एक इंसान के रूप में आपके पास निरीक्षण करने की समझ है। जब हम अपने घर में कदम रखते हैं तो कभी-कभी आराम महसूस करते हैं और अगली बार थकावट महसूस करते हैं। यह शर्त वाणिज्यिक इकाई पर भी लागू होती है। दुकान का मालिक ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए हर तरह की सुख-सुविधा और सजावट की व्यवस्था करता है। जो व्यवस्थित नहीं है वह ब्रह्मांडीय ऊर्जा है। एस्ट्रोवास्तु ऊर्जा का आंतरिक संतुलन बहुत महत्वपूर्ण है। ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आकर्षित करने और सकारात्मक स्पंदनों का वातावरण बनाने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए। वास्तु शास्त्र की मदद से अपने व्यापार व्यवसाय में उन्नति करें, जब भी आप किसी आफिस, दुकान या फेक्ट्री में किसी कार्य से जाते हैं वो वहाँ का माहौल आपको कुछ कहता है। किसी स्थान पर जाने से वहाँ आप काफी समय के लिए रुक जाते हैं । उस स्थान की सकारात्मक ऊर्जा की वजह से वहाँ से आने को मन नही करता। ठीक इसके विपरीत जब आप किसी स्थान पर किसी कार्य के सिलसिले में जाते हैं तो वहाँ से तुरन्त वापस जाने का मन करता है। उस स्थान की नकारात्मक ऊर्जा की वजह से वहाँ से तुरन्त आने का मन करता है। इसकी क्या वजह हो सकता है 1) उस स्थान की वास्तु से सम्बंधित ऊर्जा 2) उस स्थान में उपस्थित लोगों की ऊर्जा 3) आपके अंदर स्वयम की ऊर्जा किसी भी आफिस, दुकान या फेक्ट्री में जब भी सारी वस्तुएं वास्तु शास्त्र के नियमोँ के अनुसार रखी हुई होती है तो ब्रम्हांड की कॉस्मिक ऊर्जा आपको आपके काम मे मदद करती है। आप इस ऊर्जा को किसी तेज बहती हुई नदी से समझ सकते हैं । जब भी कोई तैराक किसी नदी को तैरकर पार करता है तो वो नदी के बहाव के साथ साथ तैरता है। अर्थात जिस दिशा में नदी बह रही हो उस दिशा की ओर आगे बढ़ते हुए नदी को पार कर लेता है।
जब नदी को उसके बहाव के साथ साथ पार किया जाता है तब आपकी ऊर्जा का क्षय कम से कम होता है। नदी को पार करने में आप थकते कम हैं। अगर नदी के विपरीत दिशा में आप तैरते हैं तो आपको एक साथ दो काम करते हैं पहला आप नदी पार कर रहे हैं और उसके साथ ही साथ उस नदी के तेज बहाव के विरुद्ध तैर रहे हैं। नदी के भाव के विरुद्ध तैरने से आप शीघ्र थक जाएंगे और आपको बुढापा जल्दी आएगा। वास्तु शास्त्र की कास्मिक ऊर्जा ठीक उपरोक्त तरीक़े से काम करती है। वास्तु शास्त्र की ऊर्जा का एक बहाव है जिसे आप नही देख पा रहे हैं। ऋषि मुनियों ने अपने हजारों वर्षों की साधना के फलस्वरूप कुछ नियम बनाये जिसके प्रयोग से आप अपने जीवन को व्यवस्थित कर सकते हैं। निर्णय आपको करना है कि नदी के विपरीत तैरकर क्या हम प्रकृति की असीम ऊर्जा से क्या लड़ सकते हैं? या फिर प्रकृति की असीम ऊर्जा का उपयोग करते हुए उस धारा के साथ स्वयम बह जाएं। व्यावसायिक स्थान, आवासीय परिसर, मुख्य शयनकक्ष, पूजा स्थल, रसोई, शौचालय, भंडार गृह, छत का शीर्ष, ब्रह्मस्थान आदि कुछ ऐसे स्थान हैं जिनकी किसी विशेषज्ञ से जांच कराने की आवश्यकता है। प्रचुरता लाने के लिए पांच तत्वों को संतुलित करना होगा।
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