🙏🏻 हर हर महादेव🙏🏻
🌞🚩🚩जय श्री राम 🚩🚩🌞*
🌞~ आज का वैदिक पंचांग ~🌞
⛅दिनांक – 17 नवम्बर 2024
⛅दिन – रविवार
⛅विक्रम संवत् – 2081
⛅अयन – दक्षिणायन
⛅ऋतु – हेमन्त
⛅मास – मार्गशीर्ष
⛅पक्ष – कृष्ण
⛅तिथि – द्वितीया रात्रि 09:06 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅नक्षत्र – रोहिणी शाम 05:22 तक तत्पश्चात मॄगशिरा
⛅योग – शिव रात्रि 08:21 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅राहु काल – शाम 04:32 से शाम 05:55 तक
⛅सूर्योदय – 06:58

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⛅सूर्यास्त – 05:50
⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:11 से 06:03 तक
⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:03 से दोपहर 12:47 तक
⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 नवम्बर 17 से रात्रि 12:51 नवम्बर 18 तक
⛅ व्रत पर्व विवरण –  रोहिणी व्रत, द्विपुष्कर योग (शाम 05:22 से रात्रि 09:06 तक)
⛅विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा  बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🌹कुल देवी या देवता को 4 उपाय से मनाएं और संकटों से मुक्ति पाएं🌹

⭕भारत में कई समाज या जाति के कुलदेवी और देवता होते हैं। भारतीय लोग हजारों वर्षों से अपने कुलदेवी और देवता की पूजा करते आ रहे हैं। हालांकि आजकल अधिकतर परिवार ने अपाने कुलदेवी और कुल देवताओं को पूजना या उनको याद करना छोड़ दिया है। संभवत: इसी के कारण वे घोर संकट में घिरे हुए हैं। यदि ऐसा है तो 4 उपाय करें और संकटों से मुक्ति पाएं।

  1. जन्म, विवाह आदि मांगलिक कार्यों में कुलदेवी या देवताओं के स्थान पर जाकर उनकी पूजा की जाती है या उनके नाम से स्तुति की जाती है। कुलदेवी की कृपा का अर्थ होता है सौ सुनार की एक लोहार की। बिना कुलदेवी कृपा के किसी के कुल का वंश ही क्या कोई नाम, यश आगे बढ़ नहीं सकता। अत: कुल देवी और देवता के लिए प्रतिदिन सुबह और शाम को भोग निकालें और उनके नाम का उच्चारण करें। नाम नहीं याद हो तो स्थान का उच्चारण करें। जैसे, डुंगलाई वाली कुलदेवी की जय। स्थान का नाम भी नहीं मालूम होतो तो हे माता कुलदेवी और कुलदेवता आपकी सदा विजयी हो। दुर्गा माता की जय, भैरू महाराज की जय।
  2. एक ऐसा भी दिन होता है जबकि संबंधित कुल के लोग अपने देवी और देवता के स्थान पर इकट्ठा होते हैं। जिन लोगों को अपने कुलदेवी और देवता के बारे में नहीं मालूम है या जो भूल गए हैं, वे अपने कुल की शाखा और जड़ों से कट गए हैं। कुलदेवी या कुल देवता के स्थान से आपके पूर्वजों का पता लगता है। जिसे यह नहीं याद है वे भैरू महाराज और दुर्गा माता के मंदिर में जाकर उनके नाम का भोज चढ़ाएं और पूजा करें।
  3. कुल देवी या देवता के स्थान पर जाकर एक साबूत नींबू लें और उसको अपने उपर से 21 बार वार कर उसे दो भागों में काटकर एक भाग को दूसरे भाग की दिशा में और दूसरे भाग को पहले भाग की दिशा में फेंक दें। इसके बाद कुलदेवी या देवता से क्षमा मांग कर वहां अच्छे से पूजा पाठ करें या करवाएं और सभी को दान-दक्षिणा दें।
  4. कुलदेवता की पूजा करते समय शुद्ध देसी घी का दीया, धूप, अगरबत्ती, चंदन और कपूर जलाना चाहिए साथ ही प्रसाद स्वरूप भोग भी लगाना चाहिए। कुलदेवता को चंदन और चावल का टीका अर्पण करते समय ध्यान रखें की टूटे हुए या खंडित चावल ना हो। कुलदेवता को हल्दी में लिपटे पीले चावल पानी में भिगोकर अर्पण करना शुभ माना जाता है। पूजा के समय पान के पत्ते का बहुत महत्व है जिसके साथ सुपारी, लौंग, इलायची और गुलकंद भी अर्पण करना चाहिए। कुलदेवी या देवता को पुष्प चढ़ाते हुए आपको इन्हें पानी में अच्छी तरह से धोना चाहिए। सभी देवी-देवताओं की पूजा जिस तरह सुबह-शाम की जाती है, उसी तरह कुलदेवी और देवता की पूजा भी दीपक जलाकर करनी चाहिए।

कार्तिक माहात्म्य
ऋषियों ने पूछा – हे सूतजी! पीपल के वृक्ष की शनिवार के अलावा सप्ताह के शेष दिनों में पूजा क्यों नहीं की जाती?
सूतजी बोले – हे ऋषियों! समुद्र-मंथन करने से देवताओं को जो रत्न प्राप्त हुए, उनमें से देवताओं ने लक्ष्मी और कौस्तुभमणि भगवान विष्णु को समर्पित कर दी थी। जब भगवान विष्णु लक्ष्मी जी से विवाह करने के लिए तैयार हुए तो लक्ष्मी जी बोली – हे प्रभु! जब तक मेरी बड़ी बहन का विवाह नहीं हो जाता तब तक मैं छोटी बहन आपसे किस प्रकार विवाह कर सकती हूँ इसलिए आप पहले मेरी बड़ी बहन का विवाह करा दे, उसके बाद आप मुझसे विवाह कीजिए। यही नियम है जो प्राचीनकाल से चला आ रहा है।
सूतजी ने कहा – लक्ष्मी जी के मुख से ऎसे वचन सुनकर भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी की बड़ी बहन का विवाह उद्दालक ऋषि के साथ सम्पन्न करा दिया। लक्ष्मी जी की बड़ी बहन अलक्ष्मी जी बड़ी कुरुप थी, उसका मुख बड़ा, दाँत चमकते हुए, उसकी देह वृद्धा की भाँति, नेत्र बड़े-बड़े और बाल रुखे थे। भगवान विष्णु द्वारा आग्रह किये जाने पर ऋषि उद्दालक उससे विवाह कर के उसे वेद मन्त्रों की ध्वनि से गुंजाते हुए अपने आश्रम ले आये। वेद ध्वनि से गुंजित हवन के पवित्र धुंए से सुगन्धित उस ऋषि के सुन्दर आश्रम को देखकर अलक्ष्मी को बहुत दु:ख हुआ। वह महर्षि उद्दालक से बोली – चूंकि इस आश्रम में वेद ध्वनि गूँज रही है इसलिए यह स्थान मेरे रहने योग्य नहीं है इसलिए आप मुझे यहाँ से अन्यत्र ले चलिए।
उसकी बात सुनकर महर्षि उद्दालक बोले – तुम यहाँ क्यों नहीं रह सकती और तुम्हारे रहने योग्य अन्य कौन सा स्थान है वह भी मुझे बताओ। अलक्ष्मी बोली – जिस स्थान पर वेद की ध्वनि होती हो, अतिथियों का आदर-सत्कार किया जाता हो, यज्ञ आदि होते हों, ऎसे स्थान पर मैं नहीं रह सकती। जिस स्थान पर पति-पत्नी आपस में प्रेम से रहते हों पितरों के निमित्त यज्ञ होते हों, देवताओं की पूजा होती हो, उस स्थान पर भी मैं नहीं रह सकती। जिस स्थान पर वेदों की ध्वनि न हो, अतिथियों का आदर-सत्कार न होता हो, यज्ञ न होते हों, पति-पत्नी आपस में क्लेश करते हों, पूज्य वृद्धो, सत्पुरुषों तथा मित्रों का अनादर होता हो, जहाँ दुराचारी, चोर, परस्त्रीगामी मनुष्य निवास करते हों, जिस स्थान पर गायों की हत्या की जाती हो, मद्यपान, ब्रह्महत्या आदि पाप होते हों, ऎसे स्थानों पर मैं प्रसन्नतापूर्वक निवास करती हूँ।
सूतजी बोले – अलक्ष्मी के मुख से इस प्रकार के वचन सुनकर उद्दालक का मन खिन्न हो गया। वह इस बात को सुनकर मौन हो गये। थोड़ी देर बाद वे बोले कि ठीक है, मैं तुम्हारे लिए ऎसा स्थान ढूंढ दूंगा। जब तक मैं तुम्हारे लिए ऎसा स्थान न ढूंढ लूँ तब तक तुम इसी पीपल के नीचे चुपचाप बैठी रहना। महर्षि उद्दालक उसे पीपल के वृक्ष के नीचे बैठाकर उसके रहने योग्य स्थान की खोज में निकल पड़े परन्तु जब बहुत समय तक प्रतीक्षा करने पर भी वे वापिस नहीं लौटे तो अलक्ष्मी विलाप करने लगी। जब वैकुण्ठ में बैठी लक्ष्मी जी ने अपनी बहन अलक्ष्मी का विलाप सुना तो वे व्याकुल हो गई। वे दुखी होकर भगवान विष्णु से बोली – हे प्रभु! मेरी बड़ी बहन पति द्वारा त्यागे जाने पर अत्यन्त दुखी है। यदि मैं आपकी प्रिय पत्नी हूँ तो आप उसे आश्वासन देने के लिए उसके पास चलिए। लक्ष्मी जी की प्रार्थना पर भगवान विष्णु लक्ष्मी जी सहित उस पीपल के वृक्ष के पास गये जहाँ अलक्ष्मी बैठकर विलाप कर रही थी।
उसको आश्वासन देते हुए भगवान विष्णु बोले – हे अलक्ष्मी! तुम इसी पीपल के वृक्ष की जड़ में सदैव के लिए निवास करो क्योंकि इसकी उत्पत्ति मेरे ही अंश से हुई है और इसमें सदैव मेरा ही निवास रहता है। प्रत्येक वर्ष गृहस्थ लोग तुम्हारी पूजा करेगें और उन्हीं के घर में तुम्हारी छोटी बहन का वास होगा। स्त्रियों को तुम्हारी पूजा विभिन्न उपहारों से करनी चाहिए। मनुष्यों को पुष्प, धूप, दीप, गन्ध आदि से तुम्हारी पूजा करनी चाहिए तभी तुम्हारी छोटी बहन लक्ष्मी उन पर प्रसन्न होगी।
सूतजी बोले – ऋषियों! मैंने आपको भगवान श्रीकृष्ण, वी सत्यभामा तथा पृथु-नारद का संवाद सुना दिया है जिसे सुनने से ही मनुष्य के समस्त पापों का नाश हो जाता है और अन्त में वैकुण्ठ को प्राप्त करता है। यदि अब भी आप लोग कुछ पूछना चाहते हैं तो अवश्य पूछिये, मैं उसे अवश्य कहूँगा।
सूतजी के वचन सुनकर शौनक आदि ऋषि थोड़ी देर तक प्रसन्नचित्त वहीं बैठे रहे, तत्पश्चात वे लोग बद्रीनारायण जी के दर्शन हेतु चल दिये। जो मनुष्य इस कथा को सुनता या सुनाता है उसे इस संसार में समस्त सुख प्राप्त होते हैं।
इतनी कथा सुनकर सभी ऋषि सूतजी से बोले – हे सूतजी! अब आप हमें तुलसी विवाह की विधि बताइए। सूतजी बोले – कार्तिक शुक्ला नवमी को द्वापर युग का आरम्भ हुआ है। अत: यह तिथि दान और उपवास में क्रमश: पूर्वाह्नव्यापिनी तथा पराह्नव्यापिनी हो तो ग्राह्य है। इस तिथि को, नवमी से एकादशी तक, मनुष्य शास्त्रोक्त विधि से तुलसी के विवाह का उत्सव करे तो उसे कन्यादान का फल प्राप्त होता है। पूर्वकाल में कनक की पुत्री किशोरी ने एकादशी तिथि में सन्ध्या के समय तुलसी की वैवाहिक विधि सम्पन्न की। इससे वह किशोरी वैधव्य दोष से मुक्त हो गई।
अब मैं उसकी विधि बतलाता हूँ – एक तोला सुवर्ण की भगवान विष्णु की सुन्दर प्रतिमा तैयार कराए अथवा अपनी शक्ति के अनुसार आधे या चौथाई तोले की ही प्रतिमा बनवा ले, फिर तुलसी और भगवान विष्णु की प्रतिमा में प्राण-प्रतिष्ठा कर के षोडशोपचार से पूजा करें। पहले देश-काल का स्मरण कर के गणेश पूजन करें फिर पुण्याहवाचन कराकर नान्दी श्राद्ध करें। तत्पश्चात वेद-मन्त्रों के उच्चारण और बाजे आदि की ध्वनि के साथ भगवान विष्णु की प्रतिमा को तुलसी जी के निकट लाकर रखें। प्रतिमा को वस्त्रों से आच्छादित करना चाहिए। उस समय भगवान का आवाहन करें :-
भगवान केशव! आइए, देव! मैं आपकी पूजा करुंगा। आपकी सेवा में तुलसी को समर्पित करुंगा। आप मेरे सम्पूर्ण मनोरथों को पूर्ण करें।
इस प्रकार आवाहन के पश्चात तीन-तीन बार अर्ध्य, पाद्य और विष्टर का उच्चारण कर के इन्हें बारी-बारी से भगवान को समर्पित करें, फिर आचमनीय पद का तीन बार उच्चारण कर के भगवान को आचमन कराएँ। इसके बाद कांस्य के बर्तन में दही, घी और मधु(शहद) रखकर उसे कांस्य के पात्र से ही ढक दें तथा भगवान को अर्पण करते हुए इस प्रकार कहें – वासुदेव! आपको नमस्कार है, यह मधुपर्क(दही, घी तथा शहद के मिश्रण को मधुपर्क कहते हैं) ग्रहण कीजिए।
तदनन्तर हरिद्रालेपन और अभ्यंग-कार्य सम्पन्न कर के गौधूलि की वेला में तुलसी और विष्णु का पूजन पृथक-पृथक करना चाहिए। दोनों को एक-दूसरे के सम्मुख रखकर मंगल पाठ करें। जब भगवान सूर्य कुछ-कुछ दिखाई देते हों तब कन्यादान का संकल्प करें। अपने गोत्र और प्रवर का उच्चारण कर के आदि की तीन पीढ़ियों का भी आवर्तन करें। तत्पश्चात भगवान से इस प्रकार कहें :- “आदि, मध्य और अन्त से रहित त्रिभुवन-प्रतिपालक परमेश्वर! इस तुलसी दल को आप विवाह की विधि से ग्रहण करें। यह पार्वती के बीज से प्रकट हुई है, वृन्दा की भस्म में स्थित रही है तथा आदि, मध्य और अन्त से शून्य है, आपको तुलसी बहुत ही प्रिय है, अत: इसे मैं आपकी सेवा में अर्पित करता हूँ। मैंने जल के घड़ो से सींचकर और अन्य प्रकार की सेवाएँ कर के अपनी पुत्री की भाँति इसे पाला, पोसा और बढ़ाया है, आपकी प्रिया तुलसी मैं आपको दे रहा हूँ। प्रभो! आप इसे ग्रहण करें।”
इस प्रकार तुलसी का दान कर के फिर उन दोनों अर्थात तुलसी और भगवान विष्णु की पूजा करें, विवाह का उत्सव मनाएँ। सुबह होने पर पुन: तुलसी और विष्णु जी का पूजन करें। अग्नि की स्थापना कर के उसमें द्वादशाक्षर मन्त्र से खीर, घी, मधु और तिलमिश्रित हवनीय द्रव्य की एक सौ आठ आहुति दें फिर ‘स्विष्टकृत’ होमक कर के पूर्णाहुति दें। आचार्य की पूजा करके होम की शेष विधि पूरी करें। उसके बाद भगवान से इस प्रकार प्रार्थना करें – हे प्रभो! आपकी प्रसन्नता के लिए मैंने यह व्रत किया है। जनार्दन इसमें जो न्यूनता हो वह आपके प्रसाद से पूर्णता को प्राप्त हो जाये।
यदि द्वादशी में रेवती का चौथा चरण बीत रहा हो तो उस समय पारण न करें। जो उस समय भी पारण करता है वह अपने व्रत को निष्फल कर देता है। भोजन के पश्चात तुलसी के स्वत: गलकर गिरे हुए पत्तों को खाकर मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है। भोजन के अन्त में ऊख, आंवला और बेर का फल खा लेने से उच्छिष्ट-दोष मिट जाता है।
तदनन्तर भगवान का विसर्जन करते हुए कहे – ‘भगवन! आप तुलसी के साथ वैकुण्ठधाम में पधारें। प्रभो! मेरे द्वारा की हुई पूजा ग्रहण करके आप सदैव सन्तुष्टि करें।’ इस प्रकार देवेश्वर विष्णु का विसर्जन कर के मूर्त्ति आदि सब सामग्री आचार्य को अर्पण करें। इससे मनुष्य कृतार्थ हो जाता है।
यह विधि सुनाकर सूतजी ने ऋषियों से कहा – हे ऋषियों! इस प्रकार जो मनुष्य श्रद्धापूर्वक सत्य, शान्ति और सन्तोष को धारण करता है, भगवान विष्णु को तुलसीदल समर्पित करता है, उसके सभी पापों का नाश हो जाता है और वह संसार के सुखों को भोगकर अन्त में विष्णुलोक को प्राप्त करता है।
हे ऋषिवरों! यह कार्तिक माहात्म्य सब रोगों और सम्पूर्ण पापों का नाश करने वाला है। जो मनुष्य इस माहात्म्य को भक्तिपूर्वक पढ़ता है और जो सुनकर धारण करता है वह सब पापों से मुक्त हो भगवान विष्णु के लोक में जाता है। जिसकी बुद्धि खोटी हो तथा जो श्रद्धा से हीन हो ऎसे किसी भी मनुष्य को यह माहात्म्य नहीं सुनाना चाहिए। [इति श्री कार्तिक मास माहात्म्य]

🔹खजूर खाओ, सेहत बनाओ !🔹

🔸 खजूर मधुर, शीतल, पौष्टिक व सेवन करने के बाद तुरंत शक्ति-स्फूर्ति देनेवाला है । यह रक्त, मांस व वीर्य की वृद्धि करता है । हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देता है । वात, पित्त व कफ इन तीनों दोषों का शामक है । यह मल व मूत्र को साफ लाता है । खजूर में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस, लौह आदि प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं । ‘अमेरिकन कैंसर सोसायटी’ के अनुसार शरीर को एक दिन में 20-35 ग्राम डाएटरी फाइबर (खाद्य पदार्थों में स्थित रेशा) की जरूरत होती है, जो खजूर खाने से पूरी हो जाती है।

🔸खजूर रातभर पानी में भिगोकर सुबह लेना लाभदायक है । कमजोर हृदयवालों के लिए यह विशेष उपयोगी है । खजूर यकृत (लीवर) के रोगों में लाभकारी है । रक्ताल्पता में इसका नियमित सेवन लाभकारी है । नींबू के रस में खजूर की चटनी बनाकर खाने से भोजन की अरुचि मिटती है । खजूर का सेवन बालों को लम्बे, घने और मुलायम बनाता है ।

🔷 औषधि-प्रयोग 🔷

🔸मस्तिष्क व हृदय की कमजोरी : रात को खजूर भिगोकर सुबह दूध या घी के साथ खाने से मस्तिष्क व हृदय की पेशियों को ताकत मिलती है । विशेषतः रक्त की कमी के कारण होनेवाली हृदय की धड़कन व एकाग्रता की कमी में यह प्रयोग लाभदायी है।

🔸शुक्राल्पता : खजूर उत्तम वीर्यवर्धक है । गाय के घी अथवा बकरी के दूध के साथ लेने से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है । इसके अतिरिक्त अधिक मासिक स्राव, क्षयरोग, खाँसी, भ्रम (चक्कर), कमर व हाथ-पैरों का दर्द एवं सुन्नता तथा थायरॉइड संबंधी रोगों में भी यह लाभदायी है ।

🔸 कब्जनाशक : खजूर में रेचक गुण भरपूर है । 8-10 खजूर 200 ग्राम पानी में भिगो दें, सुबह मसलकर इनका शरबत बना लें । फिर इसमें 300 ग्राम पानी और डालकर गुनगुना करके खाली पेट चाय की तरह पियें । कुछ देर बाद दस्त होगा । इससे आँतों को बल और शरीर को स्फूर्ति भी मिलेगी । उम्र के अनुसार खजूर की मात्रा कम-ज्यादा करें।

🔸 नशा-निवारक : शराबी प्रायः नशे की झोंक में इतनी शराब पीते हैं कि उसका यकृत नष्ट होकर मृत्यु का कारण बन जाता है । इस स्थिति में ताजे पानी में खजूर को अच्छी तरह मसलते हुए शरबत बनायें । यह शरबत पीने से शराब का विषैला प्रभाव नष्ट होने लगता है।

🔸आँतों की पुष्टि : खजूर आँतों के हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है, साथ ही खजूर के विशिष्ट तत्त्व ऐसे जीवाणुओं को जन्म देते हैं जो आँतों को विशेष शक्तिशाली तथा अधिक सक्रिय बनाते हैं।

🔸हृदयरोगों में : लगभग 50 ग्राम गुठलीरहित छुहारे (खारक) 250 मि.ली. पानी में रात को भिगो दें । सुबह छुहारों को पीसकर पेस्ट बना के उसी बचे हुए पानी में घोल लें । इसे प्रातः खाली पेट पी जाने से कुछ ही माह में हृदय को पर्याप्त सबलता मिलती है । इसमें 1 ग्राम इलायची चूर्ण मिलाना विशेष लाभदायी है।

🔸तन-मन की पुष्टि : दूध में खजूर उबाल के बच्चों को देने से उन्हें शारीरिक-मानसिक पोषण मिलता है व शरीर सुदृढ़ बनता है।

🔸शैयामूत्र : जो बच्चे रात्रि में बिस्तर गीला करते हों, उन्हें दो छुहारे रात्रि में भिगोकर सुबह दूध में उबाल के दें।

🔸बच्चों के दस्त में : बच्चों के दाँत निकलते समय उन्हें बार-बार हरे दस्त होते हों या पेचिश पड़ती हो तो खजूर के साथ शहद को अच्छी तरह फेंटकर एक-एक चम्मच दिन में 2-3 बार चटाने से लाभ होता है।

🔷 सावधानी : आजकल खजूर को वृक्ष से अलग करने के बाद रासायनिक पदार्थों के द्वारा सुखाया जाता है । ये रसायन शरीर के लिए हानिकारक होते हैं । अतः उपयोग करने से पहले खजूर को अच्छी तरह से धो लें । धोकर सुखाने के बाद इन्हें विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जा सकता है|

🔹’बुफे सिस्टम’ नहीं, भारतीय भोजन पद्धति है लाभप्रद🔹

आजकल सभी जगह शादी-पार्टियों में खड़े होकर भोजन करने का रिवाज चल पडा है लेकिन हमारे शास्त्र कहते हैं कि हमें नीचे बैठकर ही भोजन करना चाहिए । खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ तथा पंगत में बैठकर भोजन करने से जो लाभ होते हैं वे निम्नानुसार हैं : 

🔹 खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ  🔹

🔸(१) यह आदत असुरों की है । इसलिए इसे ‘राक्षसी भोजन पद्धति’ कहा जाता है ।

🔸 (२) इसमें पेट, पैर व आँतों पर तनाव पड़ता है, जिससे गैस, कब्ज, मंदाग्नि, अपचन जैसे अनेक उदर-विकार व घुटनों का दर्द, कमरदर्द आदि उत्पन्न होते हैं। कब्ज अधिकतर बीमारियों का मूल है।

🔸 (३) इससे जठराग्नि मंद हो जाती है, जिससे अन्न का सम्यक् पाचन न होकर अजीर्णजन्य कई रोग उत्पन्न होते हैं।

🔸 (४) इससे हृदय पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे हृदयरोगों की सम्भावनाएँ बढ़ती हैं।

🔸 (५) पैरों में जूते-चप्पल होने से पैर गरम रहते हैं । इससे शरीर की पूरी गर्मी जठराग्नि को प्रदीप्त करने में नहीं लग पाती।

🔸 (६) बार-बार कतार में लगने से बचने के लिए थाली में अधिक भोजन भर लिया जाता है, फिर या तो उसे जबरदस्ती ठूँस-ठूँसकर खाया जाता है जो अनेक रोगों का कारण बन जाता है अथवा अन्न का अपमान करते हुए फेंक दिया जाता है।

🔸 (७) जिस पात्र में भोजन रखा जाता है, वह सदैव पवित्र होना चाहिए लेकिन इस परम्परा में जूठे हाथों के लगने से अन्न के पात्र अपवित्र हो जाते हैं । इससे खिलानेवाले के पुण्य नाश होते हैं और खानेवालों का मन भी खिन्न-उद्विग्न रहता है।

🔸 (८) हो-हल्ले के वातावरण में खड़े होकर भोजन करने से बाद में थकान और उबान महसूस होती है । मन में भी वैसे ही शोर-शराबे के संस्कार भर जाते हैं ।

 🔹 बैठकर (या पंगत में) भोजन करने से लाभ 🔹

🔸 (१) इसे ‘दैवी भोजन पद्धति’ कहा जाता है।

🔸 (२) इसमें पैर, पेट व आँतों की उचित स्थिति होने से उन पर तनाव नहीं पड़ता।

🔸 (३) इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है, अन्न का पाचन सुलभता से होता है।

🔸 (४) हृदय पर भार नहीं पड़ता।

🔸 (५) आयुर्वेद के अनुसार भोजन करते समय पैर ठंडे रहने चाहिए । इससे जठराग्नि प्रदीप्त होने में मदद मिलती है । इसीलिए हमारे देश में भोजन करने से पहले हाथ-पैर धोने की परम्परा है।

🔸 (६) पंगत में एक परोसनेवाला होता है, जिससे व्यक्ति अपनी जरूरत के अनुसार भोजन लेता है । उचित मात्रा में भोजन लेने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है व भोजन का भी अपमान नहीं होता।

🔸 (७) भोजन परोसनेवाले अलग होते हैं, जिससे भोजनपात्रों को जूठे हाथ नहीं लगते । भोजन तो पवित्र रहता ही है, साथ ही खाने-खिलानेवाले दोनों का मन आनंदित रहता है।

🔸 (८) शांतिपूर्वक पंगत में बैठकर भोजन करने से मन में शांति बनी रहती है, थकान-उबान भी महसूस नहीं होती।

आज का सुविचार
🕉️उपाध्याय से आचार्य का दश गुना महत्त्व है, आचार्य से सौ गुना पिता का और पिता से हजार गुना अधिक गौरव माता का है।🕉️

जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं बधाई और शुभ आशीष

दिनांक 17 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 8 होगा। आप अपने जीवन में जो कुछ भी करते हैं उसका एक मतलब होता है। आपके मन की थाह पाना मुश्किल है। आपको सफलता अत्यंत संघर्ष के बाद हासिल होती है।

कई बार आपके कार्यों का श्रेय दूसरे ले जाते हैं। यह ग्रह सूर्यपुत्र शनि से संचालित होता है। इस दिन जन्मे व्यक्ति धीर गंभीर, परोपकारी, कर्मठ होते हैं। आपकी वाणी कठोर तथा स्वर उग्र है। आप भौतिकतावादी है। आप अदभुत शक्तियों के मालिक हैं।

शुभ दिनांक : 8, 17, 26

शुभ अंक : 8, 17, 26, 35, 44

शुभ वर्ष : 2024, 2042

ईष्टदेव : हनुमानजी, शनि देवता

शुभ रंग : काला, गहरा नीला, जामुनी

जन्मतिथि के अनुसार भविष्यफल :
शत्रु वर्ग प्रभावहीन होंगे, स्वास्थ्य की दृष्टि से समय अनुकूल ही रहेगा। सभी कार्यों में सफलता मिलेगी। जो अभी तक बाधित रहे है वे भी सफल होंगे। व्यापार-व्यवसाय की स्थिति उत्तम रहेगी। राजनैतिक व्यक्ति भी समय का सदुपयोग कर लाभान्वित होंगे। नौकरीपेशा व्यक्ति प्रगति पाएंगे। बेरोजगार प्रयास करें, तो रोजगार पाने में सफल होंगे|

आज का राशिफल

मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आपको मिला जुला फल देगा। दिन के आरंभिक भाग में किसी परिजन से आपके गलत आचरण को लेकर बहस होगी लेकिन बात गंभीर होने से पहले ही सुधार कर लेंगे। कार्य क्षेत्र अथवा किसी अन्य जगह से अकस्मात लाभ या शुभ समाचार मिलने से उत्साहित होंगे लेकिन उत्साह ज्यादा देर नही टिकेगा लापरवाही अथवा भाग्य का साथ कम मिलने से बने बनाये कार्य बिगड़ने की संभावना है फिर भी आज धन की आमद थोड़ी थोड़ी मात्रा में कई बार होने से राहत मिलेगी लेकिन यह भी कुछ समय के लिये ही सुख दे पाएगी आज खर्च अन्य दिनों की तुलना में अधिक होने पर धन संचय नही कर पाएंगे ऊपर से उधारी वालो के कारण मन अस्थिर रहेगा। पैतृक एवं कुटुम्ब के कार्य आज झंझट जैसे लगेंगे फिर भी व्यवहारिकता के लिये मन मारकर करने ही पड़ेंगे। दाम्पत्य जीवन मे भी आज चंचलता अधिक रहेगी। सेहत ठीक रहने पर भी मन मे कोई ना कोई भय बना रहेगा। यात्रा से खर्च करने पर भी कुछ आशा ना रखें।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन बीते दिनों की तुलना में शुभ फलदायक रहेगा। लेकिन आज आप मन ही मन जले भुने से रहेंगे। किसी कामना की पूर्ति ना होने पर भाग्य के साथ परिजन को भी दोष देंगे। मध्यान तक अंतर्द्वंद लगा रहेगा परिजनों के ऊपर अनैतिक दबाव बनाने के चक्कर मे घर की सुख शांति बिगड़ेगी। कार्य क्षेत्र पर आज अनुकूल व्यवरण मिलेगा लेकिन आपका टालमटोल का रवइया होने वाले लाभ में कमी लाएगा। आज घरेलू समस्या को घ में एवं व्यावसायिक उलझनों को कार्य क्षेत्र तक ही सीमित रखें अन्यथा दोनो ही जगह से निराश होना पड़ेगा। धन की आमद आज अवश्य होगी जल्दबाजी ना करे ना ही आज किसी से आवेश में आकर कोई वादा करें बाद में अवश्य ही वादाखिलाफी का आरोप लगेगा। घर का वातावरण शांत ही रहेगा आपमे धैर्य की कमी रहेगी इसलिये परिजनों की चोटी मोटी बातो को अनदेखा करें। टांगो में चोट अथवा कोई अन्य गंभीर शारीरिक समस्या का भय रहेगा।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आप नासमझी में किसी मुसीबत में फंस सकते है। दिन का आरंभिक भाग तो वैसे शांति पूर्वक ही बीतेगा लेकिन मध्यान भाग ने किसी से पुराने विवाद को लेकर कहासुनी बढ़ने पर हाथापाई अथवा कोर्ट कचहरी की अनुबत आने की संभावना है आपके अंदर विवेक भरपूर मात्रा में रहेगा लेकिन सामने वाले की उद्दण्डता के कारण अपना आपा खो देंगे आज के दिन धैर्य धारण करें अन्यथा बेवजह की मुसीबत आने वाले दिनों में भी परेशान करेगी। कार्य क्षेत्र पर आज प्रतिस्पर्धा अधिक रहेगी चाह कर भी अपनी योजनाओं को सिरे नही चढ़ा सकेंगे। धन की आमद से आज खर्चो की पूर्ति नही कर पाएंगे। परिवार कुटुम्ब में सुख शांति रहेगी लेकिन किसी गलतफहमी के कारण प्रतिष्ठा कम हो सकती है। पेट संबंधित व्याधि एवं कमजोरी परेशान करेंगी।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन आपको घरेलू और सार्वजिनक कार्यो के लिये अपनी दिनचार्य एवं आवश्यक कार्यो में बदलाव करना पड़ेगा। दिन के आरंभ से मध्यान तक का समय शुभ कार्यो में सम्मिलित होने से आत्मबल मिलेगा लेकिन मन मे कोई न कोई उठापटक लगी ही रहेगी। सामाजिक क्षेत्र से आज भी धन और प्रतिष्ठा तो मिलेगी ही साथ ही बड़बोलेपन के चलते कोई नई समस्या भी बना लेंगे। स्वभाव में भावुकता कम रहेगी लेकिन अपने कार्य निकालने के लिये छोटा बनने में संकोच नही करेंगे। नए कार्य की तुलना में पैतृक कार्य से धन की आमद अधिक होगी। कार्य क्षेत्र एवं घर की व्यवस्था सुधारने पर खर्च भी करेंगे। नौकरी पेशा अपनी योग्यता के बल पर सम्मानित होंगे साथ ही नया कार्य भर भी बढ़ेगा। घर का वातावरण आज सुख की अनुभूति कराएगा। नेत्र रोग अत्यधिक थकान एवं कमर से नीचे के भाग संबंधित समस्या रहेगीं।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपके लिये कार्य सफलता वाला रहेगा पिछले कुछ दिनों से किसी विशेष कार्य में सफल होने की संभावना अधिक है साथ ही आज सार्वजिक एवं सरकारी क्षेत्र के उच्च प्रतिष्ठित लोगो से निकटता बढ़ने का लाभ भी निकट भविष्य में शीघ्र ही देखने को मिलेगा। दिन के आरंभ से मध्यान तक कि दिनचार्य अव्यवस्थित रहेगी घरेलू कार्यो की अधिकता के चलते अन्य कार्यो में फेरबदल करना पड़ेगा। दोपहर बाद किसी परिचित से शुभ समाचार मिलने से उत्साह वृद्धि होगी। कार्य क्षेत्र पर आज किसी परिजन की व्यवहारिकता लाभ दिलाएगी। धन की आमद सोच से अधिक होगी लेकिन आज के दैनिक खर्च भी अधिक रहने से बचत नही कर पाएंगे। व्यावसायिक अथवा पर्यटन यात्रा की योजना बनेगी इसके अन्त समय मे टालने की संभावना भी रहेगी। दाम्पत्य जीवन मे कुछ समय के लिये कटुता का अनुभव होगा फिर भी तालमेल बिठा ही लेंगे। अत्यधिक थकान और लापरवाही के कारण चोटादि एवं फेफड़े में संक्रमण का भय है।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आपका चित धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत रहेगा। दिन का आरंभ अत्यंत सात्विक और सादगीपूर्ण रहेगा। घरेलू पूजा पाठ के साथ मित्र परिचितों के साथ धार्मिक क्षेत्र देवदर्शन के योग बनेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज अत्यधिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा फिर भी अपने विवेक से आवश्यकता अनुसार लाभ अर्जित कर ही लेंगे धन के आने के साथ जाने के रास्ते भी स्वतः ही खुले रहने के कारण पैसे जोड़ने में मुश्किल होगी। आर्थिक अथवा सम्पति के कारणो से घर के ही किसी सदस्य से तीखी झड़प होने की संभावना है आप एकबार धैर्य विवेक से काम लेंगे लेकिन सामने वाला जबरदस्ती हावी होने पर अपना धैर्य भी खो सकते है समझदारी से काम ले अन्यथा उलझन सुलझने की जगह अधिक बढ़ सकती है। संध्या का समय अत्यंत थकान से भरा रहने के कारण कार्यो में उत्साह खत्म होगा। सर्दी जुखाम की शिकायत हो सकती है।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से आज का दिन प्रतिकूल रहेगा दिन के आरम्भ से ही शारीरिक शिथिलता मांसपेशियों में अकड़न रहने से दैनिक कार्यो को भी जबरदस्ती करना पड़ेगा साथ ही आज विशेष कर महिलाओ को घर मे किसी मांगलिक आयोजन के कारण अतिरिक्त भागदौड़ करनी पड़ेगी जिससे मध्यान बाद शारीरिक सामर्थ्य एकदम से घटेगा। कार्य क्षेत्र पर भी अनमने मन से काम करेंगे अधिकांश कार्य मे सहकर्मी अधीनस्थ के ऊपर निर्बहर रहना पड़ेगा जिसके फलस्वरूप गड़बड़ी होने की संभावना अधिक रहेगी और जितना मिले उसी से संतोष करना पड़ेगा। आज आप विरोधियो से हर क्षेत्र में आगे ही रहेंगे फिर भी आपकी कार्य आरंभ होते ही किसी न किसी उलझन में अवश्य पड़ेंगे। संतान अथवा किसी अन्य परिजन के कारण यात्रा हो सकती है संभव हो तो इसे टाले। वाहन से दुर्घटना अथवा अग्नि धारदार औजार से शारीरिक क्षति हो सकती है।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन आपके स्वभाव में परिवर्तन देखने को मिलेगा लेकिन इसके पीछे भी कुछ ना कुछ स्वार्थ अवश्य छुपा रहेगा। दिन के आरंभिक भाग में विवेकपूर्ण आचरण कर घरवालो को आश्चर्य में डालेंगे लेकिन मन का भेद अधिक देर तक ना छुप पाने पर शीघ्र ही पोल खुल जाएगी आज आपके अंदर स्वार्थ सिद्धि की भावना होने पर भी किसी का अहित नही होने देंगे। कार्य क्षेत्र पर आज अनुकूल परिस्थितियां मिलने का जमकर लाभ उठाएंगे लेकिन जितना भी कमाएंगे उसका अधिकांश भाग तुरंत कही न कही लग जायेगा। दोपहर के बाद कार्य क्षेत्र पर व्यस्तता होने के बाद भी आपका ध्यान वर्जित कर्मो के प्रति भटकेगा संध्या बाद टालने पर भी कोई समाज विरुद्ध कार्य करने की संभावना है बाद में भाग्य और स्वयं को दोष देना पड़े इसलिये इससे बचे अन्यथा घर का सुखी वातावरण खराब भी हो सकता है। नेत्र ज्योति अथवा हड्डी में चोट और सरदर्द से तकलीफ हो सकती है।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन आपकी आशाओं के विपरीत रहने वाला है दिन के आरंभिक भाग को छोड़ शेष भाग में कोई ना कोई परेशानी लगी रहेगी। आपका स्वभाव भी आज धार्मिक होते हुए भी अत्यंत स्वार्थी रहेगा जहां से कोई लाभ की उम्मीद रहेगी वहां अत्यंत मीठा व्यवहार करेंगे इसके विपरीत अन्य लोगो से बात करना भी पसंद नही करेंगे। कार्य क्षेत्र पर भी आपका रूखा व्यवहार के कारण लाभ होते होते हाथ से निकल सकता है। धन लाभ के लिये इंतजार करना पड़ेगा विवशता में किसी विरोधी से भी सहयोग लेने की नौबत आ सकती है। घरेलू वातावरण मध्यान तक घर मे धार्मिक कार्य होने से शांत रहेगा लेकिन परिजनों के मध्य आज सहयोग और आपसी भावनाओ की कमी रहेगी परिजनों को शकि की दृष्टि से देखने पर आज धैर्य खो देने पर कलह हो सकती है। आर्थिक निवेश आज भूल कर भी ना करें। मूत्राशय अथवा गर्भाशय एवं हृदय संबंधित विकार उत्पन्न हो सकते है।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
बीते दिन की अपेक्षा आज आपके स्वभाव में गंभीरता आएगी लेकिन पहले की लापरवाही आज कुछ ना कुछ अभाव अवश्य बनायेगीं। दिन की शुरुआत में जो भी योजना बनाएंगे उसे पूर्ण करने में धन अथवा अन्य किसी कारण से बाधा आएगी। कार्य क्षेत्र पर व्यवसाय उत्तम रहेगा परिश्रम करने पर धन की आमद संतोषजनक हो जाएगी फिर भी आज आपके मन मे कोई न कोई तिकडम लगी रहेगी कम समय मे ज्यादा लाभ पाने की योजना बनाएंगे। आज सट्टे लाटरी से अकस्मात लाभ हो सकता है। अपना हित साधने के लिये अन्य लोगो की अनदेखी करने में संकोच नही करेंगे स्वार्थी स्वभाव के चलते भाई बंधु के सुख में कमी रहेगी। माता से उत्तम सुख एवं लाभ मिलने की संभावना है। घर मे पूजा पाठ का आयोजन होगा धार्मिक और व्यावसायिक यात्रा के योग बन रहे है इससे ज्यादा लाभ की आशा न रखें। अकस्मात जलने चोट लगने का भय है महिलाए आज सेहत का विशेष खयाल रखें।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन आपका आचरण अन्य लोगो को पसंद नही आएगा। स्वभाव से धार्मिक होते हुए भी वाणी में मिठास की कमी रहेगी। मन मे भी किसी न किसी के प्रति रागद्वेष की भावना रहने से आज जल्दी से किसी से पटेगी नही फिर भी अपने मे।ही मस्त रह लेंगे। कार्य क्षेत्र पर उछाल रहने पर भी आशानुकूल लाभ नही कमा सकेंगे फिर भी दैनिक खर्च निकालने में परेशानी नही आएगी। नौकरी पेशाओ को कार्य क्षेत्र पर भार बढ़ने से असहजता होगी धीमी गति से कार्य करने पर किसी की डांट सुनने को मिलेगी। मध्यान बाद तेजी से कार्य करने में हानि हो सकती है लेकिन आज आप अपनी गलती पर भी बड़ी सफाई से लीपा पोती कर बच निकलने में।सफल रहेंगे। संध्या के समय धार्मिक क्षेत्र की यात्रा के प्रसंग बनेंगे। घरेलू वातावरण थोड़ा उथल पुथल रहेगा सब अपने कार्यो में व्यस्त रहेंगे सहायता की उम्मीद ना रखें। अकस्मात बीमारियों का प्रकोप परेशान कर सकता है।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन भागदौड़ भरा रहेगा। दिन के आरंभ में घर मे किसी शुभ आयोजन के चलते कोई अन्य आवश्यक कार्य रद्द अथवा आगे सरकाना पड़ेगा। मध्यान के समय कार्य क्षेत्र पर काम कम होने पर भी किसी न किसी कारण से व्यस्तता रहेगी। आर्थिक रूप से संध्या का समय ठीक ठाक रहेगा। धन की आमद सहजता से हो जाएगी फिर भी मन अधिक पाने की लालसा में संतुष्ट नही होगा। आज दैनिक खर्च के अतिरिक्त खर्च आने से असहजता होगी। विदेश जाने के इच्छुक लोगों को सरकारी प्रक्रिया बढ़ने से निराश होना पड़ सकता है फिर भी थोड़े अधिक प्रयास से सफलता मिल जायेगी। आज घरेलू वातावरण आध्यात्मिक रहने से सकारत्मक ऊर्जा का संचार होगा फिर भी भाई बंधुओ में ईर्ष्या युक्त संबंध बने रहेंगे। माता अथवा ननिहाल पक्ष का सुख कम रहेगा इनसे संबंधित कोई अप्रिय समाचार मिल सकता है। रक्तचाप अथवा कमजोरी से घर का कोई न कोई सदस्य पीड़ित रहेगा।

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