोड़ा विलम्ब लेकिन पूर्ण होगी। गृहस्थ सुख उत्तम रहेगा। भजन पूजन में समय देंगे। सेहत का भी ख्याल रखें।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन सिद्धिदायक है लेकिन आज किसी भी कार्य को करने से पहले उसकी योजना बनाकर ही करें सफलता निश्चित मिलेगी इसके विपरीत जल्दबाजी में किया कार्य केवल हानि ही कराएगा। आध्यात्म में भी उन्नति के योग बन रहे है पूजा पाठ का सकारात्मक परिणाम मिलेगा। नौकरी वाले जातक अधिकारियों का प्रोत्साहन मिलने से उत्साहित रहेंगे। सरकारी कार्य मे आज आलस ना करें थोड़ी सी भागदौड़ से पूर्ण हो सकते है। सरकारी क्षेत्र से शुभ समाचार मिलेंगे। लोन अथवा अन्य धन संबंधित कागजी कार्य आज करना उत्तम रहेगा। परिवार में शांति रहेगी लेकिन महिलाओ का मन आज असंतुष्ट ही रहेगा। ठंडी चीजो का सेवन करने से बचे।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आप दैनिक कार्यो में व्यस्त रहेंगे दिनचार्य उटपटांग रहने से निराश भी होंगे मध्यान तक किसी भी कार्य को दिशा ना मिलती देख मेहनत व्यर्थ होती प्रतीत होगी लेकिन हताश ना हो आज देर से ही सही लाभ अवश्य होगा। आर्थिक मामले अन्य कार्यो की अपेक्षा ज्यादा उलझेंगे फिर भी संध्या तक धन की आमद संतोषजनक हो जाएगी। अधिकारियो से सतर्क रहना पड़ेगा गलती करने पर ज्यादा भार सौपेंगे। महिलाओ का मन आध्यात्म में डूबा रहेगा मनोकामना पूर्ति में विलंब से उदास रहेंगी। आकस्मिक कार्य आने से यात्रा अथवा अन्य आवश्यक कार्य निरस्त करने पड़ेंगे।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज आप दिनभर शारीरिक समस्या से जूझेंगे मौसमी बीमारियों का प्रकोप परिवार के सदस्यों को भी प्रभावित करेगा। अव्यवस्था रहने से प्रत्येक कार्य विलम्ब से चलेंगे पूर्ण होने में भी विलम्ब होगा। कार्य व्यवसाय से आज ज्यादा उम्मीद नही रहेगी आज पूर्ण होने वाले कार्य भी दौड़-धूप की कमी के कारण आगे के लिये निरस्त होंगे। धन संबंधित समस्या नही रहेगी फिर भी व्यर्थ के खर्च आने से मन दुखी होगा। महिलाये चाह कर भी घर को व्यवस्थित रूप से चलाने मे असफल रहेंगी। संध्या के समय परेशानी बढ़ेगी। घर अथवा बाहर किसी भी प्रकार के जोखिम से बचें।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज आप अपनी व्यवहार कुशलता से बिगड़े कार्यो को भी बनाने की क्षमता रखेंगे। मित्र परिजन विषम परिस्थितियों से बाहर निकालने के लिये आपका सहयोग मांगेंगे अपना महत्त्व बढ़ता देख थोड़ी बहुत अहम की भावना भी आएगी जरूरत मंदों को व्यर्थ के चक्कर लगवाएंगे। कार्य क्षेत्र पर जिस काम को हाथ मे लेंगे उसमे निश्चित सफलता मिलेगी। प्रतियोगी परीक्षा में भी सफल होने की संभावना अधिक है। बेरोजगार लोग आज प्रयास करें अवश्य अनुकूल रोजगार से जुड़ सकते है। व्यवसाय में मंदी के बाद भी धन का प्रबंध आवश्यकता के समय कही ना कही से हो ही जायेगा। खान-पान संयमित रखें सेहत खराब हो सकती है।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन भी आपके धन कोष अथवा अन्य सुख के साधनों में वृद्धि करेगा। कार्य व्यवसाय में पहले से चल रही योजना फलीभूत होने से धन की आमद होगी। भविष्य के लिये भी लाभ के सौदे हाथ लगेंगे। सहकर्मियों का साथ मिलने से निश्चित कार्य समय से पूर्ण कर सकेंगे। महिलाये को शारीरिक कमजोरी के कारण दैनिक कार्यो के अतिरिक्त घर की व्यवस्था सुधारने में परेशानी होगी। कंजूस प्रवृति के कारण घर के किसी सदस्य से मतभेद की संभावना है। आज आप अपनी गलती जानते हुए भी अपनी बात पर अडिग रहेंगे जिससे आस-पास का वातावरण कुछ समय के लिये खराब होगा। व्यवसायिक यात्रा से लाभ हो सकता है। छोटी-मोटी व्याधि को छोड़ सेहत सामान्य रहेगी।

तुला⚖ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज आपको अपनी बुद्धि चातुर्य पर गर्व रहेगा। अतिआत्मविश्वास से भरे रहेंगे प्रत्येक कार्य को मामूली समझ कर बाद के लिये टालेंगे परन्तु अंत समय मे पूर्ण करने में पसीने छूटेंगे। सरकारी कार्य को लेकर भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। काम-धंधा पहले से कुछ कम रहेगा जोड़ तोड़ कर ही धन की प्राप्ति हो सकेगी। आज कम समय और परिश्रम से अधिक लाभ कमाने की योजना मन मे रहेगी लेकिन अवसर ना मिलने के कारण लाभ नही उठा सकेंगे। महिलाये जितना कार्य करेंगी उससे ज्यादा सुनाएंगी। घर के सभी सदस्य स्वय को दूसरे से बेहतर प्रदर्शित करेंगे। छोटी-छोटी बातों पर नोकझोंक होगी। दिनचार्य संयमित ना रहने से सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन सावधानी से बिताने की सलाह है। दिन के आरंभ से ही मन मे अकारण क्रोध रहेगा। परिजनों से जिस बात का भय रहेगा मध्यान तक उसके पूर्ण होने पर वातावरण खराब होगा। भाई बंधुओ में भी किसी ना किसी कारण से अनबन रहेगी। कार्य क्षेत्र पर सामान्य दिनचार्य रहते हुए भी किसी से धन को लेकर उग्र वार्ता होने की संभावना है। आज आप वरिष्ठ व्यक्तियों के परामर्श को भी नजरअंदाज करेंगे जिसके परिणाम स्वरूप किसी ना किसी रूप में धन एवं सम्मान हानि देखनी पड़ेगी। लोगो को शक की दृष्टि से देखने आपको महत्त्व नही मिलेगा। औरो को बेचैनी में डालकर स्वयं अपने मे मस्त रहेंगे।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज आपको पूर्व में की किसी गलती अथवा आचरण का अफसोस होगा गलती मान लेने पर आपसी मतभेद शांत होंगे। घरेलू कार्य अथवा परिजनों की आवश्यकता पूर्ति समय से करेंगे। कार्य क्षेत्र से आज लाभ की संभावनाए कम ही रहेंगी धन की आमद अल्प रहने से खर्चो पर नियंत्रण करना पड़ेगा। घर का वातावरण मंगलमय रहेगा धार्मिक पूजापाठ में सम्मिलित होने के अवसर मिलेंगे। दैनिक जीवन की उलझनों के बाद भी विवेक जाग्रत रहने से मन शांत रहेगा। विरोधी किसी भी प्रकार से आपकी शांति को भंग नही कर पाएंगे। आरोग्य अच्छा रहेगा।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन साधारण रहेगा आज आप अपनी व्यक्तिगत उलझनों के कारण अन्य लोगो को परेशान करेंगे लेकिन ध्यान रहें गुप्त बातो को आज परिजनों से भी ना बाटें। आप जिसे अपना हितैशी समझेंगे वही आपका भेद सार्वजनिक करके परेशानी बढ़ायेगा। कार्य व्यवसाय से भी निराशा ही मिलेगी फिर भी एक दो लाभ कमाने के अवसर अवश्य मिलेंगे इन्हें हाथ से ना जाने दें अन्यथा ज्यादा पाने के चक्कर मे इनसे भी हाथ धोना पड़ेगा। पारिवारिक वातावरण में स्वार्थ सिद्धि की भावना रहेगी इच्छा पूर्ति होने तक ही स्नेह सम्मान मिलेगा अन्यथा नही। स्वास्थ्य आज फिर से नरम होगा सचेत रहें।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन आप अपने हास्य भरे व्यवहार से आस पास का वातावरण खुशनुमा बनाएंगे। व्यवहार में भी नरमी रहने से लोग आपके साथ समय बिताना पसंद करेंगे। कार्य क्षेत्र की चुनोतियाँ कुछ समय के लिये दुविधा में डालेंगी समय पर सहयोग मिलने पर इनसे भी पार पा ही लेंगे। धन संबंधित मामलों को लेकर आज ज्यादा तामझाम में नही पड़ेंगे दोपहर तक लाभ की संभावनाए ही दिखेंगी इसके संध्या के आसपास अकस्मात होने से दैनिक खर्च निकल जाएंगे। महिलाये अधिक चंचल रहेंगी खुद किसी को कुछ भी बोलेंगी लेकिन किसी की मामूली बात को दिल से लगा लेंगी। जुखाम-बुखार होने से परेशानी होगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपकी आशाओ के विपरीत रहने वाला है अतिमहत्त्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले किसी अनुभवी की सलाह अवश्य लें अथवा आगे के लिए निरस्त करें। जहाँ से लाभ की उम्मीद लगाए रहेंगे वहां हानि होने की संभावना है। कार्य क्षेत्र के साथ घरेलू कार्य करते समय सावधानी बरतें टूट-फुट अथवा अन्य क्षति हो सकती है। आर्थिक योजनाए आज किसी ना किसी कारण से अधर में लटकी रहेंगी। खर्च निकालने के लिये ले देकर कार्य करना पड़ेगा। मित्र रिश्तेदारों से कोई अशुभ समाचार मन की बेचैनी बढ़ायेगा। परिजन को छोड़ अन्य लोगो से मदद की आशा ना रखें। स्वास्थ्य में उतारचढ़ाव लगा रहेगा।

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“Every sunset is an opportunity to reset. Every sunrise begins with new eyes.”

~ Richie Norton