PATNA: Farmers should be encouraged to get their soil tested to boost income. By understanding the composition of their soil, farmers can make informed decisions about which crops to plant and how to optimize their yield. This, in turn, can lead to increased productivity and higher profits. Moreover, soil testing can also help farmers determine the best strategies for fertilization, irrigation, and pest control, ultimately contributing to sustainable agricultural practices. Encouraging soil testing among farmers can therefore have far-reaching benefits for both the agricultural industry and the environment. Hence, government initiatives and educational programs aimed at promoting soil testing can play a crucial role in supporting farmers and fostering a more efficient and sustainable farming sector.

किसानों को मिट्टी जाँच कराने के लिए प्रेरित करने के लिए सरकार को उन्हें जागरूक करना चाहिए कि अच्छी से अच्छी मिट्टी की जाँच कराने से उनकी फसलों की उन्नति हो सकती है और उन्हें अधिक आय की संभावना हो सकती है। इसके अलावा, मिट्टी जाँच कराने से किसान अन्य उचित खाद्य पदार्थों की भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं जो उनकी फसलों के लिए उपयुक्त होते हैं। इससे न केवल किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि उनकी स्वास्थ्यप्रद खेती के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
इसलिए, मिट्टी जाँच कराना एक सकारात्मक और जरूरी कदम है जो किसानों को खुशहाल और समृद्ध बनाने में मदद कर सकता है।
माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार श्री मंगल पाण्डे द्वारा आज (दिनांकः 13.06.2024) कृषि भवन, पटना के सभागार में मुख्यालय एवं क्षेत्रीय पदाधिकारियों तथा 72 ग्रामस्तरीय मिट्टी जाँच प्रयोगशाला के कर्मियों के साथ मिट्टी स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना की समीक्षा की गई।
इस बैठक में सचिव, कृषि विभाग, बिहार श्री संजय कुमार अग्रवाल द्वारा इस योजना के संबंध में माननीय मंत्री को विस्तृत जानकारी दी गई तथा उन्होंने बताया कि इस वर्ष इस योजना के लिए 15 करोड़ रूपये की स्वीकृति फरवरी माह में ही की जा चुकी है, इसलिए कोई वित्तीय समस्या नहीं होगी।
माननीय मंत्री ने कहा कि राज्य के मिट्टी जाँच प्रयोगशालाओं में 207 पद सहायक अनुसंधान पदाधिकारी, 75 पद प्रयोगशाला सहायक, 26 पद सहायक निदेशक (रसायन), मिट्टी जाँच, 22 लिपिक के पद सहित कार्यालय कई अन्य पद रिक्त हैं, जिस पर शीघ्र नियुक्ति की जायेगी। साथ ही, राज्य के 9 प्रमंडलों के चलंत मिट्टी जाँच प्रयोगशाला को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए तकनीकी कर्मियों की बहाली की जायेगी, जिससे मिट्टी नमूनों की जाँच समय पर की जा सके। उन्होंने पूरे कृषि विभाग के लिपिकों के लिए एक कैडर बनाकर 15 दिनांे के अन्दर एक नियमावली बनाने का निदेश अधिकारियों को दिया, जिससे मिट्टी जाँच प्रयोगशाला सहित कृषि विभाग के अन्य कार्यालयों में लिपिकों के रिक्त पदों पर बड़ी मात्रा में
नियुक्ति की जा सके।
उन्होंने कहा कि हाल ही में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कृषि विभाग, बिहार को मिट्टी जाँच करने वाला देश में सबसे अच्छा राज्य घोषित कर सम्मानित किया गया है, यह पूरे राज्य के लिए गौरव की बात है।
उन्होंने बताया कि इस विŸाीय वर्ष में राज्य के सभी ग्रामों से कुल 5 लाख मिट्टी जाँच नमूनों के संग्रहण/विश्लेषण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अब तक 4,17,275 मिट्टी जाँच नमूनों का संग्रहण किया जा चुका है। मिट्टी जाँच कार्यक्रम का उद्देश्य मिट्टी की जाँच कर जाँच परिणाम के आधार पर संतुलित मात्रा में उर्वरक के उपयोग को प्रोत्साहित करते हुए कृषि योग्य मिट्टी को स्वस्थ रखना, फसल उपज में वृद्धि लाना एवं खेती की लागत को कम करना है।
माननीय कृषि मंत्री ने कहा कि बिहार में 72 ग्रामस्तरीय मिट्टी जाँच प्रयोगशाला, 38 जिलास्तरीय मिट्टी जाँच
प्रयोगशाला, गया, मुंगेर एवं भागलपुर के अनुमंडल में 03 अनुमंडलस्तरीय मिट्टी जाँच प्रयोगशाला कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त राज्य में प्रमंडल स्तर पर 09 चलंत मिट्टी जाँच प्रयोगशाला कार्य कर रहा है। इसके साथ ही, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर एवं डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर में भी मिट्टी जाँच प्रयोगशाला स्थापित है।
उन्होंने अधिकारियों को निदेश दिया कि प्रमंडल स्तर पर संचालित 09 चलंत मिट्टी जाँच प्रयोगशालाओं के लिए पूर्व से रूट चार्ट निर्धारित किया जाये, ताकि किसानों को यह पता चल सके कि उनके गाँव में कब चलंत मिट्टी जाँच प्रयोगशाला आयेगा। इससे किसानों को अपने खेतों के मिट्टी की जाँच कराने में सहुलियत होगी। उन्होंने ग्राम स्तरीय मिट्टी जाँच प्रयोगशाला के कर्मियों से समय पर मिट्टी जाँच कर पोर्टल पर इसे अपलोड करने का अपील किया।
माननीय मंत्री ने मिट्टी जाँच कार्यक्रम का किसानों के बीच विस्तृत प्रचार-प्रसार करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि खरीफ किसान चौपाल, दिवाल लेखन एवं आकर्षक होर्डिंग के माध्यम से किसानों को मिट्टी जाँच कराने के लिए जागरूक किया जाये तथा मिट्टी जाँच कराने से किसानों को होने वाले लाभ के बारे में भी बताया जाये। उन्होंने अधिकारियों के साथ-साथ 72 ग्रामस्तरीय मिट्टी जाँच प्रयोगशाला के कर्मिंयो को भी निदेश दिया कि किसानों को मिट्टी जाँच कराने के लिए प्रेरित किया जाये।
इस बैठक में कृषि निदेशक श्री मुकेश कुमार लाल, प्रबंध निदेशक, बिहार राज्य बीज निगम श्री आशुतोष कुमार वर्मा, निदेशक उद्यान श्री अभिषेक कुमार, अपर सचिव श्री शैलेन्द्र कुमार, संयुक्त सचिव द्वय श्री मदन कुमार एवं श्री मनोज कुमार, विशेष कार्य पदाधिकारी सुनील कुमार, अपर निदेश (शष्य) श्री धनंजयपति त्रिपाठी, संयुक्त निदेशक (रसायन), मिट्टी जाँच प्रयोगशाला श्री विनय कुमार पाण्डेय तथा सभी जिलों के सहायक निदेशक (रसायन), मिट्टी जाँच उपस्थित थे।
कृषि मंत्री की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की उप समिति- II की बैठक का आयोजन
माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार श्री मंगल पाण्डेय की अध्यक्षता में कृषि भवन, मीठापुर, पटना के सभागार में राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की कृषि एवं उससे संबद्ध विषयों की उप समिति- II की बैठक आयोजित की गई।
माननीय मंत्री ने कहा कि कृषि ऋण सभी योग्य किसानों को दिया जाये। अभी तक की प्रगति संतोषजनक नहीं है।
किसान बहुत उम्मीद के साथ ऋण के लिए बैंकों में आवेदन करते हैं और बिना उचित कारण के उसे अस्वीकृत कर दिया जाता है। आवेदन प्रपत्र हिन्दी में सरल होने के साथ ऐसा हो कि आवेदक किसान को आवेदन करने में कोई कठिनाई नहीं हो।
इसके साथ ही, बैंक भी अपने स्तर से आवेदन भरने में किसानों की मदद करें। उन्होंने कहा कि सभी बैंक अधिक-से-अधिक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध करायें। के॰सी॰सी॰ देने के बाद किसानों से लगातार सम्पर्क स्थापित कर उन्हें राशि ससमय वापस करने के लिए प्रोत्साहित भी करें, ताकि किसानों को कृषि ऋण पर ब्याज अनुदान का लाभ प्राप्त हो सके।
किसान जानकारी के अभाव में समय पर राशि वापस नहीं कर पाते हैं, जिससे वे ब्याज पर अनुदान के लाभ से वंचित हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि सी०-डी० रेसियो पहले की अपेक्षा बढ़ी है। बैंकों को किसानों के हित में कार्य करना पड़ेगा एवं इसका परिणाम सामने आना चाहिए। दूसरे राज्यों के किसानों को बैंकों से काफी लाभ मिलता है। इसकी तुलना में बिहार के किसानों को बैंकों से समुचित लाभ नहीं मिल पाता है। इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।
सचिव, कृषि विभाग श्री संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि आशा करते हैं कि बैंक किसानों के हित में ज्यादा-से- ज्यादा किसानों को ऋण उपलब्ध करायेंगे। उन्होंने बैंकों को नये के० सी० सी० लाभुक किसानों की सूची उपलब्ध कराने का निदेश दिया।
इस बैठक में सचिव, कृषि विभाग श्री संजय कुमार अग्रवाल, कृषि निदेशक मुकेश कुमार लाल, निदेशक उद्यान श्री अभिषेक कुमार, उप महाप्रबंधक, नाबार्ड श्री प्रकाश कुमार मिश्रा, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, बिहार राज्य सहकारिता बैंक लिमिटेड, विभिन्न वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा भाग लिया गया।
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