Vaidik Panchang 08042025 श्री हनुमान मानस पूजा, कामदा एकादशी

🙏🏻 हर हर महादेव🙏🏻
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️  *दिनांक – 08 अप्रैल 2025*
🌤️ *दिन –  मंगलवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2082 गुजरात अनुसार 2081*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन – उत्तरायण*
🌤️ *ऋतु – वसंत ॠतु*
🌤️ *मास – चैत्र*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – एकादशी रात्रि 09:12 तक तत्पश्चात द्वादशी*
🌤️ *नक्षत्र – अश्लेशा सुबह 07:55 तक तत्पश्चात मघा*
🌤️ *योग – शूल शाम 06:11 तक तत्पश्चात गण्ड*
🌤️ *राहुकाल – शाम 03:48 से शाम 05:22 तक*
🌤️ *सूर्योदय – 06:26*
🌤️ *सूर्यास्त –  06:54*
👉 *दिशाशूल – उत्तर दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण- कामदा एकादशी*
💥 *विशेष- *हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l    राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
💥 *आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
💥 *एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।*
💥 *एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।*
💥 *जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।*
          🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *कामदा एकादशी* 🌷
➡️ *08 अप्रैल, मंगलवार को कामदा एकादशी है।*
*‘कामदा एकादशी’ ब्रह्महत्या आदि पापों तथा पिशाचत्व आदि दोषों का नाश करनेवाली है । इसके पढ़ने और सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है ।*

“कामदा एकादशी”
        चैत्र शुक्ल पक्ष में ‘कामदा’ नाम की एकादशी होती है। कहा गया है कि ‘कामदा एकादशी’ ब्रह्महत्या आदि पापों तथा पिशाचत्व आदि दोषों का नाश करनेवाली है। इसके पढ़ने और सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।  
   
व्रत विधि
01. एकादशी व्रत में भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा की जाती है।
02. व्रत के दिन सूर्योदय काल में उठें, स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
03. संकल्प लेने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
04. उनकी प्रतिमा के सामने बैठ्कर श्रीमद भागवत कथा का पाठ करें।
05. एकादशी व्रत की अवधि 24 घंटों की होती है।
06. एकाद्शी व्रत में दिन के समय में श्री विष्णु जी का स्मरण करना चाहिए।
07. दिन व्रत करने के बाद जागरण करने से कई गुणा फल प्राप्त होता है।
08. इसलिए रात्रि में श्री विष्णु का पाठ करते हुए जागरण करना चाहिए।
09. द्वादशी तिथि के दिन प्रात:काल में स्नान कर, भगवान श्री विष्णु कि पूजा करें।
10. किसी जरूरतमंद या ब्राह्मणों को भोजन व दक्षिणा देकर व्रत का समापन करें।
11. यह सब कार्य करने के बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिए।

कथा
           पुराणों में इसके विषय में एक कथा मिलती है। प्राचीनकाल में भोगीपुर नामक एक नगर था। वहाँ पर अनेक ऐश्वर्यों से युक्त पुण्डरीक नाम का एक राजा राज्य करता था।
           भोगीपुर नगर में अनेक अप्सरा, किन्नर तथा गन्धर्व वास करते थे। उनमें से एक जगह ललिता और ललित नाम के दो स्त्री-पुरुष अत्यंत वैभवशाली घर में निवास करते थे। उन दोनों में अत्यंत स्नेह था, यहाँ तक कि अलग-अलग हो जाने पर दोनों व्याकुल हो जाते थे।
           एक दिन गन्धर्व ललित दरबार में गान कर रहा था कि अचानक उसे अपनी पत्नी की याद आ गई। इससे उसका स्वर, लय एवं ताल बिगडने लगे। इस त्रुटि को कर्कट नामक नाग ने जान लिया और यह बात राजा को बता दी। राजा को ललित पर बड़ा क्रोध आया।
          राजा ने ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया। जब उसकी प्रियतमा ललिता को यह वृत्तान्त मालूम हुआ तो उसे अत्यंत खेद हुआ। ललित वर्षों वर्षों तक राक्षस योनि में घूमता रहा। उसकी पत्नी भी उसी का अनुकरण करती रही।
          अपने पति को इस हालत में देखकर वह बडी दुःखी होती थी। वह श्रृंगी ऋषि के आश्रम में जाकर विनीत भाव से प्रार्थना करने लगी। उसे देखकर श्रृंगी ऋषि बोले–‘हे सुभगे ! तुम कौन हो और यहाँ किस लिए आई हो ?’
          ललिता बोली–‘हे मुने ! मेरा नाम ललिता है। मेरा पति राजा पुण्डरीक के श्राप से विशालकाय राक्षस हो गया है। इसका मुझको महान दुःख है। उसके उद्धार का कोई उपाय बतलाइए।’
          श्रृंगी ऋषि बोले–‘हे गंधर्व कन्या ! अब चैत्र शुक्ल एकादशी आने वाली है, जिसका नाम कामदा एकादशी है। इसका व्रत करने से मनुष्य के सब कार्य सिद्ध होते हैं। यदि तू कामदा एकादशी का व्रत कर उसके पुण्य का फल अपने पति को दे तो वह शीघ्र ही राक्षस योनि से मुक्त हो जाएगा और राजा का श्राप भी अवश्यमेव शांत हो जाएगा।’
          ललिता ने मुनि की आज्ञा का पालन किया और एकादशी का फल देते ही उसका पति राक्षस योनि से मुक्त होकर अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त हुआ। फिर अनेक सुंदर वस्त्राभूषणों से युक्त होकर ललिता के साथ विहार करते हुए वे दोनों विमान में बैठकर स्वर्गलोक को प्राप्त हुए।
          ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से समस्त पाप नाश हो जाते हैं तथा राक्षस आदि की योनि भी छूट जाती है। संसार में इसके बराबर कोई और दूसरा व्रत नहीं है। इसकी कथा पढ़ने या सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
                  “जय जय श्रीहरि”
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            🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *हनुमानजी प्रणाम मंत्र* 🌷
➡ *12 अप्रैल 2025 शनिवार को हनुमान जन्मोत्सव है ।*
🙏🏻 *मैं जब भी कभी हनुमानजी की मूर्ति के सामने खड़ा होता हूँ तो यही बोलता हूं -*
🌷 *सुमिरि पवनसुत पावन नाम , अपने वश करि राखे राम ।*
🙏🏻 *हे हनुमानजी, आपने रामनाम का ऐसा तो सुमिरन किया कि रामजी को ही आपने अपने वश में कर लिया ।*
🌳 *आप भी कभी जाओ तो ये बोलना क्‍योंकि हनुमानजी को जप बहुत अच्‍छा लगता है । हनुमानजी के आगे कोई*
🙏🏻 *सिंदूर और चोला न चढ़ाये, नारियल न रखें तो हनुमानजी नाराज नहीं होंगे पर ये बोल दे कि हनुमानजी आपको भगवान का नाम कितना प्‍यारा लगता है ।*
🌷 *सुमिरि पवनसुत पावन नाम , अपने वश करि राखे राम । हनुमानजी राजी होंगे ।*
🙏🏻
श्री हनुमान मानस पूजा एक महत्वपूर्ण पूजा है, जिसमें भगवान हनुमान की आराधना की जाती है।

श्री हनुमान मानस पूजा
श्री हनुमान मानस पूजा भगवान हनुमान की आराधना करने का एक

महत्वपूर्ण तरीका है। इस पूजा में, भगवान हनुमान को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न मंत्रों और श्लोकों का जाप किया जाता है।

पूजा की विधि
श्री हनुमान मानस पूजा करने के लिए, आपको निम्नलिखित विधि का पालन करना होगा:

1. सबसे पहले, आपको एक साफ और शुद्ध स्थान पर बैठना होगा।
2. इसके बाद, आपको भगवान हनुमान की मूर्ति या चित्र को सामने रखना होगा।
3. अब, आपको भगवान हनुमान के मंत्रों और श्लोकों का जाप करना होगा।
4. जाप करने के दौरान, आपको भगवान हनुमान की आराधना करनी होगी और उनसे अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करनी होगी।

मंत्र और श्लोक
श्री हनुमान मानस पूजा में निम्नलिखित मंत्रों और श्लोकों का जाप किया जा सकता है:

– *हनुमान चालीसा*: हनुमान चालीसा भगवान हनुमान की आराधना करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
– *हनुमान मंत्र*: हनुमान मंत्र भगवान हनुमान की आराधना करने का एक शक्तिशाली तरीका है।
– *श्री हनुमानाष्टक*: श्री हनुमानाष्टक भगवान हनुमान की आराधना करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।

लाभ
श्री हनुमान मानस पूजा करने से आपको निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:

– *भगवान हनुमान की कृपा*: श्री हनुमान मानस पूजा करने से आपको भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त हो सकती है।
– *इच्छाओं की पूर्ति*: श्री हनुमान मानस पूजा करने से आपकी इच्छाओं की पूर्ति हो सकती है।
– *शांति और सुख*: श्री हनुमान मानस पूजा करने से आपको शांति और सुख की प्राप्ति हो सकती है।

बुढ़वा (बड़ा) मंगल कथा और महत्व
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लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर॥

बुढ़वा मंगल उत्सव हनुमान जी के वृद्ध रूप के लिए किया जाता है। यह उत्सव ज्येष्ठ माह के चारों मंगलवार को आयोजित किया जाता है, जिसे प्रचलित भाषा में बूढ़े मंगल के नाम से भी जाना जाता है।

बुढ़वा मंगल हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है, इसे भारत में वानर राज राम भक्त हनुमान जी के वृद्ध रूप की पूजा की जाती  है। श्री हनुमंत शक्ति और ऊर्जा के प्रतीक हैं, वह जादुई शक्तियों और बुरी आत्माओं को जीनते की क्षमता रखने वाले देव के रूप मे पूजे जाते हैं।

बुढ़वा मंगल दक्षिण भारत की अपेक्षा उत्तर भारत मे ज्यादा प्रमुखता से मनाया जाता है। परंतु उत्तर भारत में ही कहीं-कहीं यह त्यौहार ज्येष्ठ माह के प्रथम मंगलवार को भी मनाया जाता है, जिनमे कानपुर एवं वाराणसी प्रमुख शहर हैं।

भगवान शिव के अवतार है हनुमान।

भगवान हनुमान को महादेव का 11वां अवतार भी माना जाता है। हनुमान जी की पूजा करने और व्रत रखने से हनुमान जी का आर्शीवाद प्राप्त होता है और जीवन में किसी भी प्रकार का संकट नहीं आता है, इसलिए हनुमान जी को संकट मोचक भी कहा गया है।

ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में होता हैं या फिर शनि की साढ़ेसाती चल रही होती है, उन लोगों को इस दिन हनुमान जी के सुन्दर कांड का 101 पाठ या हनुमान चालीसा का 1001 पाठ कराने से शनि ग्रह से जुड़ी समस्या में कमी आती हैं। हनुमान जी को मंगलकारी कहा गया है, इसलिए इनकी पूजा जीवन में मंगल लेकर आती हैं।

केसरी तथा माता अंजना के पुत्र श्री हनुमान को महावीर, बजरंगबली, मारुती, पवनपुत्र, अंजनीपुत्र तथा केसरीनन्दन के नाम से भी जाना जाता है। पवनपुत्र हनुमान को भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार माना गया है, अतः प्रत्येक हनुमान मंदिर में शिवलिंग स्थापित अवश्य किया जाता है।

हनुमानजी की प्रतिमा पर लगा केसरी सिन्दूर अत्यन्त पवित्र माना जाता है क्योंकि माना जाता है कि हनुमान को केसरी सिन्दूर अत्यन्त प्रिय है। भक्तगण प्रायः इस सिन्दूर को देसी घी में मिलाकर भगवान की प्रतिमा पर लगाते हैं और प्रसादस्वरूप उसी का टीका तिलक के रुप में अपने मस्तक पर लगाते हैं। ऐसा माना जाता है, कि इस तिलक के माध्यम से भक्त श्री हनुमानजी की कृपा से उन्हीं की तरह शक्तिशाली, ऊर्जावान तथा संयमित हो जाते हैं।

बुढ़वा मंगल का इतिहास और प्रचलित कथायें:
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वैसे तो बुढ़वा मंगल के बारे में कई कथायें प्रचलित हैं जिसका वर्णन मिलता है यहाँ पर कुछ ऐसी ही किवद्नतियां हैं जो सदियों से चली आ रही हैं ।

पुरानी मान्यताओं के अनुसार एक कथा यह है कि  महाभारत काल में हजारों हाथियों के बल को धारण किए भीम को अपने शक्तिशाली होने पर बड़ा अभिमान और घमंड हो गया था। भीम के घमंड को तोड़ने के लिए रूद्र अवतार भगवान हनुमान ने एक बूढ़े बंदर का भेष धारण कर उनका घमंड चूर-चूर किया। आगे चलकर यही दिन बुढ़वा मंगल कहलाने लगा।

दूसरी कथा
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एक अन्य मत के अनुसार रामायण काल में भाद्रपद महीने के आखिरी मंगलवार को माता सीता की खोज में जब लंका पहुंचने पर  हनुमान जी की पूंछ में रावण ने आग लगा दी थी तो हनुमान जी ने अपने विराट स्वरूप को धारण कर लंका को जलाकर रावण का घमंड चूर किया।

मंत्र
ॐ हनु हनुमते नमो नमः, श्री हनुमते नमो नमः।
उत्सव व पूजा विधि
-हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था इसलिए बुढ़वा मंगल के दिन ब्रहम मुहूर्त में पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है।
– हनुमान जी का उपवास रखें नमक का प्रयोग न करें।
-हनुमान जी को प्रिय चीज़ों का भोग जैसे लड्डू,केला ,अंगूर व शुद्ध चावल की खीर चढ़ायें।

-बुढ़वा मंगल पर 101 बार हनुमान चालीसा,सुंदरकांड का पाठ,बजरंग बाण का -पाठ करना शुभ होता है सारे कष्ट संकटमोचन दूर कर देते हैं।
-श्री हनुमंत लाल पर सिंदूर चढ़ाएँ, हनुमंत ध्वजा, प्रार्थना, भजन / कीर्तन करें।
-रामचरित मानस का पाठ कराना भी शुभ व अत्यन्त लाभकारी होता है।
-हनुमान मंदिर का दर्शन कर घर के मंदिर में करें पूजा।

धन और व्यापार से जुड़ी परेशानी दूर करने के लिए करें ये उपाय:
बुढ़वा मंगल के दिन कुछ उपाय करने से धन और व्यापार में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सकता है। बुढ़वा मंगल के दिन शुभ मुहूर्त में हनुमान जी को चमेली के तेल का दीपक जलाएं, इसके साथ ही इस दिन हनुमान जी को चोला और ध्वजा चढ़ाएं। हनुमान जी चोला चढ़ाने से भगवान विशेष प्रसन्न होते हैं।

मंत्र का ध्यान
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मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये।।

अर्थात : जिनकी मन के समान गति और वायु के समान वेग है, जो परम जितेन्द्रिय और बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, उन पवनपुत्र वानरों में प्रमुख श्रीरामदूत की मैं शरण लेता हूं। कलियुग में हनुमानजी की भक्ति से बढ़कर किसी अन्य की भक्ति में शक्ति नहीं है।  रामरक्षा स्तोत्र से लिए गए हनुमानजी के प्रति शरणागत होने के लिए इस श्लोक या मंत्र का जप करने से हनुमानजी तुरंत ही साधक की याचना सुन लेते हैं और वे उनको अपनी शरण में ले लेते हैं।  

जो व्यक्ति हनुमानजी का प्रतिदिन ध्यान करते रहते हैं, हनुमानजी उनकी बुद्धि से क्रोध को हटाकर बल का संचार कर देते हैं। हनुमान भक्त शांत चित्त, निर्भीक और समझदार बन जाता है।

आरती
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई…

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥

पैठि पताल तोरि जाग कारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर संहारे ।
दाईं भुजा सब संत उबारें ॥

सुर नर मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कचंन थाल कपूर की बाती ।
आरती करत अंजनी माई ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति संपूर्णंम् ॥
श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा, हनुमान जन्मोत्सव, मंगलवार व्रत, शनिवार पूजा, बूढ़े मंगलवार और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से गाये जाने वाला चालीसा, जो कि स्वयं गोस्वामी तुलसीदास जी के रामचरितमानस की सबसे प्रसिद्ध रचना है।
हनुमान चालीसा
॥ दोहा॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके
सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं
हरहु कलेस बिकार ॥

चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥४॥

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥

शंकर सुवन केसरी नंदन ।
तेज प्रताप महा जगवंदन ॥

बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥

लाय सजीवन लखन जियाए ।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना ।
लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०॥

राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ॥

आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तै काँपै ॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महावीर जब नाम सुनावै ॥२४॥

नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

संकट तै हनुमान छुडावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥

सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ॥
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥

चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥

तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥

और देवता चित्त ना धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥

जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥

जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥४०॥

दोहा
पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप ॥


बजरंग बाण
॥ दोहा ॥
निश्चय प्रेम प्रतीति ते,
बिनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ,
सिद्ध करैं हनुमान॥

चौपाई
जय हनुमंत संत हितकारी ।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
जन के काज बिलंब न कीजै ।
आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥

जैसे कूदि सिंधु महिपारा ।
सुरसा बदन पैठि बिस्तारा ॥
आगे जाय लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गई सुरलोका ॥

जाय बिभीषन को सुख दीन्हा ।
सीता निरखि परमपद लीन्हा ॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा ।
अति आतुर जमकातर तोरा ॥
अक्षय कुमार मारि संहारा ।
लूम लपेटि लंक को जारा ॥
लाह समान लंक जरि गई ।
जय जय धुनि सुरपुर नभ भई ॥

अब बिलंब केहि कारन स्वामी ।
कृपा करहु उर अंतरयामी ॥
जय जय लखन प्रान के दाता ।
आतुर ह्वै दुख करहु निपाता ॥

जै हनुमान जयति बल-सागर ।
सुर-समूह-समरथ भट-नागर ॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।
बैरिहि मारु बज्र की कीले ॥

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा ।
ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा ॥
जय अंजनि कुमार बलवंता ।
शंकरसुवन बीर हनुमंता ॥
बदन कराल काल-कुल-घालक ।
राम सहाय सदा प्रतिपालक ॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर ।
अगिन बेताल काल मारी मर ॥

इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की ।
राखु नाथ मरजाद नाम की ॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै ।
राम दूत धरु मारु धाइ कै ॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा ।
दुख पावत जन केहि अपराधा ॥
पूजा जप तप नेम अचारा ।
नहिं जानत कछु दास तुम्हारा ॥

बन उपबन मग गिरि गृह माहीं ।
तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं ॥
जनकसुता हरि दास कहावौ ।
ताकी सपथ बिलंब न लावौ ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा ।
सुमिरत होय दुसह दुख नासा ॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं ।
यहि औसर अब केहि गोहरावौं ॥

उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई ।
पायँ परौं, कर जोरि मनाई ॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल ।
ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल ॥
अपने जन को तुरत उबारौ ।
सुमिरत होय आनंद हमारौ ॥

यह बजरंग-बाण जेहि मारै ।
ताहि कहौ फिरि कवन उबारै ॥
पाठ करै बजरंग-बाण की ।
हनुमत रक्षा करै प्रान की ॥

यह बजरंग बाण जो जापैं ।
तासों भूत-प्रेत सब कापैं ॥
धूप देय जो जपै हमेसा ।
ताके तन नहिं रहै कलेसा ॥

दोहा
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै,
पाठ करै धरि ध्यान ।
बाधा सब हर,
करैं सब काम सफल हनुमान ॥

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जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं बधाई और शुभ आशीष

दिनांक 8 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 8 होगा। इस दिन जन्मे व्यक्ति धीर गंभीर, परोपकारी, कर्मठ होते हैं। आपकी वाणी कठोर तथा स्वर उग्र है। आप भौतिकतावादी है। आप अदभुत शक्तियों के मालिक हैं। यह ग्रह सूर्यपुत्र शनि से संचालित होता है। आप अपने जीवन में जो कुछ भी करते हैं उसका एक मतलब होता है। कई बार आपके कार्यों का श्रेय दूसरे ले जाते हैं। आपके मन की थाह पाना मुश्किल है। आपको सफलता अत्यंत संघर्ष के बाद हासिल होती है।

शुभ दिनांक : 8, 17, 26

शुभ अंक : 8, 17, 26, 35, 44

शुभ वर्ष : 2042

ईष्टदेव : हनुमानजी, शनि देवता


शुभ रंग : काला, गहरा नीला, जामुनी

जन्मतिथि के अनुसार भविष्यफल :


व्यापार-व्यवसाय की स्थिति उत्तम रहेगी। नौकरीपेशा व्यक्ति प्रगति पाएंगे। बेरोजगार प्रयास करें, तो रोजगार पाने में सफल होंगे। सभी कार्यों में सफलता मिलेगी। जो अभी तक बाधित रहे है वे भी सफल होंगे। राजनैतिक व्यक्ति भी समय का सदुपयोग कर लाभान्वित होंगे। शत्रु वर्ग प्रभावहीन होंगे, स्वास्थ्य की दृष्टि से समय अनुकूल ही रहेगा।


मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आपके लिए मध्यम फलदायी रहेगा। आज आप प्रत्येक कार्य को विचार कर ही करेंगे परन्तु फिर भी दिन के मध्यान तक प्रत्येक कार्य में विघ्न आएंगे। परिश्रम का यथोचित लाभ ना मिलने से मन में हताशा उत्पन्न होगी। खर्च बढ़-चढ़ कर रहेंगे हताशा आपकी वाणी की कटुता के कारण घर-बाहर का वातावरण अशान्त हो सकता है। आज दिखावटी व्यवहार एवं स्वभाव से बचे अन्यथा भविष्य के लाभ से वंचित रह सकते है। संध्या पश्चात स्थिति में सुधार होगा। कार्य में गति आने से धन की आमद होगी। परिजनों से सुलह के लिए आपको नम्र होना पड़ेगा। आरोग्य बना रहेगा।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन विषम परिस्थितियों वाला रहेगा फिर भी आपका मन मौजी व्यवहार अन्य लोगो के लिये मुश्किलें बढ़ाएगा। अपनी कमियों को छुपाकर अन्य को उपदेश देना मान हानि कराएगा। आज कार्य के क्षेत्र पर अव्यवस्था की स्थिति रहने के कारण कर्मचारियों से तकरार होने की संभावना है नौकरी पेशा जातको से अधिकारी अप्रसन्न रहेंगे। अनावश्यक खर्च बढ़ने से आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है। आज परिजनों के साथ समय बिताने से आगे के लिए मार्गदर्शन मिल सकता है। नशीली वस्तुओं के सेवन से बचे शरीर के साथ मान हानि भी हो सकती है।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन आपको लंबे समय तक याद रखने वाली स्मृतियां देकर जाएगा। आज दिनचर्या को व्यवस्थित बनाने पर भी मध्यान अटक विलंब होगा इसके बाद जिस भी कार्यो को हाथ मे लेंगे उसे पूर्ण कर कुछ न कुछ लाभ अवश्य कमाएंगे। ठेकेदारी को छोड़कर अन्य किसी भी व्यापार में निवेश भविष्य के लिए लाभदायक सिद्ध होगा।  कार्य क्षेत्र में परिवर्तन करने का मन भी बनेगा लेकिन अभी इसके लिए उपयुक्त समय नही है। समाज के प्रतिष्ठित लोगो से लाभदायक सम्बन्ध बनेंगे। माध्यम बाद आर्थिक लाभ के लिए प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। संतान अथवा किसी अन्य व्यक्ति से पीड़ा मिल सकती है।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपको मिला-जुला फल देगा। प्रातः काल का समय किसी के पुराने मतभेद सुलझाने में व्यतीत होगा परंतु इसमे सफलता मध्यान के बाद ही मिलेगी। आज मध्यान के बाद ही अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य करना हितकर रहेगा। कार्य क्षेत्र पर आज प्रतिस्पर्धा अधिक रहेगी नौकरी पेशा लोगो को भी अपने काम निकालने के लिए किसी ना पसंद व्यक्ति की खुशामद करनी पड़ेगी। आज किसी ये आर्थिक लेन-देन ना करें अगर आवश्यक हो तो किसी को मध्यस्थ बना कर ही करें। संध्या के समय मित्र परिचितों के साथ भोजन पर्यटन पर जा सकते है। लोहे की वस्तुओं से सावधानी रखें।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपके लिए बीते दिनों की अपेक्षा राहत भरा रहेगा। कुछ दिनों से चल रही शारीरिक एवं पारिवारिक समस्या आज भी मध्यान तक यथावत बानी रहेगी जिससे दैनिक कार्यो पर विपरीत असर पड़ेगा लेकिन दोपहर के बाद धीरे धीरे इनका समाधान होने से संतोष अनुभव होगा। आज आप सामाजिक कार्य के प्रति रूचि दिखाएंगे लेकिन सामाजिक क्षेत्र पर आर्थिक लेनदेन से बचे धन नाश होने की संभावना है। कला एवं तकनीकी क्षेत्र से जुड़े जातको के लिए आज का दिन लाभदायी सिद्ध होगा। मित्रो रिश्तेदारों के ऊपर खर्च होगा। संतान की प्रगति से संतुष्टि होगी। यात्रा का मन बनेगा।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आपको आज का दिन भी धैर्य से बिताने की सलाह है। कार्य में असफलता अथवा किसी व्यक्ति विशेष के कारण आज आवेश से भरे रह सकते है विशेषकर कार्य क्षेत्र पर सहयोगियों का विपरीत व्यवहार परेशान करेगा। कार्य क्षेत्र पर आज अत्यधिक परिश्रम के बाद भी अल्प लाभ से संतोष करना पड़ेगा। घर मे भी स्वयं अथवा किसी परिजन के द्वारा हानि हो सकती है फिर भी आज वाणी एवं क्रोध को शांत रख दिन धैर्य से बिताए। यात्रा में चोटादि का भय है वाहन चालान अतिआवश्यक होने पर ही करें। सेहत के प्रति लापरवाही से बचें।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन आपके लिए हर प्रकार से  लाभदायी रहेगा। आज सेहत उत्तम रहने से प्रत्येक कार्य उत्साह के साथ करेंगे मध्यान के समय किसी कार्य मे असमंजस की स्थिति बनेगी लेकिन किसी विशेष व्यक्ति का सहयोग मिलने से शंका समाधान हो जाएगा। आप जिस काम में हाथ डालेंगे उसमे धन के साथ कुछ अतिरिक्त लाभ हो सकता है। कई दिनों से रुकी मनचाही यात्रा के अवसर मिलने रोमांचित होंगे। स्नेहीजनों से भेंट आनंद बढ़ाएगी। रुके हुए धन की उगाही करने के लिए भी उत्तम समय है। आज दिन रहते आवश्यक कार्य कर ले इसके बाद कोई ना कोई विघ्न आने लगेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपके लिए कार्य सिद्धि दायक रहेगा। आज आपको प्रत्येक कार्य भर जैसा लगेगा लेकिन एक बार आरम्भ करने पर इससे आशाजनक फल प्राप्त होगा। व्यवसायी वर्ग जिस कार्य को उलझन वाला समझेंगे उसी में मनोवांछित सफलता मिलने से मन हर्षित रहेगा। आज सांसारिक सुख सुविधाओं की वस्तुएं संकलित करने पर भी धन खर्च होगा। विवाहोत्सुकों के लिए योग्य साथी की तलाश पूरी हो सकती है। पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति करने पर घर मे मान बड़ाई मिलेगी। आज किसी को बिना मांगे सलाह देना मुश्किल में डाल सकता है। सेहत लगभग ठीक ही रहेगी।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन आपके लिए मिश्रित फलदायी रहेगा। वैसे तो आज आप धर्म कर्म के प्रति निष्ठावान रहेंगे लाभ हानि का विवेक भी रहेगा लेकिन आज कम समय मे अधिक लाभ पाने के चक्कर में कई काम एक साथ हाथ में लेंगे कोई अनैतिक कार्य भी प्रलोभन में आकर कर सकते है आरम्भ में इससे लाभ होता दिखाई देगा लेकिन बाद में लाभ की जगह हानि ही होगी। मध्यान पश्चात दिन भर के परिश्रम का फल मिलता धन लाभ के रूप में नजर आएगा। आकस्मिक लाभ की सम्भवना है लेकिन उतनी ही जल्दी खर्च भी होगा। परिवार का वातावरण अनुकूल रहने से शांति मिलेगी। लंबी यात्रा की योजना बनेगी। ठंडी वस्तु के सेवन से बचे लंबे समय के रोग हो सकते है।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपके लिए थोड़ा उतार चढ़ाव से भरा रहेगा। दिन के पूर्वार्ध में आपके सब कार्य व्यवहार कुशलता के बल पर सरलता से पूर्ण होंगे। मध्यान के आस पास सार्वजनिक क्षेत्र पर किसी पुराने विवाद को लेकर बदनामी होने का भय सताएगा लेकिन यहाँ किसी पुराने परिचित का सहयोग मिलने से उलझनों से मुक्ति मिलेगी। परंतु मध्यान के बाद स्थिति पुनः विपरीत होने से किसी पारिवारिक कारण से चिंता बढ़ेगी। पारिवारिक सदस्यों में झगड़ा अथवा कोई दुर्घटना होने की सम्भवना है। जिससे मन अशांत रहेगा। परिवार के बुजुर्गो के साथ समय बिताएं।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन आपको शुभ फल की प्राप्ति कराएगा। स्वभाव से आप मनमौजी ही रहेंगे फिर भी आज मध्यान बाद तक सभी से सम्बन्ध मधुर रहेंगे तथा किसी स्वजनं द्वारा लाभ भी हो सकता है। व्यापर नौकरी में भी मामूली उलझनों के बाद अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। लेकिन आज अधिकारी वर्ग से सतर्क रहना पड़ेगा।व्यवसायी वर्ग को संध्या तक रुक रुक कर लाभ होगा। आज किसी प्रिय व्यक्ति से भेंट आनंद देगी। मध्यान पश्चात परिजनों के साथ पर्यटन पर जा सकते है। संध्या के आस पास का समय विशेष खर्चीला सिद्ध होगा। यात्रा में हानि का डर है सतर्क रहें।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपके लिए शुभ फलदायी रहेगा परन्तु अत्यंत खर्चीला भी रहेगा। आज कुछ दिन से चली आ रही गृहस्थ की समस्याओं से निजात मिलने से शारीरिक एवं मानसिक रूप से दृढ़ रहेंगे। लेकिन आपका स्पष्ट बोलना किसी को अखर सकता है। दोपहर बाद व्यापारियों को व्यवसाय में गति मिलने से आर्थिक लाभ होगा एवं व्यापार में उन्नति के अवसर भी मिलेंगे। व्यक्तिगत एवं पारिवारिक खर्च अधिक रहेंगे मनोकामना पूर्ति करने के बाद परिजनों से मतभेद सुलझेंगे। संध्या के बाद स्फूर्ति और प्रसन्नता का अभाव रहेगा फिर भी मनोरंजन के अवसरों का आनंद उठाएंगे।

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