अमावस्या मुख्य रूप से हमारे पूर्वजों या पितरों के सम्मान के लिए समर्पित है। हिंदुओं का मानना है कि इस दिन मृत पूर्वजों की आत्माएं अपने जीवित वंशजों से मिलने आती हैं। इसलिए पितृ तर्पण, पितृ पूजा और पिंड दान जैसे अनुष्ठान करना आवश्यक माना जाता है। इन अनुष्ठानों में पूर्वजों को भोजन, पानी और प्रार्थना अर्पित करना, उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त करना शामिल है।
अमावस्या दुनिया भर की विभिन्न परंपराओं में महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखती है। यह एक नए चंद्र माह की शुरुआत का प्रतीक है और इसे विभिन्न अनुष्ठानों और प्रथाओं के साथ मनाया जाता है।
अमावस्या के दौरान, लोग अक्सर धार्मिक अनुष्ठान करते हैं जैसे पूर्वजों के लिए प्रार्थना करना, तर्पणम (पूर्वजों को जल चढ़ाना) करना और तपस्या या आध्यात्मिक शुद्धि के रूप में उपवास करना। हिंदू धर्म में, यह माना जाता है कि इस दिन दिवंगत पूर्वजों की आत्माएं पृथ्वी पर आती हैं, और प्रार्थना करने और अनुष्ठान करने से उनका आशीर्वाद और मुक्ति पाने में मदद मिलती है।
अपने आध्यात्मिक महत्व के अलावा, अमावस्या प्राकृतिक घटनाओं से भी जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि इस चरण के दौरान, चंद्रमा और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव संरेखित हो जाता है, जिससे पृथ्वी पर उनके संयुक्त गुरुत्वाकर्षण बल में कमी आ जाती है। इस घटना को अक्सर बढ़ी हुई आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़ा जाता है और इसे ध्यान और आंतरिक चिंतन के लिए एक शुभ समय माना जाता है।
कई संस्कृतियों और परंपराओं में अमावस्या मनाने के अनूठे तरीके हैं, जिनमें दीपक जलाना, जरूरतमंदों को भोजन देना, योग और ध्यान का अभ्यास करना और कुछ गतिविधियों से परहेज करना शामिल है। यह दिन दान-पुण्य के कार्य करने और पिछली गलतियों के लिए क्षमा मांगने के लिए भी आदर्श माना जाता है।
कुल मिलाकर, अमावस्या आध्यात्मिक नवीनीकरण, आत्मनिरीक्षण और अपनी जड़ों और पैतृक विरासत से जुड़ने का समय है। यह जीवन की चक्रीय प्रकृति और आत्म-खोज और विकास की निरंतर यात्रा का प्रतीक है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण: 8 अप्रैल को होने वाली दुर्लभ खगोलीय घटना उत्तरी अमेरिका, मैक्सिको, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में दिखाई देगी। इस साल का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा कनाडा, मैक्सिको और संयुक्त राज्य अमेरिका अगले सप्ताह 8 अप्रैल को पूर्ण सूर्य ग्रहण का अनुभव करने के लिए तैयार हैं – इस वर्ष की घटना में व्यापक दर्शक वर्ग होंगे, जो तट से तट तक फैलेगा, मैक्सिको में लैंडफॉल करेगा और आगे बढ़ेगा। अमेरिका के 15 राज्य कनाडा से बाहर निकलेंगे। सूर्य ग्रहण वास्तव में एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण मेक्सिको, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा सहित उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। समग्रता का मार्ग, जहां सूर्य चंद्रमा द्वारा पूरी तरह से ढका हुआ है, टेक्सास, ओक्लाहोमा, अर्कांसस, मिसौरी, इलिनोइस, केंटकी, इंडियाना, ओहियो, पेंसिल्वेनिया, न्यूयॉर्क, वर्मोंट, न्यू हैम्पशायर सहित अमेरिका के कई राज्यों से होकर गुजरेगा।

सोमवती अमावस्याः दरिद्रता निवारण
08 अप्रैल 2024 सोमवार को सूर्योदय से रात्रि 11:50 तक सोमवती अमावस्या है।
सोमवती अमावस्या के पर्व में स्नान-दान का बड़ा महत्त्व है।
इस दिन भी मौन रहकर स्नान करने से हजार गौदान का फल होता है।
इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन तथा उनकी 108 प्रदक्षिणा करने का विधान है। 108 में से 8 प्रदक्षिणा पीपल के वृक्ष को कच्चा सूत लपेटते हुए की जाती है। प्रदक्षिणा करते समय 108 फल पृथक रखे जाते हैं। बाद में वे भगवान का भजन करने वाले ब्राह्मणों या ब्राह्मणियों में वितरित कर दिये जाते हैं। ऐसा करने से संतान चिरंजीवी होती है।
इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है।
नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए
08 अप्रैल 2024 सोमवार को दर्श- चैत्री-सोमवती अमावस्या है ।
घर में हर अमावस अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनेर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।
अमावस्या
अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है (विष्णु पुराण)
धन-धान्य व सुख-संम्पदा के लिए
हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें।
सामग्री : १. काले तिल, २. जौं, ३. चावल, ४. गाय का घी, ५. चंदन पाउडर, ६. गूगल, ७. गुड़, ८. देशी कर्पूर, गौ चंदन या कण्डा।
विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवनकुंड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये देवताओं की १-१ आहुति दें।
आहुति मंत्र
१. ॐ कुल देवताभ्यो नमः
२. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः
३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः
४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः
५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः
इस दिन अपनी राशि के अनुसार करें दान
अमावस्या माह में एक बार ही आती है,अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव है,चैत्र सोमवती अमावस्या 08 अप्रैल सोमवार को है,जब अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं, चैत्र अमावस्या धार्मिक दृष्टिकोण से इस दिन पितरों का पिंडदान और अन्य दान-पुण्य संबंधी कार्य किये जाते हैं,मनुष्य इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करेगा उसे हर तरह से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी। उसे सभी प्रकार के रोग और दुखों से मुक्ति प्राप्त होगी। चैत्र कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि 08 अप्रैल सोमवार सुबह 03 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी और 08 अप्रैल सोमवार रात्रि 11 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। सूर्योदय व्यापिनी चैत्र कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि 08 अप्रैल सोमवार को होगी। इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण, एवं पवित्र नदियों में स्नान,दान करना शुभ रहेगा। अगर किसी कारण वश नदियों में स्नान ना कर सके तो घर में ही पानी में गंगाजल डाल कर स्नान करें और किसी गरीब को यथा शक्ति दान अवश्य करें,अमावस्या के दिन नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाना भी बड़ा ही फलदायी बताया जाता है।
अमावस्या पर करे ये उपाय
अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं।
अमावस्या को शास्त्र में बहुत शुभ दिन माना जाता है। इस दिन ये कुछ उपाय करने से आपके सौभाग्य में वृद्धि होती है। आपको शुभ फल प्राप्त होता है। जानें कुछ उपाय..
अमावस्या तिथि के दिन सूर्योदय काल में पवित्र नदियों या सरोवरों में स्नान करने तथा सामर्थ्य के अनुसार दान करने से सभी पाप क्षय हो जाते हैं तथा पुण्य कि प्राप्ति होती है।
तिल, दूध और तिल से बनी मिठाइयों का दान दरिद्रता मिटाने वाला है।
प्रत्येक अमावस्या के दिन अपने पितरों का ध्यान करें। ध्यान के साथ पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें। इस क्रिया को करते समय ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ मंत्र का जाप करें। उसके बाद पितृसूक्त का पाठ करना शुभ फल प्रदान करता है।
अमावस्या के दिन सूर्य देव को ताम्र बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर 3 बार अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ का बीज मंत्र का जाप करें।
अमावस्या पर नीलकंठ स्तोत्र का पाठ, सर्पसूक्त पाठ, श्रीनारायण कवच का पाठ करने के बाद ब्राह्मणों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दिवंगत की पसंदीदा मिठाई तथा दक्षिणा सहित भोजन कराना चाहिए।
नि:संतानों की कुंडली में संतान प्राप्ति के योग बन जाते हैं। राहू नीच रूप में यदि किसी के भाग्य वाले स्थान पर बैठा हो तो इस दिन किया गया व्रत इसके दुष्प्रभाव को नष्ट कर देता है।
शाम के समय घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में लाल रंग के धागे का उपयोग करें।
गरीबी दूर करने, संतान की प्राप्ति के लिए, व्यवसाय में उन्नति के लिए चांदी का छोटा सा पीपल बनाकर दान करें।
अमावस्या के दिन कालसर्प दोष वालों को सुबह स्नान कर के चांदी के नाग-नागिन की पूजा करनी चाहिए। उजले फूल के साथ इसे फिर किसी बहते पानी में प्रवाहित करें।
भगवान विष्णु के मन्दिर में झंडा लगाएं,मां लक्ष्मी को खीर मेवा डाल कर प्रसाद भोग लगाएं माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी।
ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा को मन का देवता माना जाता है। अमावस्या के दिन चन्द्रमा नहीं दिखाई देता। इसका प्रभाव सबसे अधिक उन्ही लोगों पर पड़ता है जो बहुत भावुक होते है। लड़कियों का मन सबसे अधिक भावुक होता है।
इस दिन चंद्रमा नहीं दिखाई देता जिसके कारण हमारे शरीर में हलचल होने लगती है।और जो व्यक्ति नकारात्मक सोच वाले होते है उन्हें नकरात्मक शक्ति प्रभाव में ले लेती है।
अमावस्या के दिनों में किन बातों का खास ख्याल रखें।
अमावस्या के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए,ब्रम्चार्य का पालन करना चाहिए,इन दिनों में शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए, व्रत रखने वालों को इस व्रत के दौरान दाढ़ी-मूंछ और बाल नाखून नहीं काटने चाहिए, व्रत करने वालों को पूजा के दौरान बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए,काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए,किसी का दिल दुखाना सबसे बड़ी हिंसा मानी जाती है। गलत काम करने से आपके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते है।
सोमवती अमावस्या के दिन अपनी राशि के अनुसार करें दान
अमावस्या के दिन आपके द्वारा किया जाने वाला दान आपकी राशि से जुड़ा हो। राशि के अनुसार आपके लिए कौन सा दान फलदायी साबित होगा,यहां जानें –
मेष राशि के लोगों को गुड़, मूंगफली, तिल,तांबा की वस्तु, दही का दान देना चाहिए।
वृषभ राशि के लोगों के लिए सफेद कपड़े,
चांदी और तिल का दान करना उपयुक्त रहेगा।
मिथुन राशि के लोग मूंग दाल, चावल,
पीला वस्त्र, गुड़ और कंबल का दान करें।
कर्क राशि के लोगों के लिए चांदी, चावल,सफेद ऊन, तिल और सफेद वस्त्र का दान देना उचित है।
सिंह राशि के लोगों को तांबा,गुड़, गेंहू,गौमाता का घी, सोने और मोती दान करने चाहिए।
कन्या राशि के लोगों को चावल, हरे मूंग या हरे कपड़े का दान देना चाहिए।
तुला राशि के जातकों को हीरे, चीनी या कंबल,गुड़, सात तरह के अनाज का देना चाहिए।
वृश्चिक राशि के लोगों को मूंगा, लाल कपड़ा,लाल वस्त्र, दही और तिल दान करना चाहिए।
धनु राशि के जातकों को वस्त्र, चावल, तिल,पीला वस्त्र और गुड़ का दान करना चाहिए।
मकर राशि के लोगों को गुड़,चावल,कंबल, गुड़ और तिल दान करने चाहिए।
कुंभ राशि के जातकों के लिए काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी,कंबल, घी और तिल का दान चाहिए।
मीन राशि के लोगों को रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल,चना दाल और तिल दान देने चाहिए।
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